Insurance Amendment Bill 2025: लोकसभा ने इंश्योरेंस सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रावधान वाले विधेयक को मंगलवार (16 दिसंबर) को मंजूरी दे दी। विधेयक पर चर्चा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद सदन ने विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए \“सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025\“ को ध्वनि मत से पारित कर दिया। नए संशोधन से इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा 74 फीसदी से बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगी।
इससे पहले विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीमा विधेयक में अब तक 12 बार संशोधन हो चुका है। उन्होंने कहा कि संशोधन भी कई तरह के होते हैं। ये देश की तरक्की एवं बीमा क्षेत्र की जरूरतों को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में आम लोगों और किसानों की सुरक्षा के उपाय किए गए हैं।
सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों की सुरक्षा के पुख्ता प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तीन बीमा कंपनियों की बेहतरी के लिए 17,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। इस तरह के कदम से इनकी स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
प्रीमियम की राशि विदेशी कंपनियों के पास जाएगी?
सीतारमण ने कुछ विपक्षी सदस्यों के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि प्रीमियम की राशि विदेशी कंपनियों के पास जाएगी। उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र को खोलने से बेहतर टेक्नोलॉजी और बेहतर प्रोडक्ट सुनिश्चित किया जा सकेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि \“आयुष्मान भारत\“ योजना से 12 करोड़ परिवारों को फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि विधेयक से बीमा एजेंट को भी मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि विधेयक के कानून का रूप लेने पर भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को अधिक स्वायत्तता मिलेगी। इससे उसे फायदा होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक का मसौदा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ शेयर किया गया था।
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पॉलिसीधारकों को होगा फायदा!
निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद सचिवालय गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कटौती का लाभ पॉलिसीधारकों तक नहीं पहुंचने से संबंधित शिकायतों की जांच कर रहा है। उनके मुताबिक, बीमा विधेयक में रीइंश्योरेंस कंपनियों के लिए नेट ओन्ड फंड की आवश्यकता को 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है।
वित्त मंत्री ने कहा कि बीमा कंपनियों द्वारा अर्जित किए गए अवैध लाभों को वापस लेने और प्रभावित बीमा पॉलिसीधारकों को वितरित करने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) को सशक्त बनाया जा रहा है। यह विधेयक इंश्योरेंस एक्ट, 1938, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट, 1956 और इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी एक्ट, 1999 में संशोधन करने के लिए लाया गया है।
बिल की बड़ी बातें
- बिल में कहा गया है कि इन बदलावों से इंश्योरेंस सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) की लिमिट 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 प्रतिशत हो जाएगी।
- विधेयक के अनुसार, बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के बावजूद शीर्ष अधिकारियों में से एक चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर या CEO भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- यह विधेयक एक नॉन-इंश्योरेंस कंपनी के बीमा कंपनी में मर्ज करने का रास्ता भी खोलता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते शुक्रवार को इस विधेयक को मंजूरी दी थी।
- विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, इसके माध्यम से इंश्योरेंस सेक्टर की ग्रोथ और डेवलपमेंट में तेजी लाना एवं पॉलिसीधारकों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- विधेयक पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए पॉलिसीहोल्डर्स एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड की स्थापना का प्रावधान करता है।
- बिल में कहा गया है कि इससे बीमा कंपनियों, बिचौलियों और दूसरे स्टेकहोल्डर्स के लिए व्यापार करने में आसानी होगी। साथ ही रेगुलेशन बनाने में पारदर्शिता आएगी। इंश्योरेंस सेक्टर पर रेगुलेटरी निगरानी बढ़ेगी।
- कंपनी के चेयरमैन और दूसरे फुल-टाइम सदस्यों के कार्यकाल के संबंध में विधेयक पांच साल के कार्यकाल या उनके 65 साल की उम्र प्राप्त करने तक का प्रावधान करता है।
- वर्तमान में फुल-टाइम सदस्यों के लिए ऊपरी आयु सीमा 62 वर्ष है। जबकि चेयरमैन के लिए यह 65 साल है।
- वित्त मंत्री ने इस साल के बजट भाषण में नई पीढ़ी के फाइनेंशियल सेक्टर संबंधी सुधारों के हिस्से के रूप में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव किया था।
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