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मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। राजधानी में इस वर्ष आग लगने की घटनाओं में भले ही पिछले वर्ष के मुकाबले कमी आई हो, लेकिन आगजनी अब भी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। खासकर, सर्दियों के मौसम में आग लगने की घटनाएं बढ़ती हैं क्योंकि लोग रात के समय हीटर जलाकर सोते हैं, जिससे शार्ट सर्किट से लगी आग में दम घुटने से लोगों की मौत हो जाती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दिल्ली फायर सर्विस के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष शहर में आग लगने की 17 हजार से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। इन घटनाओं में 75 लोगों की जान चली गई, जबकि दमकल कर्मियों ने समय रहते कार्रवाई कर 529 लोगों की जान बचाने में सफलता हासिल की।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में दिल्ली में आग लगने की 21 हजार से अधिक घटनाएं सामने आई थीं। उस दौरान आग में झुलसने से 113 लोगों की मौत हुई थी। तुलना करें तो इस वर्ष आग की घटनाओं और मौतों की संख्या में कमी दर्ज की गई है, जिसे दमकल विभाग अपनी बेहतर तैयारियों, त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली और जनजागरूकता अभियानों का परिणाम मान रहा है।
अग्निशमन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इस वर्ष दमकल कर्मियों ने औसतन कम समय में घटनास्थल पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता, दमकल स्टेशनों की संख्या में बढ़ोतरी और कर्मियों को दिए गए नियमित प्रशिक्षण से रिस्पांस टाइम में सुधार हुआ है। इसी का नतीजा है कि सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकी।
हालांकि, आग लगने की घटनाओं के पीछे लापरवाही, अवैध निर्माण, बिजली के खराब तार, शार्ट सर्किट और सुरक्षा मानकों की अनदेखी जैसे कारण अब भी बड़ी वजह बने हुए हैं। खासकर घनी आबादी वाले इलाकों, औद्योगिक क्षेत्रों और अनधिकृत कालोनियों में आग की घटनाएं अधिक सामने आती हैं, जहां दमकल गाड़ियों को पहुंचने में भी कठिनाई होती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, आगजनी की घटनाओं को और कम करने के लिए भवन सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन, नियमित फायर आडिट, लोगों को प्राथमिक अग्निशमन उपायों की जानकारी और आपात स्थिति में त्वरित सूचना देना बेहद जरूरी है। दमकल विभाग ने भी नागरिकों से अपील की है कि वे अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन करें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत 101 नंबर पर सूचना दें।
इस वर्ष आग में झुलसने से हुई मौतें
माह | मौतों की संख्या | | जनवरी | 6 | | फरवरी | 2 | | मार्च | 11 | | अप्रैल | 4 | | मई | 4 | | जून | 12 | | जुलाई | 6 | | अगस्त | 7 | | सितंबर | 0 | | अक्टूबर | 4 | | नवंबर | 13 | | दिसंबर | 6 |
बीते वर्ष आग में झुलसने से हुई मौतें
| माह | मौतों की संख्या | | जनवरी | 16 | | फरवरी | 16 | | मार्च | 14 | | अप्रैल | 4 | | मई | 7 | | जून | 29 | | जुलाई | 1 | | अगस्त | 5 | | सितंबर | 2 | | अक्टूबर | 7 | | नवंबर | 9 | | दिसंबर | 3 |
इस वर्ष आग की घटनाओं में दमकल विभाग द्वारा बचाए गए लोग
| माह | मौतों की संख्या | | जनवरी | 38 | | फरवरी | 43 | | मार्च | 56 | | अप्रैल | 38 | | मई | 71 | | जून | 41 | | जुलाई | 39 | | अगस्त | 67 | | सितंबर | 23 | | अक्टूबर | 74 | | नवंबर | 39 | | दिसंबर | 0 |
ठंड के दौरान आग लगने के मुख्य कारण
- हीटर या ब्लोअर को पर्दों, बिस्तर, कपड़ों और ज्वलनशील वस्तुओं से दूर रखें। सोते समय हीटर चालू न छोड़ें और खराब तारों या ढीले प्लग वाले उपकरणों का इस्तेमाल न करें।
- बंद कमरे में अंगीठी न जलाएं। एलपीजी सिलेंडर, रेगुलेटर और पाइप की नियमित जांच करें। गैस लीक होने पर तुरंत खिड़की-दरवाजे खोलें और बिजली के स्विच न चलाएं।
- ओवरलोडिंग से बचें। एक ही साकेट में कई उपकरण न लगाएं। पुराने या कटे-फटे तार तुरंत बदलवाएं।
- घर और कार्यालय में अग्निशामक यंत्र रखें और उसका सही उपयोग जानें। बच्चों को माचिस और लाइटर से दूर रखें।
- आग लगने पर तुरंत 101 पर दमकल विभाग को सूचना दें और सुरक्षित स्थान पर चले जाएं।
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