असम पुलिस ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए बांग्लादेशी चरमपंथी संगठन से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह मॉड्यूल जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश JBM के एक हिस्से IMK से संबंधित है। इस कार्रवाई के तहत सोमवार को असम पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक साथ कई जगहों पर छापेमारी की। इन छापों में त्रिपुरा के एक व्यक्ति समेत 11 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है।
11 लोग हुए गिरफ्तार
इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पार्थसारथी महंत ने बताया कि, STF ने ये गिरफ्तारियां केंद्रीय एजेंसियों से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर की हैं। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच जारी है और नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भी तलाश की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि असम से गिरफ्तार किए गए संदिग्धों में नसीम उद्दीन उर्फ नजीमुद्दीन उर्फ तमीम (24), जुनाब अली (38), अफराहिम हुसैन (24), मिजानुर रहमान (46), सुल्तान महमूद (40), मोहम्मद सिद्दीक अली (46), राशिदुल आलम (28), महिबुल खान (25), शाहरुख हुसैन (22) और मोहम्मद दिलबर रजाक (26) शामिल हैं। इसके अलावा, अधिकारी ने बताया कि जागीर मियां (33) को त्रिपुरा से गिरफ्तार किया गया है।
बांग्लादेश से निकला बड़ा कनेक्शन
पुलिस ने मंगलवार को बताया कि खुफिया जानकारी के मुताबिक यह नेटवर्क इमाम महमूदुर काफिला (IMK) से जुड़ा हुआ है। IMK को बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) की एक शाखा माना जाता है। पुलिस का कहना है कि यह संगठन ‘गज़वतुल हिंद’ जैसी चरमपंथी सोच को फैलाने की कोशिश कर रहा है और पिछले साल बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है।
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किया जा रहा ब्रेन वॉश
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों में से नसीम उद्दीन, जो बारपेटा रोड का रहने वाला है, को IMK के असम मॉड्यूल का सरगना माना जा रहा है। बताया गया है कि दो बांग्लादेशी नागरिक — उमर और खालिद को राज्य में इस नेटवर्क की गतिविधियों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, यह नेटवर्क असम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा तक फैला हुआ था। जांच में सामने आया है कि IMK से जुड़े लोग युवाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे थे। इन्हीं प्लेटफॉर्म्स के जरिए बातचीत, नई भर्ती और दिमागी तौर पर प्रभावित (ब्रेनवॉश) किया जाता था।
रिपोर्ट के मुताबिक, IMK के नेतृत्व द्वारा लिखा गया चरमपंथी साहित्य डिजिटल रूप से फैलाया जाता था, ताकि युवाओं को कट्टर सोच की तरफ मोड़ा जा सके। कई युवाओं को वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए संगठन के प्रति वफादारी की कसम दिलाई गई, जिन्हें बाद में बांग्लादेश में बैठे हैंडलर्स को भेजा जाता था। सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि इस नेटवर्क का निशाना असम के बारपेटा और चिरांग जिले, साथ ही पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके थे। जांच में यह भी पता चला है कि इस आतंकी मॉड्यूल से जुड़े लोग स्थानीय मस्जिदों में गुप्त बैठकें करते थे। आरोप है कि पिछले साल दिसंबर में बारपेटा में हुई एक ऐसी बैठक में वक्ताओं ने सशस्त्र संघर्ष की बात की थी और भारत में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने का आह्वान किया था।
बांग्लादेश जाने को लेकर शक
जांच एजेंसियों को शक है कि असम के कुछ आरोपी वैध पासपोर्ट और वीजा के जरिए बैठकों और ट्रेनिंग में शामिल होने के लिए बांग्लादेश गए थे। खुफिया जानकारी के मुताबिक, इस साल अप्रैल में कम से कम दो संदिग्ध ऑपरेटिव मेघालय के रास्ते बांग्लादेशी हैंडलर्स से संपर्क बनाने पहुंचे थे। यह भी सामने आया है कि संगठन ने बांग्लादेश में ‘हिजरत’ (प्रवासन) को बढ़ावा दिया और हथियारों से जुड़ा चरमपंथी कंटेंट फैलाया। बताया गया कि यह सामग्री पहले सीमा पार IMK से जुड़ी गतिविधियों के दौरान बरामद किए गए कंटेंट से मिलती-जुलती थी।
जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि IMK की गतिविधियों के लिए पैसा हवाला नेटवर्क, नकद जमा और बैंक ट्रांसफर के जरिए जुटाया जाता था। यह पैसा असम और त्रिपुरा से इकट्ठा किया जाता था और बाद में ट्रेनिंग और दूसरे इंतजामों के लिए बांग्लादेश भेजा जाता था। अधिकारियों के मुताबिक, इस नेटवर्क के जरिए लाखों रुपये का लेन-देन हुआ है। फिलहाल जांच जारी है, ताकि इस मामले से जुड़े अन्य लोगों, पैसों के रास्तों और सीमा पार संपर्कों की पूरी जानकारी जुटाई जा सके। |