दिल्ली में हर माह औसतन एक हत्या में शामिल हो रहे नाबालिग।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। आपराधिक वारदातों में नाबालिगों की बढ़ रही संलिप्तता पुलिस के लिए चुनौती बनती जा रही है। मामूली विवादों में भी नाबालिग हत्या करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। इस वर्ष जनवरी से अबतक बाहरी, रोहिणी, बाहरी-उत्तरी और उत्तरी-पश्चिमी जिले में नाबालिग 13 हत्याओं की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं, इनमें से 10 मृतक नाबालिग ही थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इन चार जिलों में आपराधिक मामलों में शामिल 50 से अधिक नाबालिगों को पुलिस ने पकड़ने के काम किया है। इनमें से कईयों पर वयस्कों की तरह आपराधिक मामले चलाए जा रहे हैं। फिर भी नाबालिगों में खौफ नहीं है।
अपराधों का कोई हॉटस्पाट नहीं
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि नाबालिगों के अपराध का कोई हाटस्पाट नहीं है। अलग-अलग थाना क्षेत्रों में दर्ज इन मामलों ने पूरे शहर को चपेट में लिया है। इन चार जिलों के अलावा लगभग हर हिस्से से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। इन चार जिलों में देखा गया है कि अधिकतर मामले में कालोनी व जेजे क्लस्टर क्षेत्र में आ रहे हैं।
इसका एक वजह शिक्षा का अभाव व नशा भी है। नशे की हालत में नाबालिग गंभीर से गंभीर अपराध को करने से नहीं चूक रहे हैं।
मामूली विवादों के साथ ही और भी हत्याओं के रहे हैं कारण
पुलिस जांच में सामने आया कि अधिकतर मामले मामूली विवादों की वजह से अंजाम दिए गए हैं। लेकिन कई हत्याएं पैसों के लेन-देन और लूट से जुड़ी थीं। आर्थिक तनाव और अपराध की मानसिकता इन मामलों में साफ दिखती है। इन हत्याओं में 95 फीसदी मामलों में देखा गया है कि आरोपितों ने वारदात को अंजाम देने के लिए चाकू का इस्तेमाल किया गया। फिर भी बाजारों में खुलेआम हर तरह के चाकू मिल रहे हैं।
निर्भया कांड के बाद कानून कठोर, क्रियान्वयन जमीन पर कमजोर
किशोर अपराध का लगातार बढ़ना यह साबित करता है कि निर्भया कांड के बाद कानून भले ही कठोर हुआ हो, लेकिन उसका क्रियान्वयन जमीन पर अभी भी कमजोर है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है, लेकिन यह उन बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा। जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
किशोर अपराध केवल व्यक्तिगत गलती नहीं, बल्कि उन कानूनी और संस्थागत तंत्रों की विफलता भी है जो बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। यदि भारत को इस बढ़ते खतरे को रोकना है, तो कानून के सही कार्यान्वयन, विशेषज्ञ-आधारित मूल्यांकन और समुदाय स्तर पर निरंतर हस्तक्षेप को सुनिश्चित करना होगा। - एडवोकेट प्रदीप खत्री, सचिव, रोहिणी कोर्ट बार एसोसिएशन
आखिर इतने हिंसक क्यों हो रहे हैं नाबालिग
नाबालिगों के हिंसक होने के पीछे कई कारण हैं, इनमें से सबसे महत्वपूर्ण आज के समय इंटरनेट मीडिया पर हिंसक वीडियो देखना और सामाजिक तनाव है। नाबालिग असल जिंदगी और कृत्रिम जिंदगी में फर्क नहीं समझ पा रहे हैं। उन्हें समझना होगा, जो इंटरनेट मीडिया पर हिंसक वीडियो प्रसारित हो रहा है, उसका असल जिदंगी में कोई मतलब नहीं है। वहीं, कई मामले में देखा गया है कि बच्चों पर आर्थिक व पढ़ाई का तनाव भी रहता है। जिससे परेशान होकर बच्चे हिसंक हो जाते हैं। फिर वह अपने लिए गलत रास्ते चुनते हैं। ऐसे में माता-पिता के साथ ही पूरे समाज को ऐसे बच्चों को जागरूक करने के साथ उन्हें समझाने की जरूरत है। -
डा. निमेष जी देसाई, मनोचिकित्सक, पूर्व निदेशक, इहबास |
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