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हनीट्रैप का इंटरनेशनल जाल: कंबोडिया-चीन गिरोह ने कानपुर के कारोबारी से उड़ाए ढाई करोड़, क्रिप्टो में बदली ठगी की रकम

LHC0088 Half hour(s) ago views 245
  



जागरण संवाददाता, कानपुर। कंबोडिया के गिराेह ने चकेरी के कारोबारी को हनीट्रैप में फंसाकर ढाई करोड़ रुपये ठगे थे। एक ठग खुद को पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल को अपना दोस्त बता छह माह तक उन्हें ब्लैकमेल करता रहा और 96 बैंक खातों में 109 बार में रुपये ट्रांसफर करा लिए थे। कंबोडिया के इस गिरोह के छह शहर के और एक प्रयागराज का ठग साइबर क्राइम टीम के हत्थे चढ़ गया। इसमें कई खाताधारक हैं, जो चार से आठ प्रतिशत के लालच में अपने खाते में ठगी की रकम मंगवाते थे।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें




इसके बाद सरगना व उसका साथी उन रकम को क्रिप्टो करंसी में बदलकर यूहोम एप के जरिए कंबोडिया और चीन भेजते थे। साइबर टीम एक क्रिप्टो वालेट का विवरण, टेलीग्राम व वाट्सएप चैट, यूएसडीटी ट्रांजेक्शन के लगभग 1.50 करोड़ का रिकार्ड आदि बरामद हुआ है। गिरोह ने ठगी की रकम मंगवाने के लिए तेलंगाना, गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु राज्यों के जिलों के खातों का इस्तेमाल किया था।



ये है पूरा मामला

पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल ने बताया कि लालबंगला के सफीपुर प्रथम निवासी कारोबारी राहुल केसरवानी ने 17 दिसंबर को साइबर क्राइम थाने में धोखाधड़ी व आइटी एक्ट समेत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। उनके मुताबिक, मई में उनके पास फेसबुक में एक युवती की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी, जिसे स्वीकार करने के बाद युवती ने अपना वाट्सएप नंबर देकर बात शुरू कर दी। उसने बातचीत के बाद ‘डीपजीटीपी-इंडिया डाट वीआइपी’ पर निवेश करने पर ज्यादा लाभांश मिलने का लालच दिया। 10 लाख रुपये बताए खाते में ट्रांसफर कर निवेश किया। इसके बाद वेबसाइट पर 10 लाख का 26 लाख दिखाने लगा। इस पर युवती ने उनसे 50 लाख रुपये निवेश करने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

  
इस तरह से फंसाते रहे

इस पर युवती ने कहा कि आप हमारे अच्छे दोस्ते हैं और हम इतना कमा लेते हैं तो मैं खुद आपके नाम से 50 लाख निवेश कर दे रही हूं। इसके बाद वेबसाइट पर एक करोड़ से ज्यादा रुपये दिखने लगे। इसके बाद युवती का पिता बन एक व्यक्ति ने खुद को कर्नल कहा कि बेटी को अपने जाल में फंसाकर 50 लाख रुपये निवेश करा दिए हैं। कानपुर में पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल को अपना दोस्त बताया। जेल भिजवा देंगे और जमानत नहीं होने देंगे। इसके बाद उसने मामले को खत्म करने के लिए लगभग अलग-अलग बैंक खातों में 14 जून से नौ दिसंबर तक यूपीआइ और आरटीजीएस के माध्यम से 109 बार में 2.40 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए थे।

  
खाते की जांच की तो पकड़े गए

पुलिस आयुक्त ने बताया कि साइबर क्राइम टीम ने जिन खातों में रकम ट्रांसफर हुई। उनकी जांच की तो एक खाता इंडिया ओवरसीज बैंक पटकापुर शाखा का निकला। उसका खाताधारक फीलखाना के चटाई मोहाल निवासी विलाल था। टीम ने उससे पूछताछ की तो गिरोह के अन्य सदस्य जाजमऊ के न्य अंबेडकर नगर निवासी मो. आरिफ, बाबूपुरवा निवासी ओसामा, मो. युसुफ, मो. सावेज, मो. फैज अनवर अंसारी, प्रयागराज के करौली जीबीटी नगर कालोनी के अल हुमैद को दबोचा। उनके पास से आठ मोबाइल, 42 बैंक खातों की पासबुक, 10 एटीएम व पैनकार्ड कार्ड, तीन चेकबुक, एक लैपटाप व 15 फोटो पहचान पत्र बरामद हुए।

आठवीं फेल आरिफ कंबोडिया और चीन के गिरोह से करता था चैट


एडीसीपी अंजलि विश्वकर्मा ने बताया कि पकड़े गए लोगों में आरिफ आठवीं फेल है, लेकिन शहर के गिरोह का सरगना वही है। वह कंबोडिया और चीन के एक गिरोह के संपर्क में था। उन्हें अपने साथियों के जरिए बैंक खातों की जानकारी मुहैया करवाता था। इसके लिए वह कंबोडिआ और चीन के गिरोह वाट्सएप चैट पर बातचीत कर जानकारी साझा करता था। उनकी भाषा गूगल ट्रांसलेट से कंवर्ट कर हिंदी में कर लेता था। वह और अन्य साथी कानपुर समेत प्रदेश के कई जिलों और कई राज्यों के लोगों से खाते कुछ रुपयों का लालच देकर किराये पर लेते थे। इसके बाद उन खातों में ठगी की रकम मंंगवाता था। इसके बाद मनीट्रेल रोकने के लिए खाताधारकों से आरिफ नकद रुपये निकलवा लेता था। फिर उन्हें उनका कमीशन देने के बाद रुपये एटीएम से कैश दूसरे खाते में डलवाता था। इसके बाद अल हुमैद के जरिए बाइनेस से क्रिप्टो करंसी में बदलवा लेता था और चीन के यूहोम एप के माध्यम से कंबोडिया और चीन भिजवाता था। अल हुमैद ने खुद को साफ्टवेयर डेवलेपर बताया और कहा कि वह यूएसडीटी का ब्रोकर है।  

  
ऐसे जुड़ते हैं कंबोडिया के गिरोह से लोग

साइबर क्राइम थाना प्रभारी सतीश चंद्र यादव ने बताया कि कंबोडिया में ठगों के कई बड़े गिरोह काल सेंटर संचालित करते हैं। भारत के लोगाें से ठगी करने के लिए हिंदी बोलने वाले की जरूरत होती है तो ऐसे में वे लोग एजेंट के जरिए धोखाधड़ी कर यहां के लोगों को विदेश में नौकरी लगवाने का झांसा देकर बुला लेते हैं। फिर बंधक बनाकर उनसे ठगी कराते हैं। यही नहीं भारत के खातों को किराये पर लेने के लिए टेलीग्राम पर इसकी जानकारी देते हैं और उन्हें ज्यादा रुपये का लालच देते हैं। ऐसे में लोग टेलीग्राम के उनके समूह से जुड़ जाते हैं। फिर आरिफ जैसे लोग उनसे जुड़ते है। खातों की जानकारी, मोबाइल नंबर के साथ ही चीन व कंबोडिया का गिरोह एक एप भी डाउनलोड कराता है,जिसके बाद उस मोबाइल का एक्सेस उनके पास चला जाता है। ठगी की रकम वह खातों में डलवाते हैं।
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