मैराथन दौड़ने से लंबे समय तक दिल रहता है जवान, नई स्टडी में खुलासा

deltin33 2025-12-28 02:49:05 views 764
  

मैराथन की प्रतीकात्मक तस्वीर।  



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मैराथन दौड़ को अकसर संदेह की नजर से देखा जाता है। लोगों को लगता है कि घंटों तक दौड़ते हुए पैर थक जाते हैं, सांसें तेज हो जाती हैं और दिल लगातार कड़ी मेहनत करता है। वर्षों से यह सवाल उठता रहा है कि 42 किलोमीटर की मैराथन दौड़ कहीं दिल को स्थायी नुकसान तो नहीं पहुंचाती। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अब इस बहस पर एक दशक लंबे वैज्ञानिक अध्ययन ने काफी हद तक विराम लगा दिया है। जर्नल जामा कार्डियोलाजी में प्रकाशित एक नए अध्ययन में 152 शौकिया मैराथन धावकों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने धावकों के दिल की जांच दौड़ से पहले और बाद में की और फिर अगले दस वर्षों तक उनके हृदय स्वास्थ्य पर नजर रखी।
अध्ययन में क्या पाया गया?

अध्ययन में पाया गया कि मैराथन के तुरंत बाद दिल के दाहिने हिस्से (राइट वेंट्रिकल), जो फेफड़ों तक खून पंप करता है, की पंपिंग क्षमता में अस्थायी कमी आती है। हालांकि यह प्रभाव कुछ ही दिनों में सामान्य हो जाता है। नए अध्ययन में टूटी पुरानी धारणाएं सबसे अहम बात यह सामने आई कि दस साल की अवधि में इन धावकों के दिल में किसी तरह की स्थायी क्षति के संकेत नहीं मिले।
क्यों महत्वपूर्ण है ये स्टडी?

  • यह निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले के कुछ अध्ययनों में आशंका जताई गई थी कि लंबे समय तक अत्यधिक सहनशक्ति वाली कसरत से दिल को नुकसान हो सकता है।
  • इन चिंताओं की एक बड़ी वजह मैराथन के बाद खून में \“ट्रोपोनिन\“ नामक तत्व का बढ़ना रहा है।
  • आमतौर पर ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ना हार्ट अटैक का संकेत माना जाता है, क्योंकि यह तब निकलता है जब हृदय की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है।
  • मैराथन के बाद कई धावकों में ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ा हुआ पाया जाता है, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है।
  • मैराथन जैसे लंबे धीरज वाले व्यायाम के बाद ट्रोपोनिन बढ़ सकता है, लेकिन यह किसी हृदय रोग का संकेत नहीं होता।
  • कई अध्ययनों में पाया गया है कि स्वस्थ धावकों में ट्रोपोनिन बढ़ने के बावजूद हार्ट स्कैन सामान्य रहते हैं।


शोध बताते हैं कि मैराथन के दौरान दिल के दाहिने हिस्से पर अधिक दबाव पड़ता है, क्योंकि फेफड़ों में रक्त प्रवाह के लिए दबाव बढ़ जाता है। इसी कारण यह हिस्सा अस्थायी रूप से फैल सकता है और कम प्रभावी हो सकता है, लेकिन आराम के बाद स्थिति सामान्य हो जाती है।

असहज लगे तो डाक्टर से परामर्श जरूरी हालांकि विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि मैराथन दौड़ पूरी तरह जोखिम-मुक्त नहीं है। यह छिपी हुई हृदय बीमारियों, खासकर कोरोनरी आर्टरी डिजीज, को उजागर कर सकती है। दौड़ के दौरान या बाद में सीने में दर्द, असामान्य सांस फूलना या चक्कर आता हो, तो तुरंत चिकित्सकीय जांच जरूरी है।

यह भी पढ़ें: बर्फीली वादियां, नदी पर ट्रैकिंग और स्कीइंग का रोमांच, \“चांद की दुनिया\“ का दीदार करने के लिए आएं बैग बांध लद्दाख
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1310K

Threads

0

Posts

3910K

Credits

administrator

Credits
392179

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com