Mars Dev Upay: मंगल देव को कैसे प्रसन्न करें?
आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी ग्रह मंगल है। यह एक पुरुष ग्रह है। मंगल अग्नि तत्व का अधिपति है और यह ऊर्जा, जीवन शक्ति, ताकत, साहस, जोश और पहल का प्रतीक है। यह शरीर में रक्त और पाचन तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे क्रोध को नियंत्रित करता है और हमारे स्वभाव में हिंसक प्रवृत्ति को भी दर्शाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह खेल और एथलेटिक्स का कारक भी है। यह सैन्य सेवा या कानून प्रवर्तन (पुलिस आदि) के क्षेत्र पर भी शासन करता है। जन्म कुंडली में यह छोटे भाई-बहनों को भी दर्शाता है। यह हमारी तर्कशक्ति और धारदार उपकरणों पर भी शासन करता है। आश्चर्य नहीं कि कई सर्जनों की कुंडली में मजबूत मंगल प्रमुख रूप से पाया जाता है।
मंगल के हल्के दोषों के उपाय
- हनुमान जी की पूजा करें।
- हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- जातक को अपने भाई-बहनों और मित्रों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए।
- जातक को सोना, चांदी और तांबे को समान मात्रा में मिलाकर बनी अंगूठी को अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
- जातक को विकलांग लोगों को मिठाई दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
- जातक को चांदी पहननी चाहिए, जैसे चांदी की चेन।
- महिलाओं को पायल पहनने से लाभ होता है।
- जातक को देशी घी का हलवा बनाकर हर मंगलवार को स्वयं भी खाना चाहिए और दूसरों को भी बांटना चाहिए।
- दूध में शहद मिलाकर पीने से मंगल मजबूत होता है।
- जातक को मीठी रोटी कुत्तों और कौओं को खिलानी चाहिए।
- यदि घर में कोई विद्युत उपकरण खराब हो गया हो, तो उसे तुरंत ठीक करवाना या घर से हटा देना चाहिए।
मंगल दोषों के उपाय
- मंगल की मूर्ति लाल चंदन से बनानी चाहिए। मंगल को लाल माला और लाल वस्त्रों में, चार भुजाओं में तलवार, कुल्हाड़ी और गदा (गदा) धारण किए हुए तथा एक हाथ में आशीर्वाद की मुद्रा में, एक चारपाया मेष पर सवार रूप में ध्यान करना चाहिए।
- मंगल की पूजा उसी रंग के फूल, वस्त्र, सुगंध, अगरबत्ती, दीपक, हवन सामग्री, धूप, गुग्गुल आदि से करनी चाहिए। मंगल की धातु और मंगल को प्रिय भोजन का दान श्रद्धा से करना चाहिए, जिससे दोष शमन होता है।
- महर्षि पराशर ने कहा है कि मंगल के मंत्र का दस हज़ार बार जाप करना चाहिए।
- मंगल के हवन के लिए प्रयोग की जाने वाली लकड़ी “खैर“ होती है। हवन सामग्री को शहद, घी, दही या दूध में मिलाकर 108 या 28 बार मंत्रों के साथ आहुति देनी चाहिए।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। मंगल दोष के निवारण हेतु हविष्य (खिचड़ी) आवश्यक है। पूजा के बाद यजमान की श्रद्धा के अनुसार और ब्राह्मणों की संतुष्टि हेतु दक्षिणा दी जाती है।
मंत्र जप
आम तौर पर नीचे दिए गए मंत्रों का जाप मंगल दोष को कम करने हेतु किया जाता है। बीज मंत्र अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
मंगल का मंत्र:
- “ॐ भौमाय नमः”
- मंगल का बीज मंत्र:
- “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः”
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लेखक: आनंद सागर पाठक, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें। |