Livestock Health in Winter: कई पशु बीमार भी पड़ रहे हैं, जिससे दूध उत्पादन में अचानक गिरावट आ रही है। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, मधुबनी। Milk Production Decline Winter: कई इलाकों में लोगों की रोज की शिकायत बन चुकी है—आज दूधवाला नहीं आया, कल आएगा… कभी दूध आधा, तो कभी सप्लाई ही बंद। अक्सर लोग इसे दूधवाले की लापरवाही समझते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। दरअसल, दूध की अनियमित सप्लाई का सीधा संबंध मौजूदा मौसम और शीतलहर से है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ठंड का असर सीधे गाय-भैंसों पर
पिछले कुछ दिनों से जारी कड़ाके की ठंड और शीतलहर का सबसे ज्यादा असर दुधारू मवेशियों पर पड़ रहा है। पशुपालकों के अनुसार ठंड बढ़ते ही गाय-भैंसों के दूध देने की क्षमता कम हो जाती है। कई पशु बीमार भी पड़ रहे हैं, जिससे दूध उत्पादन में अचानक गिरावट आ रही है।
इसलिए रोज नहीं निकल पा रहा दूध
दूधवाले बताते हैं कि पहले जहां एक गाय या भैंस रोज तय मात्रा में दूध देती थी, अब वही मात्रा आधी रह गई है। ऐसे में रोज सभी उपभोक्ताओं को दूध देना संभव नहीं हो पा रहा। मजबूरी में किसी दिन दूध देना पड़ता है तो किसी दिन सप्लाई रोकनी पड़ती है।
बड़े नुकसान से जूझ रहा दूधवाला
अक्सर लोग सोचते हैं कि दूधवाला जानबूझकर सप्लाई रोक रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि ठंड में पशुओं की देखभाल का खर्च बढ़ जाता है। चारा, दवा, कंबल और बाड़े की व्यवस्था पर अतिरिक्त पैसा लग रहा है। इसके बावजूद दूध कम निकलने से पशुपालक नुकसान झेल रहे हैं।
पशु चिकित्सक क्या कहते हैं
जिला पशुपालन विभाग के अनुसार ठंड में पशु कम पानी पीते हैं, कम चारा खाते हैं और सर्दी से बचने में उनकी ऊर्जा ज्यादा खर्च होती है। इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है। यदि समय पर देखभाल न हो तो पशु बीमार पड़ जाते हैं और दूध आना और भी कम हो जाता है।
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. राजेश ने कहा कि पशुपालकों को विभाग की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का पूरा लाभ उठाना चाहिए। पशुओं की टैगिंग और टीकाकरण अनिवार्य रूप से कराएं, ताकि बीमारी की स्थिति में समय पर सहायता मिल सके।
कब सुधरेगी दूध की स्थिति?
विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे ही शीतलहर का असर कम होगा और तापमान सामान्य होगा, वैसे ही पशुओं का स्वास्थ्य सुधरेगा और दूध उत्पादन भी धीरे-धीरे सामान्य हो जाएगा। तब दूध की सप्लाई भी नियमित हो जाएगी।
प्रभावित पशुओं में दिखने वाले लक्षण
- नाक से लगातार पानी गिरना
- पतला दस्त लगना
- पेशाब का रंग पीला होना
- भूख में कमी
- अधिक समय तक बाड़े में बैठे रहना
पीड़ित पशुओं का ऐसे करें उपचार
- बाड़े की नियमित सफाई कर सूखा रखें
- गाय-भैंसों को जूट या बोरी से ढकें
- दुधारू पशुओं को चारे के साथ गुड़ दें
- बाड़े के खुले रोशनदान बंद रखें
- सुरक्षित दूरी पर आग जलाकर गर्मी दें
पशुओं को ठंड से बचाने के उपाय
- रात में पशुओं को खुले में न बांधें
- कंबल, बोरी या मोटे कपड़ों से शरीर ढकें
- साफ और गुनगुना पानी पिलाएं
- पक्के फर्श पर सूखा और नरम बिछावन रखें
- दिन में धूप में रखें, ठंडी हवा से बचाएं
- बछड़ों और बछड़ियों को पर्याप्त दूध पिलाएं
- समय पर कृमिनाशक दवा दें
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