महक क्रांति नीति को मंजूरी, सगंध खेती से जुड़ेंगे 91,000 किसान।
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में सुगंध से समृद्धि की ओर तेजी से कदम बढ़ेंगे। कैबिनेट ने इसके लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए उत्तराखंड महक क्रांति नीति पर मुहर लगाई है।
इसके तहत 10 साल में 22750 हेक्टेयर क्षेत्र में सगंध फसलों को बढ़ावा देते हुए इससे 91,000 किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को नर्सरी, कृषिकरण व प्रसंस्करण यूनिट पर कुल लागत का 50 से 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यही नहीं, नौ जिलों के लिए सगंध फसलें व क्षेत्र चिह्नित कर लिए गए हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में इन्हें अरोमा घाटियों के रूप में विकसित किया जाएगा। राज्य में सगंध फसलों को बढ़ावा देने के दृष्टिगत 1127 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। महक क्रांति नीति का लक्ष्य राज्य में सगंध फसलों का सालाना टर्नओवर 1179 करोड़ तक ले जाने का है। यह वर्तमान में 100 करोड़ रुपये के लगभग है।
उत्तराखंड में खेती-किसानी तमाम झंझावत से जूझ रही है। पलायन के कारण बंजर होती कृषि योग्य भूमि, वन्यजीवों से फसल क्षति, मौसम की मार जैसी चुनौतियां मुंहबाए खड़ी हैं। इसे देखते हुए सरकार राज्य में सगंध खेती को बढ़ावा दे रही है।panchkoola-state,Panchkula news,Mata Mansa Devi temple,Navratri festival,Panchkula temple,Hindu pilgrimage,Temple donations,Haryana temples,Religious festival,Kali Mata temple Kalka,Chandi Mata temple,Haryana news
वर्तमान में 109 क्लस्टर में 9713 हेक्टेयर में सगंध खेती हो रही है। लगभग 28000 किसान इससे जुड़े हैं। इस पहल के सार्थक परिणाम को देखते हुए राज्य में इस क्षेत्र को गति देने के लिए महक क्रांति नीति का मसौदा तैयार किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक में कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग की ओर से इस नीति का प्रस्ताव रखा गया।
अपर सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने महक क्रांति नीति समेत पांच अन्य प्रस्तावों पर भी मुहर लगाई।
महक क्रांति नीति के मुख्य बिंदु
- कृषक, कृषक समूह, सहकारी समिति, स्वयं सहायता समूह या कंपनी के पास भूमि का स्वामित्व या न्यूनतम 10 वर्ष के लिए पट्टा अधिकार अनिवार्य।
- आवेदक को न्यूनतम पांच नाली (0.1 हेक्टेयर) में कृषिकरण करना अनिवार्य।
- 50 नाली (01 हेक्टेयर) क्षेत्रफल तक के लिए 80 प्रतिशत अनुदान।
- 50 नाली से अधिक क्षेत्रफल के लिए 50 प्रतिशत होगी अनुदान राशि।
- अधिकतम 30 एकड़ में कोई भी कर सकता है सगंध खेती, 50 प्रतिशत अनुदान 10 एकड़ तक के लिए ही मिलेगा।
- इस पहल से नकदी फसलों के रूप में स्थापित हो सकेंगी सगंध फसलें।
- नीति के क्रियान्वयन से 2.27 करोड़ मानव दिवस होंगे सृजित।
- लगभग 500 एमएसएमई श्रेणी के प्रसंस्करण व आसवन संयंत्र होंगे स्थापित।
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