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विधानसभा चुनाव में 31 बार की कोशिश, 2005 में खुला खाता; औरंगाबाद में महिला नेताओं के संघर्ष की कहानी

deltin33 2025-10-8 22:36:38 views 1264

  विस चुनाव में 31 बार की कोशिश में 2005 में मिली सफलता





उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। आजादी के बाद से लेकर वर्ष 2020 तक बिहार विधानसभा के चुनावों में महिलाओं की भागीदारी का आंकड़ा बेहद दिलचस्प है।

इस दौरान औरंगाबाद के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में कुल 31 बार महिला प्रत्याशियों ने विधायक बनने की कोशिश की, लेकिन सफलता केवल एक बार मिली। 2005 में, देव सुरक्षित सीट से रेणु देवी ने जदयू के टिकट पर जीत हासिल की और जिले की पहली महिला विधायक बनीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



बिहार में विधानसभा चुनावों का इतिहास 1951-52 से शुरू होता है, जब पहले चुनाव में जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से कोई महिला प्रत्याशी नहीं थी।

1957 में, नबीनगर विधानसभा क्षेत्र से शांति देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन वे छठे स्थान पर रहीं। उन्हें केवल 3.12 प्रतिशत वोट मिले, जो कि उस समय तक किसी भी महिला प्रत्याशी द्वारा प्राप्त किए गए मतों में सबसे कम थे।



इसके बाद, 1962 से 1972 तक चार चुनावों में कोई महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरी। 1977 में, नबीनगर में अवंतिका शास्त्री और रफीगंज में राधा रानी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों को अपेक्षित सफलता नहीं मिली।

1980 में राधा रानी सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वे भी आठवें स्थान पर रहीं। 1985 में, चंपा देवी और कुसुम देवी ने चुनावी मैदान में कदम रखा।



कुसुम देवी ने ओबरा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और 15.10 प्रतिशत वोट प्राप्त किए, जो उस समय तक किसी महिला प्रत्याशी द्वारा प्राप्त किए गए मतों में सबसे अधिक थे। हालांकि, 1995 में कुसुम देवी को केवल 2645 वोट मिले।

2000 और 2005 के चुनावों में भी कोई महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतरी, लेकिन अक्टूबर 2005 में, रेणु देवी ने देव सुरक्षित सीट से जीत हासिल की और 36.24 प्रतिशत वोट प्राप्त किए।



यह जीत महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। 2010 में, चार विधानसभा क्षेत्रों से कुल पांच महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में थीं।

2015 में, छह महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, और 2020 में नबीनगर से दो और औरंगाबाद से एक महिला प्रत्याशी ने चुनाव में भाग लिया।
बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का विश्लेषण कुछ इस प्रकार है

    वर्ष विस क्षेत्र प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
   
   
   1957
   नबीनगर
   शांति देवी
   निर्दलीय
   2965
   
   
   1977
   नबीनगर
   अवंतिका शास्त्री
   निर्दलीय
   1478
   
   
   1977
   रफीगंज
   राधा रानी सिंह
   निर्दलीय
   1303
   
   
   1980
   औरंगाबाद
   राधा रानी सिंह
   बीजेपी
   820
   
   
   1980
   रफीगंज
   राधा रानी सिंह
   बीजेपी
   181
   
   
   1985
   देव
   चंपा देवी
   निर्दलीय
   582
   
   
   1985
   ओबरा
   कुसुम देवी
   कांग्रेस
   13395
   
   
   1990
   नबीनगर
   विशेश्वरी देवी
   निर्दलीय
   48
   
   
   1990
   औरंगाबाद
   उषा कुमारी
   आईपीएफ
   8859
   
   
   1995
   देव
   सुमित्रा देवी
   बीजेपी
   3934
   
   
   1995
   देव
   फुलवा देवी
   निर्दलीय
   120
   
   
   1995
   रफीगंज
   लीला सिंह
   बीपीपी
   1708
   
   
   1995
   ओबरा
   कुसुम कुमारी यादव
   कांग्रेस
   2645
   
   
   1995
   ओबरा
   सावित्री देवी
   निर्दलीय
   157
   
   
   2005
   देव
   रेणु देवी
   जदयू
   32417
   
   
   2005
   देव
   कुसुम देवी
   लोजपा
   11113
   
   
   2005
   गोह
   उर्मिला देवी
   सीपीआईएमएल
   2878
   
   
   2010
   नबीनगर
   अर्चना चंद्र
   बीएसपी
   11850
   
   
   2010
   गोह
   निर्मला देवी
   एनसीपी
   777
   
   
   2010
   गोह
   कुमारी अनुपम सिंह
   जेएमबीपी
   1508
   
   
   2010
   कुटुंबा
   मनोरमा देवी
   बीएसपी
   3535
   
   
   2010
   रफीगंज
   माधवी सिंह
   कांग्रेस
   6273
   
   
   2015
   गोह
   रीता देवी
   निर्दलीय
   956
   
   
   2015
   ओबरा
   नीलम कुमारी
   एसपी
   1798
   
   
   2015
   ओबरा
   रिचा सिंह
   निर्दलीय
   1868
   
   
   2015
   नबीनगर
   श्वेता देवी
   एएचएफबीके
   569
   
   
   2015
   नबीनगर
   मंजू देवी
   बीएसपी
   17106
   
   
   2015
   रफीगंज
   उषा देवी
   एसएसडी
   1260
   
   
   2020
   नबीनगर
   मालती देवी
   एसपीएल
   556
   
   
   2020
   नबीनगर
   संजू देवी
   निर्दलीय
   1589
   
   
   2020
   औरंगाबाद
   अर्चना देवी
   पीएमएस
   1614
   




इन वर्षों में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं

वर्ष 1951-52 में हुए प्रथम चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ी। ऐसी ही स्थिति वर्ष 1962, 1967, 1969 और 1972 के लगातार चार चुनाव में एक भी महिला किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ी।

इसके अलावा, वर्ष 2000 में हुए चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं उतरीं।
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