search

उत्तराखंड में आतंक मचाने वाला काला हिमालयन भालू देहरादून चिड़ियाघर में, सेब और अमरूद का ले रहा स्वाद

deltin33 2025-12-29 20:27:21 views 192
  

पोखरी के मोहनखाल में पिजरे में बंद भालू। जागरण



विजय जोशी, जागरण: देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इन दिनों भालुओं की दहशत है। आए दिन भालू के हमलों की घटनाएं सामने आ रही हैं। कई जगह भालू पिंजरे में कैद भी हो रहे हैं। चमोली जनपद के पोखरी क्षेत्र में दहशत का कारण बने काले हिमालयन भालू को वन विभाग की टीम ने पिंजरे में कैद कर देहरादून लाई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उसे चिड़ियाघर में सुरक्षित बाड़े में छोड़ा गया है, जहां उसके स्वभाव और व्यवहार पर लगातार नजर रखी जा रही है। पहाड़ों में खाने की तलाश में भटक रहे भालू को देहरादून में सेब और अमरूद खूब भा रहे हैं। खीरा, गाजर और सेब भी उसके आहार में शामिल हैं।

देहरादून चिड़ियाघर के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. प्रदीप मिश्रा के अनुसार भालू पूरी तरह शांत है और सामान्य व्यवहार कर रहा है। उसे फल और सब्जियां दी जा रही हैं, जिनमें अमरूद अधिक पसंद आ रहा है।

करीब साढ़े पांच फीट लंबा और लगभग 110 किलो वजनी यह काला हिमालयन भालू स्वस्थ है, हालांकि इंसानों को अचानक देखकर आत्मरक्षा में हमला करने की प्रवृत्ति बनी रह सकती है। चिड़ियाघर प्रशासन फिलहाल कुछ दिनों तक भालू को यहीं रखने की तैयारी में है।

उसके खानपान और दिनचर्या पर नियमित नजर रखी जा रही है। साथ ही नाइट शेल्टर में भालू के आराम के पर्याप्त व्यवस्था कर दी गई हैं। हालांकि, भालू को चिड़ियाघर में पर्यटकों के लिए नहीं खोला जाएगा।
केंद्र से अनुमति मिली को दून में ही रहेगा

देहरादून चिड़ियाघर में पहले से ही एक काले हिमालयन भालू को रखने की योजना है, लेकिन इसके लिए राष्ट्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति ली जाएगी। अनुमति मिलने की स्थिति में पोखरी से लाए गए भालू को स्थायी रूप से यहीं रखा जा सकता है।
पर्याप्त भोजन न मिलने से गांवों का रुख कर रहे भालू

विशेषज्ञों का मानना है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहने वाले हिमालयन भालुओं को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते वे भोजन की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं। इस दौरान मानव-भालू संघर्ष बढ़ रहा है।

वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. प्रदीप मिश्रा के अनुसार अब तक की घटनाओं से साफ है कि भालू इंसान को भोजन समझकर नहीं, बल्कि खतरा मानकर आत्मरक्षा में हमला कर रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन इस समस्या का बड़ा कारण हो सकता है।

पहाड़ों में भालुओं का प्राकृतिक भोजन जैसे बांज के बीज, रिंगाल की पत्तियां और अन्य फूल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। नतीजतन भालू निचले इलाकों और आबादी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

यह भी पढ़ें- नहीं थम रहे भालुओं के हमले...देवप्रयाग में भालू ने ग्रामीण पर किया हमला, हालत नाजुक

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में दिन में मौज-मस्ती कर रहे सैलानी, रात में भगा रहे हैं भालू

यह भी पढ़ें- केदारनाथ धाम के लिनचोली में भालू का आतंक, दुकान का दरवाजा तोड़कर घुसा अंदर; वीडियो हो रहा वायरल
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1310K

Threads

0

Posts

4010K

Credits

administrator

Credits
405956

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com