सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, भागलपुर। रेलवे की महत्वाकांक्षी विकास योजनाएं भागलपुर में अब तक जमीन पर नहीं उतर सकी हैं। प्लेटफार्म विस्तार, यार्ड आधुनिकीकरण, न्यू भागलपुर स्टेशन, दोहरीकरण और नई रेल लाइनों जैसी परियोजनाएं लंबे समय से घोषणाओं और निरीक्षणों तक सीमित हैं। हालात यह हैं कि योजनाएं कागजों में दौड़ रही हैं, जबकि यात्रियों को रोजाना अव्यवस्था और असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पिछले सात महीनों के दौरान मालदा मंडल के डीआरएम मनीष कुमार गुप्ता ने 31 मई, 23 अक्टूबर और 12 नवंबर को भागलपुर स्टेशन का निरीक्षण किया। हर निरीक्षण में एडीआरएम सहित वरिष्ठ अधिकारियों की टीम मौजूद रही। योजनाओं की समीक्षा हुई, समय-सीमा बताई गई, लेकिन किसी भी बड़ी परियोजना का कार्य शुरू नहीं हो सका।
निरीक्षणों की संख्या बढ़ी, पर प्रगति शून्य रही। भागलपुर स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या दो और तीन के विस्तारीकरण तथा फुटओवर ब्रिज की सीढ़ियों को चौड़ा करने की योजना को रेलवे सुरक्षा आयुक्त से मंजूरी मिल चुकी है।
प्लेटफार्मों को 22 और 24 कोच के अनुरूप बनाया जाना है, ताकि लंबी ट्रेनों की बोगियां प्लेटफार्म से बाहर न रहें। फिलहाल स्थिति यह है कि कई ट्रेनों की बोगियां प्लेटफार्म से बाहर रुकती हैं। इससे महिला यात्रियों, बुजुर्गों और बच्चों को चढ़ने-उतरने में भारी परेशानी होती है और दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
अप्रैल में मालदा डिविजन से आई पांच सदस्यीय टीम ने स्टेशन का सर्वे कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक और डीआरएम को सौंपी थी। इसके बावजूद काम शुरू नहीं हो सका। स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या दो, तीन, पांच और छह की लंबाई कम होने के कारण बड़ी ट्रेनों को प्लेटफार्म एक और चार पर लेना पड़ता है।
एफओबी की संकरी सीढ़ियां यात्रियों की भीड़ को और मुश्किल में डाल देती हैं। यार्ड आधुनिकीकरण के तहत सिग्नल और प्वाइंट नई जगह शिफ्ट होने हैं। प्लेटफार्म नंबर एक को लोहिया पुल के पास से तोड़कर सीधा करने की योजना है, ताकि ट्रैक का मोड़ खत्म हो और मेन लाइन तैयार की जा सके।
इससे ट्रेनों की गति 30 किलोमीटर प्रतिघंटा से बढ़कर 100 किलोमीटर प्रतिघंटा तक हो सकती है। यह योजना भागलपुर स्टेशन की तस्वीर बदल सकती है, लेकिन फिलहाल यह भी फाइलों में अटकी हुई है।
भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट रेलखंड के दोहरीकरण को रेलवे की मंजूरी मिल चुकी है। 177 किलोमीटर लंबे इस सिंगल रेलखंड पर 3169 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। यह परियोजना बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ने के साथ देवघर जैसे प्रमुख तीर्थस्थल की कनेक्टिविटी मजबूत करेगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया ही चल रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम की शुरुआत नहीं हो सकी है।
भागलपुर से 15 किलोमीटर दूर जगदीशपुर के पास 383 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित न्यू भागलपुर स्टेशन भी तीन वर्षों से कागजों में ही है। इस स्टेशन से कई एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन की योजना है, ताकि भागलपुर जंक्शन पर दबाव कम हो सके। पर्याप्त भूमि उपलब्ध होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
गति शक्ति योजना के तहत भागलपुर जंक्शन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने की 482 करोड़ रुपये की योजना भी अधर में लटकी है। 90 साल पुराने स्टेशन भवन को तोड़कर आठ मंजिला आधुनिक स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है। लिफ्ट, एस्केलेटर, आधुनिक वेटिंग हाल, विशाल कानकोर्स और स्मार्ट सुविधाओं का वादा किया गया, लेकिन स्टेशन आज भी पुराने ढांचे और सीमित सुविधाओं के सहारे चल रहा है।
इसी तरह भागलपुर-बड़हरवा रेलखंड पर तीसरी और चौथी रेललाइन बिछाने की योजना से यात्री और व्यापारी दोनों को लाभ मिलना है। माल गाड़ियों और यात्री ट्रेनों का संचालन समय पर हो सकेगा, लेकिन यह परियोजना भी अब तक जमीन पर नहीं उतर सकी है। निरीक्षणों और घोषणाओं के बीच भागलपुर का रेलवे विकास इंतजार में खड़ा है। |