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Lata Mangeshkar ने बनाई थी बॉलीवुड की ये धुरंधर जोड़ी, दशकों तक किया म्यूजिक इंडस्ट्री पर राज

deltin33 4 hour(s) ago views 644

  

लता मंगेशकर की वजह से मिले थे ये लीजेंडरी म्यूजिशियन



एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। \“एक दो तीन\“, \“डफली वाले\“ और \“अमर अकबर एंथनी\“ये क्लासिक गाने पीढ़ी दर पीढ़ी गूंजते रहते हैं, जो महान संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की प्रतिभा का प्रमाण है। दोस्ती से उपजी और जुनून से भरपूर उनकी पार्टनरशिप ने लक्ष्मीकांत के अचानक निधन तक लगभग तीन दशकों तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

1937में दिवाली के दिन जन्मे लक्ष्मीकांत शांताराम कुडलकर ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था। परिवार की आर्थिक तंगी को देखते हुए, उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अपने पिता के दोस्त से मैंडोलिन सीखना शुरू कर दिया। संगीत की दुनिया में यह उनका पहला कदम था।

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कहां हुई दोनों की मुलाकात

महान संगीत जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की मुलाकात लता मंगेशकर की वजह से हुई थी। उन्होंने एक संगीत समारोह में लक्ष्मीकांत को मैंडोलिन बजाते हुए देखा, वे बहुत प्रभावित हुईं और उन्हें अपने परिवार की संगीत अकादमी, सुरील कला केंद्र, में दाखिला दिलाया। यहीं पर लक्ष्मीकांत (जो उस समय 10 साल के थे) की मुलाकात छोटे प्यारेलाल (जो 7 साल के थे) से हुई।

प्रसिद्ध मैंडोलिन वादक हुसैन अली से दो साल तक ट्रेनिंग लेने के बाद, लक्ष्मीकांत ने आजीविका के लिए भारतीय शास्त्रीय संगीत समारोहों का आयोजन शुरू किया। बचपन में, उन्होंने भक्त पुंडलिक और आंखें (1949) जैसी फिल्मों के साथ-साथ कुछ गुजराती फिल्मों में भी अभिनय किया। राजीव विजयकर की किताब \“लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत\“ के अनुसार, दोनों की पहली मुलाकात बचपन में हुई थी। लक्ष्मीकांत उस समय 10 साल के थे और प्यारेलाल सिर्फ 7 साल के।

  
लता मंगेशकर ने दिलवाया इंडस्ट्री में पहला मौका

उनकी मुलाकात मंगेशकर परिवार की संगीत अकादमी, सुरील कला केंद्र में हुई। हृदयनाथ और उषा मंगेशकर के साथ, वे स्टेज शो में परफॉर्म देते थे और अक्सर बाद में लंबी सैर पर निकल पड़ते थे। ये वो पल थे जब उन्होंने साथ मिलकर अपनी शुरुआती धुनें रची थीं। उनकी प्रतिभा ने जल्द ही लता मंगेशकर का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने रेडियो क्लब में एक परफॉर्मेंस के दौरान लक्ष्मीकांत को मैंडोलिन बजाते हुए देखा। प्रभावित होकर, उन्होंने उस समय के महान संगीतकारों - शंकर-जयकिशन, गुलाम मोहम्मद और जयदेव - से उनकी सिफारिश की और इस तरह भारतीय सिनेमा में लीजेंडरी म्यूजिशियन जोड़ी का उदय हुआ।

  

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल एक भारतीय संगीतकार जोड़ी थी, जिसमें लक्ष्मीकांत शांताराम कुडालकर (1937-1998) और प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा (जन्म 1940) शामिल थे। 1963 से 1998 तक के अपने करियर में, उन्होंने कई दिग्गज फिल्म निर्माताओं के साथ काम करते हुए लगभग 750 फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया।
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के गाने

मन क्यों बहका रे बहका

धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले

हंसता हुआ नुरानी चेहरा

एक दो तीन

लंबी जुदाई

छुप गए सारे नजारे

इलुइलु

अमर अकबर एंथनी
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