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लखनऊ में बाइलाज बदलकर जिला पंचायत अध्यक्ष को दिया मानचित्र पास करने का अधिकार

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जिला पंचायत बोर्ड की बैठक



राजीव बाजपेयी, जागरण, लखनऊ : जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में सोमवार को जिला पंचायत के कर अधिकारी और जिला पंचायत सदस्य के बीच नक्शा स्वीकृति को लेकर जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला, वह ऐसे ही नही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

लखनऊ विकास प्राधिकरण के कार्य क्षेत्र से बाहर आवासीय, व्यावसायिक और शैक्षणिक भवनों के मानचित्रों की स्वीकृति में जिला पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों का दखल बना रहे, इसके लिए जिला पंचायत के बाइलाज में बाकायदा संशोधन किया गया। जनवरी 2023 में हुई बोर्ड बैठक में नियमों में संशोधन करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष को नक्शा पास करने का अधिकार दिया गया। खास बात है कि पूरे प्रदेश में केवल लखनऊ में ही जिला पंचायत अध्यक्ष के पास यह खास अधिकार है।

जिला पंचायत कार्यालय 477 गांवों में नक्शा पास करता है। लखनऊ विकास प्राधिकरण की महायोजना विस्तार क्षेत्र में 197 गांव शामिल हो गए हैं। इसके अलावा शेष गांव यूपीसीडा के पास हैं। लखनऊ के विस्तार के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी रियल एस्टेट कंपनियां, आवासीय कालोनियां, शैक्षणिक संस्थान और अन्य व्यावसायिक काम्प्लेक्स तेजी के साथ बन रहे हैं। इसके कारण मानचित्र के आवेदनों की संख्या भी बढ़ रही है।

जनवरी 2023 से पहले जिले में नक्शों की स्वीकृति का अधिकारी केवल अपर मुख्य अधिकारी के पास होता था। बाइलाज में संशोधन के बाद अपर मुख्य अधिकारी के पास से स्वीकृति के बाद फाइल जिला पंचायत अध्यक्ष के पास जाने लगीं। सोमवार को बोर्ड बैठक में जिस तरह से अधिकारी ने पंचायत सदस्य पर आरोप लगाया वह कोई नहीं बात नहीं है।

इससे पहले जुलाई 2024 में गोसाईगंज से भाजपा की जिला पंचायत सदस्य नीतू रावत ने अध्यक्ष आरती रावत पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शासन में शिकायत की थी। आरोप थे कि आरती ने मद का दुरुपयोग करते हुए वित्तीय अनियमिताओं के साथ मानचित्र पास करने में भी मनमानी की।

नीतू की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शासन ने तत्कालीन डीएम सूर्यपाल गंगवार को जांच सौंपी थी। डीएम की रिपोर्ट पर शासन ने आरती रावत को दोषी पाया और उनके सभी वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिए।

इसके साथ ही शासन ने शशि, पलक रावत और अनीता लोधी की तीन स्तरीय समिति को कार्यवाहक अध्यक्ष के अधिकारी दे दिए। हालांकि, शासन के फैसले के खिलाफ आरती ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 24 जनवरी 2025 को निलंबन की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने उनको राहत दे दी।

आरती को हाई कोर्ट से राहत के बावजूद दूसरी तरफ तत्कालीन मंडलायुक्त डा. रोशन जैकब की पूर्ण जांच जारी रही और गत दो जून को उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत अधिनियम 1961 की धारा 29 के तहत आरती को पद से हटाने के लिए नोटिस जारी कर दी। इसके बाद से मामला लंबित चल रहा है।

राजधानी में सैकड़ों की संख्या में अवैध साइटें चल रही हैं। नोटिस तो जारी होती हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव में कार्रवाई नहीं होती। इस बारे में मंडलायुक्त डा विजय विश्वास पंत का कहना है कि इस बारे में डीएम से बात करूंगा कि क्या समस्या है।
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