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H1B वीजा और टैरिफ का बुरा असर! अमेरिका में घटी इंटरनेशनल छात्रों की संख्या; इस साल पहुंचे सिर्फ इतने स्टूडेंट

LHC0088 2025-10-9 13:36:25 views 245

  

अमेरिका में घटे अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अगस्त में 19 प्रतिशत कम रही। कोविड महामारी के बाद अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आगमन में यह सबसे बड़ी गिरावट है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अंतरराष्ट्रीय छात्रों के संख्या में यह गिरावट इसलिए आइ है क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने वीजा प्रक्रिया में देरी की, 19 देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए, फलस्तीन समर्थक भाषण देने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निर्वासित करने की धमकी दी और छात्र वीजा आवेदकों की जांच कड़ी कर दी।
कितने छात्र जाते हैं अमेरिका

अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आगमन रिकार्ड पर आधारित इस डाटा में अमेरिका में प्रवेश करने वाले नए अंतरराष्ट्रीय छात्र और देश में लौटने वाले मौजूदा अंतरराष्ट्रीय छात्र, दोनों शामिल हैं। इसका मतलब है कि सिर्फ नए छात्रों की संख्या ज्ञात नहीं है। लेकिन अतीत में, अगस्त में आने वाले छात्र शरद ऋतु में नामांकन का संकेतक रहे हैं।

ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय छात्र अगस्त में शरद ऋतु सेमेस्टर के लिए पहुंचते हैं, क्योंकि वे अपने कार्यक्रम शुरू होने से 30 दिन पहले देश में प्रवेश नहीं कर सकते। हाल के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र आते हैं जिनकी संख्या लगभग 13 लाख के आसपास होती है।
70% एशिया के छात्र

इनमें 70 प्रतिशत से अधिक छात्र एशिया से होते हैं और इस वर्ष अगस्त में एशियाई छात्रों की संख्या में 24 प्रतिशत की गिरावट आई है। लगभग तीन में से एक अंतरराष्ट्रीय छात्र भारतीय होता है। इस वर्ष अगस्त में भारतीय छात्रों की संख्या में 44 प्रतिशत की गिरावट आई। हर पांच में से एक अंतरराष्ट्रीय छात्र चीन से होता है और इस वर्ष चीनी छात्रों में गिरावट जारी रही।
वीजा शुल्क में वृद्धि का विश्वविद्यालयों व कालेजों पर पड़ेगा प्रभाव

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए एच-1बी वीजा के लिए निर्धारित 1,00,000 डालर के शुल्क का टेक कंपनियों और वित्तीय कंपनियों पर तो गहरा असर होगा ही, लेकिन इसका असर शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ेगा और देशभर की कक्षाओं में दिखाई भी देगा।

कुछ विश्वविद्यालयों और कालेजों के प्रेसीडेंट्स ने कहा कि शुल्क वृद्धि के कारण वीजा कार्यक्रम के जरिये संकाय सदस्यों को नियुक्त करने की उनकी क्षमता बाधित होगी। कुछ अन्य ने कहा कि उनके स्कूल यह शुल्क वहन नहीं कर सकते, इस कारण उनके लिए गणित और विशेष शिक्षा के शिक्षक तलाशना मुश्किल हो जाएगा।

अमेरिकन कालेज एंड यूनिवर्सिटीज की प्रेसीडेंट लिन पस्क्यूरेला ने कहा कि कई स्कूल साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनिय¨रग, मैथ और मेडिकल के क्षेत्रों में पदों को भरने के लिए वीजा पर निर्भर हैं। शुल्क वृद्धि से विदेशी डाक्टरों की भर्ती प्रक्रिया और भी सीमित हो जाएगी।
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