अभी भी जलवायु जोखिमों से निपटने के लिए तैयार नहीं दिल्ली। बाढ़ की फाइल फोटो
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में आज भी अपना \“पुख्ता\“ क्लाइमेट एक्शन प्लान नहीं है। तीन साल में दो बार दिल्ली बाढ़ का दंश झेल चुकी है। कमोबेश हर साल मानसून की वर्षा में जलभराव से जनजीवन अस्तव्यस्त होता है। बिजली की मांग हर वर्ष नया रिकाॅर्ड बना रही है। गर्मियों के तापमान में वृद्धि हो रही है। लचर सार्वजनिक परिवहन सेवा के चलते सड़कों पर जाम खत्म नहीं हो रहा। वायु प्रदूषण हर बार सर्दियों में दिल्ली को गैस चैंबर बना देता है। इसके बावजूद जलवायु जोखिमों से निपटने के मामले में राजधानी आज भी लाचार नजर आती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
क्या है क्लाइमेट एक्शन प्लान?
क्लाइमेट एक्शन प्लान चरम मौसमी घटनाओं के प्रभाव को ध्यान में रख कर इनका असर कम करने और उसके अनुरूप खुद को ढालने की प्रवृत्ति (मिटिगेशन और एडोप्टेशन) के आधार पर तैयार किया जाता है। मसलन, गर्मियों और सर्दियों में कितने तापमान पर कौन-कौन से विभाग उठाएंगे क्या-क्या कदम और जनता के लिए जारी की जाएगी क्या एडवाइजरी। यह प्लान अत्यधिक गर्मी, सर्दी और बारिश के प्रकोप से दिल्ली वासियों को बचाने के लिए हर विभाग की भूमिका और उसकी जिम्मेदारी तय करता है। बाढ़, भूकंप, सूखा, अत्यधिक बारिश, वायु प्रदूषण, बादल फटना, ग्लेशियर पिघलना इत्यादि आपदाएं अक्सर देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही हैं। इनसे बचाव के लिए आपदा प्रबंधन के साथ-साथ विभिन्न परियोजनाओं को लेकर कुछ नीतिगत परिवर्तन भी जरूरी हो गए हैं।
2010 में भी बना था एक प्लान
दिल्ली का एक क्लाइमेट एक्शन प्लान 2010 में भी बना था, लेकिन वह कभी फाइलों से ही बाहर नहीं आया। फिर 2019 में आप सरकार ने 247 पेज का क्लाइमेट एक्शन प्लान जारी किया, वो 2011 के आंकड़ों पर आधारित था, इसलिए व्यावहारिक साबित नहीं हुआ।
इन सात क्षेत्रों पर होगा सर्वाधिक फोकस
- बिजली क्षेत्र से किस तरह प्रकृति पर असर पड़ रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है. उससे कैसे निपटा जा सकता है।
- कचरा प्रबंधन पर काम किया जाएगा. क्योंकि कूड़े की बदबू से वायु दूषित होती है. दिल्ली में कूड़े के पहाड़ बड़ी समस्या है।
- जल प्रदूषण यानी यमुना नदी का पानी बहुत ज्यादा प्रदूषित होता है। यमुना नदी व भूजल को दूषित होने से कैसे बचाया जाएगा।
- ग्रीन बेल्ट बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार व्यवस्थित तरीके से पौधारोपण कर रही है। जिन इलाकों में कम पौधे हैं, वहां भी पौधारोपण करेंगे।
- ट्रांसपोर्ट के कारण हो रहे प्रदूषण को कैसे कम करें. 100 प्रतिशत दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन की फ्लीट इलेक्ट्रिक हो, इसके लिए काम किया जा रहा है।
- कृषि से किस तरह पर्यावरण पर असर पर रहा है, पराली व खेत के अन्य अपशिष्ट जलाने से वायु प्रदूषण होता है।
- जलवायु परिवर्तन का लोगों की सेहत पर क्या असर पड़ रहा है, उसे कैसे कंट्रोल किया जाए. अस्पतालों में क्या व्यवस्था होनी चाहिए।
विशेषज्ञ भी क्लाइमेट एक्शन प्लान को लेकर गंभीर
