LHC0088 • 2025-12-30 19:55:21 • views 816
भारतीय महिला खिलाड़ियों ने दिखाया दम
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। बात चाहे क्रिकेट के मैदान की हो या मुक्केबाजी रिंग की, शतरंज की बिसात पर माथापच्ची करने की या कुश्ती के मैट पर दांव-पेज की, साल 2025 में इन सभी जगह भारतीय महिलाओं ने वो कर दिखाया जो आसान नहीं था और जिसकी उम्मीद न के बराबर थी। इस साल भारतीय महिला खिलाड़ियों ने ऐसी-ऐसी उपलब्धियां हासिल की हैं जो दूर की कौड़ीं साबित हो रही थीं और इसी के साथ उन्होंने बताया है कि नारी शक्ति को रोक पाना अब मुमकिन नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जो 2025 में हुआ वो अद्भुत था और इसलिए आने वाले साल यानी 2026 में भी उम्मीद है कि भारतीय महिलाएं खेल के मैदान पर अपनी ताकत दिखाएंगी। 2026 में मौके 2025 से ज्यादा होंगे। कॉनवेल्थ गेम्स से लेकर एशियन गेम्स और क्रिकेट वर्ल्ड कप तक में भारतीय महिलाओं का पराक्रम पूरी दुनिया देखेगी। साल 2025 में भारत की महिला खिलाड़ियों ने कहां-कहां, क्या-क्या हासिल किया बताते हैं आपको।
हरमनप्रीत कौर की टीम ने खत्म किया सूखा
हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका को हरा पहली बार वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीता। ये उपलब्धि इस साल की भारतीय महिला खिलाड़ियों की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जाए तो गलत नहीं होगा। बीते दो मौकों पर साल 2005 और 2017 में भारत को निराश हाथ लगी थी। इस बार भारत ने ये सूखा खत्म किया और ताज पहना। पूरा देश भारत की बेटियों को सलाम कर रहा था।
जो काम हरमनप्रीत कौर की टीम ने किया वही काम दीपिका टीसी की टीम ने किया। दीपिका की टीम दृष्टिबाधित वर्ल्ड कप जीतने में सफल रही है। इस टीम ने फाइनल में श्रीलंका को मात दी थी।
दिव्या देशमुख का जलवा
शतरंज की बिसात पर बाजी जीतना धैर्य, दिमागी ताकत और जाल बुनने की कला को दर्शाता है। सफेद और काले मोहरों के इस खेल में कब, कहां किसे पटखनी देनी है और कब किसका कैसे इस्तेमाल करना है ये सीखना आसान नहीं होता। ऐसे में जब कोई महज 19 साल की उम्र में वर्ल्ड कप अपने नाम करता है तो तारीफ में तालियां लगातार बजती रहती हैं। दिव्या देशमुख ने यही काम किया था। उन्होंने इस साल वर्ल्ड कप जीता और ये खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला शतरंज खिलाड़ी बनीं।
शीतल देवी ने भी दिखाया दम
तीरंदाजी में सटीक निशाना बहुत मुश्किल है और ये तब और भी मुश्किल हो जाता है जब निशाना हाथ से नहीं लगाना हो। भारत की पैरा निशानेबाज शीतल देवी ने अपने पैरों के दम पर ऐसा निशाना लगाया कि दुनिया देखती रह गई। महज 18 साल की ये खिलाड़ी भारत की पहली तीरंदाज बनी जिसने पैरा वर्ल्ड चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था।
मुक्केबाजी रिंग में भी बिखेरी चमक
बॉक्सिंग रिंग में जहां भारत के पुरुष मुक्केबाजों के लिए जीतना बहुत ही मुश्किल साबित हुआ वहीं महिला मुक्केबाजों ने तहलका मचा दिया। जैसमिन लाम्बोरिया और मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत देश की सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। जैसमिन से भारत को 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों में भी पदक की उम्मीद है।
मीराबाई चानू का एकतरफा राज
टोक्यो ओलंपिक-2020 में भारत को वेटलिंफ्टिंग में सिल्वर मेडल दिलाने वाली मीराबाई चानू का इस साल भी जलवा देखने को मिला। चानू ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया और कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में भी वह पीठ में दर्द के बाद भी गोल्ड जीतने में सफल रहीं।
अंतिम ने कुश्ती में किया कमाल
कुश्ती के मैट पर भी भारतीय महिलाओं ने दम दिखाया और इसमें सबसे बड़ी उम्मीद बनकर उभरी अंतिम पंघाल। वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली अंतिम ने उम्मीद जताई है वह देश को 2028 में ओलंपिक मेडल भी दिला सकती हैं। अंतिम की सफलता इसलिए और ज्यादा जश्न मनाने लायक है क्योंकि इस साल भारतीय कुश्ती में डोपिंग का साया काफी गहरे तरीके से मंडराया था।
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