तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
जागरण संवाददाता, बस्ती। जिले में गन्ने की फसल के प्रति किसानों का मोहभंग होता जा रहा है। यही कारण है कि पिछले सत्र की अपेक्षा इस सत्र में शरदकालीन गन्ना बोआइ भी घट गई है।पिछले सत्र की अपेक्षा इस सत्र में शरदकालीन गन्ना बोआइ में 877.74 हेक्टेयर की कमी दर्ज की है। रुधौली व बभनान चीनी मिल क्षेत्र में शरद कालीन गन्ना बोआइ घटा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वर्ष 2024-25 में जिले में कुल 4763.570 हेक्टेयर में शरदकालीन गन्ना बोआइ की गई थी। इसमें मुंडेरवा चीनी मिल क्षेत्र में 1170.540 हेक्टेयर, अठदमा चीनी मिल क्षेत्र में 1132.180 हेक्टेयर जबकि बभनान चीनी मिल क्षेत्र में 2460.850 हेक्टयर गन्ना की बोआइ शामिल थी। 2025-26 में जिले में शरद काली गन्ना की बोआइ घट कर 3895.83 हेक्टेयर तक पहुंच गई। हालांकि मुंडेरवा चीनी मिल क्षेत्र में शरदकालीन गन्ना बोआइ प्रभावित नहीं हुई है,बल्कि बढी है।
वहां इस बार 1200.600 हेक्टेयर गन्ना की बोआइ हुई है। बभनान मिल क्षेत्र में शरदकालीन गन्ना बोआइ सबसे अधिक घटी है। मिल क्षेत्र में इस बार 1683.350 हेक्टयर गन्ना की बोआइ हुई है। इस बार कुल 777.5 हेक्टेयर गन्ना कम बोया गया है। वहीं अठदमा चीनी मिल रुधौली में 1011.880 हेक्टयर हुई है जो पिछली बार की अपेक्षा 120.3 हेक्टयर की कमी दर्ज की गई है।
यह भी पढ़ें- Post Office News: वित्तीय लाभांश बढ़ाने में जुटा डाक विभाग, खाता खोलने पर जोर
भाकियू के प्रदेश सचिव दीवानचंद्र पटेल ने बताया कि यह सही है कि जिले के गन्ना किसानों का नकदी फसल से मोहभंग होता जा रहा है। इस प्रमुख कारण लागत के सापेक्ष गन्ना मूल्य न मिलना है। शरदकालीन गन्ना की बोआइ कम होने के पीछे जो कारण है वह यह है कि ठंड के समय गन्ने का जमाव कम होता है। शरदकाल में किसान की प्राथमिकता गेहूं व सरसो बोना होता है। इसी कारण शरद कालीन गन्ना की बोआइ प्रभावित होती है।
शरद काल में गन्ने की बोआइ कम होती है। रही बात पिछले सत्र की अपेक्षा इस सत्र में शरदकालीन गन्ना बोआइ कम होने की तो बोआइ में नाम मात्र की कमी हुई है। इसे बसंतकाल में पूरा कर लिया जाएगा। -
अंगद प्रसाद सिंह, जिला गन्ना अधिकारी |