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सांकेतिक तस्वीर।
सोबन सिंह गुसाईं, जागरण देहरादून: डिजिटल लेनदेन, इंटरनेट मीडिया व आनलाइन सेवाओं के बढ़ते इस्तेमाल के बीच साइबर ठगी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। इन पर नियंत्रण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से दिए गए संदेश और जागरूकता अभियानों सहित लोगों की सतर्कता का सकारात्मक असर दिखाई दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस वर्ष अपेक्षाकृत साइबर ठगी के मामलों में कमी देखी गई है। वर्ष 2025 में साइबर ठगी से संबंधित 24442 शिकायतें दर्ज हुई, इनमें से ठगों ने 117 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की। जागरूकता के चलते पीड़ितों ने तत्काल टोल फ्री नंबर 1930 पर संपर्क किया, जिसके चलते 27.2 करोड़ रुपये बचाए गए।
वर्ष 2024 में साइबर ठगी की 25000 शिकायतें आई थी जिसमें 220 करोड़ रुपये की साइबर ठगी जबकि वर्ष 2023 में 21 हजार शिकायत थी जिसमें ठगों ने 55 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की। ठगी की 80 प्रतिशत धनराशि चीन, पाकिस्तान, कंबोडिया व वियतनाम देश पहुंच गई।
डिजिटल अरेस्ट के मामलों में आई कमी
वर्ष 2024 में साइबर ठगों ने ठगी का नया तरीका अपनाया, वह था डिजिटल अरेस्ट। कोरियर में कोई संदिग्ध वस्तु जिसमें फर्जी पासपोर्ट, ड्रग्स व बड़े अपराधियों से संपर्क होने की बात कहकर लोगों को डराया और खातों की जांच के नाम पर उनसे 20 लाख से चार करोड़ रुपये तक ठग लिए।
ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और डराने के लिए गिरफ्तारी का डर दिखाया। गिरफ्तारी के डर से लोग ठगों के झांसे में आए और पूरे जीवन की जमापूंजी साइबर ठगों के खातों में स्थानांतरित कर दी। हालांकि वर्ष 2025 में डिजिटल अरेस्ट के मामले घटकर आठ रह गई।
साइबर अपराध
वर्ष 2025
- 24442 शिकायतें
- 117 करोड़ रुपये की साइबर ठगी
- 27.2 करोड़ रुपये होल्ड कराए
वर्ष 2024
- 25000 शिकायतें
- 220 करोड़ रुपये की साइबर ठगी
वर्ष 2023
- 21 हजार शिकायतें
- 55 करोड़ रुपये ठगे
साइबर ठगों को पकड़ना बड़ी चुनौती
- साइबर ठग जरूरतमंदों को लालच देकर उनके नाम पर सिमकार्ड जारी करवाते हैं और उन्हीं के नाम से खाता खुलवाते हैं, इनमें ही साइबर ठगी की रकम ट्रांसफर होती है, इन पर रोक लगाना बड़ी चुनौती है।
- साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन भारत में खाते खुलवाने वाले ठगों को तो पकड़ लेती है, लेकिन विदेश में बैठे साइबर ठगों तक पहुंचने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किए गए।
- साइबर ठगों के मास्टरमाइंड चीन, पाकिस्तान, कंबोडिया व वियतनाम जैसे देशों में बैठे हैं, उन्हें पकड़ना बहुत मुश्किल है।
- साइबर ठगी के लिए विदेशों में नई-नई एप तैयार की जा रही है जोकि प्ले स्टोर से आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इन पर रोक नहीं लग पा रही है।
- बड़ी साइबर ठगी होने पर साइबर ठग कुछ ही घंटों में कई खातों में रकम ट्रांसफर कर देते हैं, ऐसे में एक साथ सभी खातों का पता लगाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है।
- पुलिस विभाग के पास संसाधन व मानवशक्ति की काफी कमी है। तत्काल कार्रवाई करने के लिए मानवशक्ति को बढ़ाने की जरूरत है।
नए साल की उम्मीदें
- बढ़ती साइबर अपराध की घटनाओं को देखते हुए प्रदेश का पहला साइबर एक्सीलेंस सेंटर देहरादून में खोला जाएगा। सेंटर में पुलिसकर्मियों को साइबर अपराधियों से लड़ने का प्रशिक्षण दिया जाएगा वहीं अपराध पर शोध भी होगा।
- उत्तराखंड पुलिस में वर्ष 2024 में 2000 सिपाहियों की भर्ती शुरू हुई है, जो वर्ष 2026 में ट्रेनिंग के बाद ड्यूटी पर उपस्थित होंगे। विभाग को काफी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि मौजूदा में विभाग पुलिसकर्मियों की कमी का सामना कर रहा है। विभाग से बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिसके चलते मानव संसाधन की काफी कमी चल रही है।
- साइबर ठगी के मामलों को देखते हुए कांट्रेक्ट पर साइबर एक्सपर्ट की नियुक्ति की जा रही है। साइबर एक्सपर्ट विवेचकों का सहयोग करेंगे।
जागरूकता से ही साइबर ठगी के केसों में कमी आ सकती है। हालांकि वर्ष 2024 के मुकाबले वर्ष 2025 में साइबर ठगी के केसों में कमी आई है। इस साल निवेश के नाम पर ठगी के अधिक मामले देखने को मिले। कुछ लोग छोटे-मोटे लालच में आकर अपनी जिंदगी भर की कमाई डूबो देते हैं। ऐसे में आनलाइन निवेश करने से पहले जरूर इसकी सत्यता का पता लगाएं।
- नवनीत भुल्लर, एसएसपी, एसटीएफ
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