जागरण संवाददाता, धनबाद। मंगलवार को बैंकमोड़ झरिया रोड स्थित द होटल कैसल में छापेमारी कर पकड़े गए नौ साइबर अपराधियों से जुड़े नेटवर्क की जांच पुलिस कर रही है। पुलिस अब करीब 100 फर्जी बैंक खातों को फ्रीज करने की तैयारी में है, साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि ठगी से वसूली गई रकम को हवाला के जरिए कितनी राशि स्थानांतरित की गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गिरफ्तार कर जेल भेजे गए शातिरों के मोबाइल और लैपटॉप की तकनीकी जांच में बैंक खाता और लेनदेन के कई प्रमाण मिले हैं, जो पहले से साइबर ठगी की शिकायतों में दर्ज है। अपराधियों के फोन से प्राप्त संदेशों और दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह निवेश घोटाले और गेमिंग एप के माध्यम से लोगों को झांसा देकर अवैध रूप से धन अर्जित करता था।
जांच में सामने आया है कि गिरोह विभिन्न बैंकों में फर्जी खाते खुलवाकर ठगी की रकम को आभासी मुद्रा में बदलता था और फिर उसे भारतीय रुपये में परिवर्तित कर अपने एजेंटों के खातों में भेजता था। बाद में इन्हीं खातों से नकद निकासी की जाती थी।
जेल भेजे गए शातिरों में कुमार विशाल सिंह, अर्नव कुमार राय, सुमित कुमार, रिजवान खान, राहुल कुमार राय, विशाल कुमार, मो. असिफ, मो. मोबस्सिर आलम और राजकुमार सिंह सभी की उम्र 20 से 33 वर्ष के बीच है और ये धनबाद, बोकारो तथा पश्चिम बंगाल के रहनेवाले हैं।
बरामद सामान में 17 मोबाइल फोन विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर जारी सिम के साथ, 23 अलग-अलग बैंकों के निकासी कार्ड, एक टैबलेट, एक लैपटॉप, नकद 5,80,700 व मोबाइल से प्राप्त बैंकखाते और लेनदेन की 99 छायाप्रतियां शामिल है। पुलिस इन अपराधियो के नेटवर्क खंगाल रही है। पुलिस को आशंका है कि अपराधियों का नेटवर्क झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और दिल्ली तक फैला हो सकता है।
पुलिस अब उन खातों की जांच कर रही है, जिनसे ठगी की रकम का लेनदेन हुआ था। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कई खातों का प्रयोग निवेश घोटाले, गेमिंग एप और ऑनलाइन सट्टेबाजी के माध्यम से रुपये कमाए हैं। पुलिस ने दावा किया है कि साइबर अपराधियों के इस नेटवर्क का खुलासा बड़ी सफलता है, और आगे की जांच में कई अन्य अन्य कड़ी भी जुड़ सकती है। |