सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, एटा। कड़ाके की ठंड और शीतलहर के चलते बुजुर्गों और गंभीर रोगियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ठंड की वजह से सांस संबंधी बीमारियों में इजाफा हो रहा है। इसी बीच सोमवार को सांस लेने में गंभीर तकलीफ के चलते दो बुजुर्गों की मौत हो गई, जबकि एक टीबी मरीज की भी जान चली गई। तीनों मरीजों को हालत बिगड़ने पर स्वजन द्वारा मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में लाया गया था, लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शिवसिंहपुर के वृद्ध को सांस लेने की बढ़ी थी परेशानी
ठंड बढ़ने के साथ ही बुजुर्गों में सांस फूलना, सीने में जकड़न और खांसी की समस्या तेजी से सामने आ रही है। सांस लेने में परेशानी के चलते हालत बिगड़ने पर सोमवार तड़के छह बजे साहब सिंह 80 वर्ष निवासी शिवसिंहपुर को मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में लाया गया, डाक्टरों ने जांच करने के बाद मृत घोषित कर दिया।
जबकि सुबह साढे छह बजे अमित कुमार 65 वर्ष निवासी बाबरपुर को स्वजन लेकर इमरजेंसी आए। चिकित्सकों ने इलाज शुरू करने के लिए जांच आदि की तो पता चला कि सांसें थम चुकी हैं। दोनों के स्वजन ने बताया कि सांस देने में तकलीफ हो रही थी। तब मेडिकल कालेज लेकर आए लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही दम तोड़ दिया। चिकित्सकों के अनुसार ठंड और पहले से मौजूद बीमारियों के कारण उनकी स्थिति काफी नाजुक थी।
वृंदावन में टीबी का इलाज करा रहे कीलरमऊ के बुजुर्ग
बागवाला क्षेत्र के गांव कीलरमऊ निवासी भजन लाल 60 वर्ष टीबी मरीज थे। इनको स्वजन सोमवार की दोपहर करीब एक बजे तबियत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज लेकर आए। लेकिन उपचार शुरू होने से पहले ही दम तोड़ चुके थे। स्वजन ने बताया कि टीबी का इलाज वृंदावन में चल रहा था, सांस लेने में दिक्कत और घबराहट होने पर इमरजेंसी लेकर आए लेकिन बचाया नहीं जा सका।
सांस रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी
मौसम खराब होने के चलते मेडिकल कालेज में सांस रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सोमवार को ओपीडी में कुल 2200 मरीजों ने पंजीकरण कराया। इनमें से टीबीसीडी (टीबी एवं चेस्ट डिजीज) ओपीडी में 150 मरीज सांस संबंधी समस्याओं को लेकर पहुंचे। डॉ. संतोष सिंह का कहना है कि ठंड के मौसम में दमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस और टीबी से ग्रसित मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ठंडी हवा फेफड़ों पर सीधा असर डालती है, जिससे सांस की नली सिकुड़ जाती है और सांस लेने में दिक्कत बढ़ जाती है। बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों में इसका खतरा ज्यादा रहता है। सलाह दी है कि ऐसे मरीज सुबह और रात के समय बाहर निकलने से बचें, गर्म कपड़े पहनें और नियमित दवाइयों का सेवन करें। |
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