स्काईमेट वेदर में जलवायु परिवर्तन एवं मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत कहते हैं, दुनिया भर की तरह दिल्ली भी ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन का सामना कर रही है। तापमान ही नहीं, हर साल गर्मी और लू का असर बढ़ रहा है। यह पिछले डेढ़ दो दशक से ज्यादा हो रहा है। अधिकतम तापमान 50 डिग्री के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने को है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि शहर में साल दर साल वर्षा की मात्रा और पैटर्न में बदलाव आ रहा है।
पेयजल का भी संकट
पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ कहते हैं, शहर से झीलें और जलाशय गायब होते जा रहे हैं। भूजल स्तर भी गिर रहा है, जिससे पीने के पानी का गंभीर संकट पैदा हो रहा है।
...तो कैसे होगी ग्लोबल वार्मिंग से रक्षा
पर्यावरण कार्यकर्ता भवरीन कंधारी कहती हैं, शहर की जलवायु में गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक है तेज़ी से हो रहा शहरीकरण और शहर के अंदर अरावली पर्वतमाला जैसे प्राकृतिक स्थानों का कंक्रीटीकरण। कुछ दिन पहले द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए द्वारका में बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए थे। अगर हम अपना सारा हरित क्षेत्र मिटा देंगे, तो ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों से हमारी रक्षा करने वाला कुछ भी नहीं बचेगा।
\“संशोधनों के बाद ही लागू हाेगा प्लान\“
दिल्ली सरकार का कहना है कि क्लाइमेट एक्शन प्लान विभिन्न संशोधनों के बाद ही क्रियान्वित किया जाएगा। इसमें बढ़ते हीट-स्ट्रेस, शहरी बाढ़, जल-संकट और ऊर्जा-मांग में वृद्धि से जन-स्वास्थ्य व आधारभूत ढांचे पर पड़ने वाले खतरों को भी शामिल किया जाएगा।
प्लान को लेकर पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक के दौरान दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने प्लान के हर पहलू पर विचार विमर्श किया। ऊर्जा एवं बिजली चर्चा में एलईडी बल्ब-विस्तार, स्मार्ट मीटरिंग, बिजली आपूर्ति दक्षता और ग्रीन माबिलिटी के लिए चार्जिंग ढांचे की प्रगति पेश की गई। नवीकरणीय ऊर्जा बढ़ाने और हीट वेव झेलने के लिए ग्रिड मजबूती के उपाय भी सामने रखे गए।
खेती के तरीकों को रेखांकित किया
शहरी नियोजन में ठोस-कचरा प्रबंधन, पुरानी डंपसाइट की बायो-माइनिंग, सीएंडडी, ई-कचरा निपटान, साथ ही नालियों के सुधार और यमुना फ्लड प्लेन की सुरक्षा पर चर्चा हुई। परिवहन सत्र में निजी वाहन निर्भरता कम करने, स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन-बेड़े व चार्जिंग नेटवर्क बढ़ाने की रणनीति पर विचार हुआ। स्वास्थ्य प्रस्तुति में हीट अलर्ट प्रणाली और रोग निगरानी मजबूत करने के कदम शामिल थे। साथ-साथ, वन व जैव-विविधता, कृषि-बागवानी और जल क्षेत्र पर भी चर्चा हुई। इसमें वृक्षारोपण अभियानों, जल-निकाय पुनर्जीवन, भू-जल प्रबंधन और पानी की बचत वाले खेती के तरीकों को रेखांकित किया गया।
पारदर्शी रखने के निर्देश दिए गए
यमुना कार्य-योजना, हीट एक्शन प्लान और वायु-प्रदूषण शमन योजना को पारस्परिक रूप से महत्वपूर्ण बताते हुए प्रगति-निगरानी को पारदर्शी रखने के निर्देश दिए गए। डीपीसीसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने 2050 तक जलवायु पूर्वानुमान और विभिन्न क्षेत्रों में अपनाए जाने वाले अनुकूलन और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के उपायों से अवगत कराया।
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