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गाजियाबाद में प्रदूषण। फाइल फोटो
जागरण संवादादाता, साहिबाबाद। एक माह पहले उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने क्षेत्रीय कार्यालय को आदेश जारी करते हुए गाजियाबाद में प्रदूषण के कारकों का पता लगाकर ठोस कार्य योजना बनाने के लिए कहा थे।IE
इसके लिए क्षेत्रीय अधिकारियों ने पांच एसोसिएट प्रोफेसर का चयन भी किया था, जिन्हें वायु प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में जाकर अध्यक्ष करना था। अभी तक भी सर्वे का कार्य पूरा नहीं हो सका है और न ही कोई योजना ठोस बन सकी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्यालय ने यूपीपीसीबी को 13 नवंबर को प्रदूषण वाले इलाकों का अध्ययन करने के लिए कहा गया था। इसमें आइआइटी, एनआइटी, किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय या पर्यावरण के क्षेत्र के विशिष्ट संस्थानों में कार्य करने वाले शोधकर्ताओं व विशेषज्ञों से अध्ययन कराया कराना था।
इसके अंतर्गत एबीईएसई कालेज गाजियाबाद के पांच एसोसिएट प्रोफेसरों का चयन किया गया था। उन्हें क्षेत्रों का अध्ययन कर वायु प्रदूषण के स्त्रोत व उनके अनुपात का पता लगाना था। अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर प्रदूषण रोकथाम के लिए आगे की कार्य योजना तैयार की जानी थी।
अभी तक भी सर्वे का कार्य पूरा नहीं कराया गया है। इससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि किस क्षेत्र में प्रदूषण के कारक क्या-क्या हैं और उनका अनुुपात कितना है।
अभी तक प्रदूषण के कारण व उनकी भागीदारी नहीं पता
दरअसल जिले में प्रदूषण किन-किन कारणों से होता है और उनकी भागीदारी कितनी है इसकी सही जानकारी प्रदूषण बोर्ड को नहीं है। बोर्ड केवल जाम, सड़कों पर उड़ती धूल, निर्माण कार्य, ध्वस्तीकरण आदि को ही प्रदूषण के कारक मानता है। उनकी भागीदारी कितनी है इसकी भी कोई सर्वे रिपोर्ट नहीं है।
सर्वे चल रहा है। अभी तक की जो रिपोर्ट प्रोफेसरों से मिली है उसमें ठीक से प्रदूषण के कारकों का पता नहीं चल पा रहा है। जल्द ही सर्वे को पूरा कराकर रिपोर्ट बनाई जाएगी। इससे उन इलाकों में प्रदूषण को ठोस योजना बनाकर रोका जाएगा। -
अंकित सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, यूपीपीसीबी। |
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