बेमौसम बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नए पश्चिमी विछोभ के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में हुई तेज वर्षा ने किसानों की कमर तोड़ दी है। उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब के साथ अन्य राज्यों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। खेतों में खड़ी धान की फसल बिछ गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जहां कटाई हो चुकी थी, लेकिन खलिहान में अनाज पड़ा था तो वह भी खराब हो गया। हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों में मंडियों में पड़ा धान भीग गया। तेज हवाओं के साथ वर्षा का गन्ने की फसल भी असर पड़ा है। दलहन और सब्जी की फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है।
उप्र में वर्षा से धान और गन्ने को नुकसानउत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, हापुड़, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर और अमरोहा जिलों में धान और गन्ने की फसल प्रभावित हुई है। कुशीनगर, देवरिया, बलिया, गोरखपुर सहित कई जिलों में केला और अरहर की फसलों को भी नुकसान हुआ है।
सभी जिलों से मांगी गई रिपोर्ट
कृषि निदेशक डॉ. पंकज त्रिपाठी ने बताया कि अभी ज्यादातर जगह धान की फसल तैयार नहीं हुई है, हवाओं से कुछ जगहों पर फसल गिरने की सूचना है। इस संबंध में सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है।बिहार में एक लाख एकड़ से अधिक की फसलों को नुकसानबिहार में अतिवृष्टि व बाढ़ के पानी से एक लाख एकड़ से अधिक रकबे में फसलों को नुकसान पहुंचा है।
कृषि विभाग अभी नुकसान का आकलन कर रहा है। अनुमान है कि सिर्फ रोहतास में एक हजार एकड़ से अधिक की धान की फसल खराब हुई है। पांच सौ एकड़ से अधिक सब्जी की खेती को भी नुकसान पहुंचा है। भोजपुर जिले में करीब एक हजार एकड़ में सब्जी और साढ़े सात हजार एकड़ में धान की फसल डूब गई।
सारण में 50 हजार एकड़, वैशाली में 100 और गोपालगंज में करीब 400 एकड़ में धान और दलहनी फसलों को नुकसान हुआ। सहरसा में 1100 एकड़ एवं खगडि़या में 500 एकड़ से अधिक की धान, मक्का, मड़ुआ, खेरी आदि की फसल को नुकसान हुआ है।
उत्तर बिहार में करीब 44 हजार एकड़ में धान, सब्जी, मूंग, गन्ने की खेती को क्षति पहुंची है। बाढ़ से जूझ रहे पंजाब में बढ़ी मुसीबतबाढ़ की मार से जूझ रहे पंजाब में पिछले तीन दिन हुई वर्षा से मुसीबत बढ़ गई है। मंडियों में पहुंचा धान भी भीग गया है। खेतों में बिछ जाने से धान के बदरंग होने का डर है।
पैदावार में भी पांच प्रतिशत की कमी हो सकती है। राज्य में बाढ़ के कारण पहले ही पांच लाख एकड़ में धान की फसल बर्बाद हो चुकी है। अब वर्षा ने संकट बढ़ा दिया है। कृषि विभाग का कहना है कि वर्षा से हुए नुकसान के आकलन में एक सप्ताह का समय लग सकता है। अभी तक केवल तीन प्रतिशत फसल ही मंडियों में पहुंची है।
हरियाणा में मंडियों में खराब हो गया धान
राज्य में तीन दिनों में 16 जिलों में रुक-रुककर वर्षा हुई। मंडियों में अभी तीन लाख मीट्रिक टन धान किसानों का पड़ा है, जिसकी अभी तक खरीद नहीं हुई है। इसके अलावा 8.30 लाख मीट्रिक टन धान वह है जो सरकार ने खरीद लिया, लेकिन मंडियों से उठान नहीं हो पाया।
इसमें से 10 प्रतिशत धान शेड के नीचे रखा गया है। यानी कुल 11.3 लाख टन धान तीन दिनों तक मंडियों में भीगा। किसानों ने अपने स्तर पर तिरपाल आदि से धान की ढेर को ढंकने का प्रयास किया, लेकिन ढेर में नीचे पानी चला गया। हरियाणा में 17 प्रतिशत नमी का धान सरकार खरीदती है। वर्षा में भीगने के कारण नमी की मात्रा बढ़ गई।
इस कारण खरीद धीमी रही। 17 जिलों में से 10 जिलों की मंडियों में खरीद नहीं हुई। दो-ढाई क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन कम होने का अनुमान है। खेतों में 32.50 लाख एकड़ में बासमती की 1121 किस्म की फसल खड़ी है, जिसकी कटाई 10 दिन बाद शुरू हो जाएगी।
उत्तराखंड में धान को पहुंचा नुकसान
उत्तराखंड में हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर समेत मैदानी क्षेत्रों में धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। धान का रंग काला पड़ने की भी आशंका है। इससे पहले वर्षाकाल में 726.12 हेक्टेयर क्षेत्र में मंडुवा, मक्का, उड़द, झंगोरा, सोयाबीन व धान की फसल को क्षति पहुंची। प्रभावित किसानों की संख्या 2860 रही। उधर, बागवानी मिशन के निदेशक महेंद्र पाल ने बताया कि वर्षाकाल में 12590.22 हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी औद्यानिकी फसलों (सेब, आड़ू, खुबानी, आम व लीची) को नुकसान पहुंचा।
बंगाल मे हो रहा नुकसान का आकलन
बंगाल में भी फसलों पर मौसम की मार पड़ी है। कृषि विभाग के सचिव ओंकार सिंह मीणा का कहना है कि वर्षा से फसलों को हुए नुकसान का अभी अनुमान लगाना मुश्किल है। आकलन का कार्य चल रहा है। |