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ओल चिकी संताल समाज का आत्मसम्मान, गुरु गोमके की देन को शताब्दी पर नमन: राज्यपाल

deltin33 2025-12-29 18:57:32 views 84
  

जमशेदपुर आगमन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित करते राज्यपाल संतोष गंगवार।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने संताली लिपि ओल चिकी को राज्य की सांस्कृतिक पहचान का मजबूत आधार बताते हुए कहा कि यह केवल लिखने की प्रणाली नहीं, बल्कि संताल समाज के आत्मसम्मान, गौरव और परंपराओं का प्रतीक है। वे सोमवार को जमशेदपुर के करनडीह में आयोजित ओल चिकी लिपि के 100 वर्ष पूर्ण होने के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे।    उन्होंने ओल चिकी लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू (गुरु गोमके) की दूरदर्शिता और संघर्ष को नमन किया। राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 1925 में आरंभ हुआ ओल चिकी का यह सफर आज एक ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंच चुका है।   
भाषा और लिपि से बनती है पहचान   जिस दौर में संसाधनों का अभाव था, उस समय गुरु गोमके ने संताली भाषा के लिए एक वैज्ञानिक और सुव्यवस्थित लिपि का निर्माण किया। यह उनकी विद्वता, सामाजिक चेतना और अपने समाज के प्रति अटूट समर्पण का प्रमाण है।    आज 100 वर्ष बाद ओल चिकी न केवल झारखंड, बल्कि देश और दुनिया में संताल समाज की सशक्त आवाज बन चुकी है। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी समाज की पहचान उसकी भाषा और लिपि से होती है।   
राष्ट्रपति की उपस्थिति से बढ़ा समारोह का गौरव   झारखंड विविध जनजातीय संस्कृतियों और भाषाओं का संगम है और ओल चिकी ने संताली भाषा को एक नई मजबूती दी है। उन्होंने कहा कि यह लिपि संताल समाज को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य कर रही है।    राज्यपाल ने जनजातीय समाज से आह्वान किया कि वे अपनी भाषा और लिपि को सहेजें, अपनाएं और दैनिक जीवन में उसका अधिक से अधिक प्रयोग करें, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी रहें।   
संस्कृति और आदिवासी पहचान के संरक्षण के प्रयासों को सराहा   राज्यपाल ने कहा कि शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की गरिमामयी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी ऐतिहासिक बना दिया है। उन्होंने कहा कि यह पूरे जनजातीय समाज के लिए गर्व का विषय है कि देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति स्वयं इस महान विरासत का प्रतिनिधित्व करती हैं।    राज्यपाल ने राष्ट्रपति द्वारा भाषा, संस्कृति और आदिवासी पहचान के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया।

संवाद, तकनीक और समन्वय से होगा विकास
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने युवाओं से अपील की कि वे तकनीक के युग में ओल चिकी लिपि को और अधिक सशक्त बनाएं। उन्होंने कहा कि जब भाषा विकसित होती है, तो विचार, साहित्य और संस्कृति स्वतः सुरक्षित होती है।    कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी संताली साहित्य और संस्कृति के विकास में योगदान देने वाले व्यक्तित्वों के प्रति सम्मान व्यक्त किया। करनडीह में उमड़े हजारों लोगों की मौजूदगी ने समारोह को ऐतिहासिक और स्मरणीय बना दिया।

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