जागरण संवाददाता, अलीगढ़। सोमवार को पूरा शहर कोहरे की चादर में लिपट गया। इसके साथ ही ठिठुरन भरी ठंड भी बढ़ गई। सड़क किनारे खुले में साेने वालों को ठंड व शीतलहर से से बचने के लिए रैनबसेरों की जरूरत पड़ती है। मगर नगर निगम के अस्थायी रैन बसेरे अभी तक संचालित होना ताे दूर, इनके टेंडर भी नहीं हो सके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
निराश्रित व जरूरतमंद लोग ठिठुरन व सर्द हवाओं के बीच खुले में साेने को मजबूर हैं। निगम के तीन स्थायी रैन बसेरे संचालित हैं। मगर इनमें उन क्षेत्रों के जरूरतमंद ही पहुंचते हैं जहां ये संचालित हो रहे हैं। ठंड व कोहरा बढ़ने से पहले अलाव के टेंडर भी हो जाने चाहिए लेकिन वो भी नहीं हुए हैं। हालांकि निगम के लकड़ी भंडारण केंद्र पर उपलब्ध लकड़ी से अलाव की व्यवस्था की जा रही है।
बनाए जाते हैं इतने रैन बसेरे
नगर निगम की ओर से लगभग एक दर्जन स्थानों पर अस्थायी रैन बसेरे बनाए जाते हैं। इसके लिए निर्माण विभाग द्वारा टेंडर प्रक्रिया की जाती है। मगर ये प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। टेंडर के फेर में निराश्रित लोग शीतलहर को झेलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। हर वर्ष जब ये काम किया जाता है तो इसकी व्यवस्था पहले से ही करनी चाहिए थी।केला नगर चौराहा, क्वार्सी, सासनी गेट चौराहा, आगरा रोड, नौरंगीलाल राजकीय इंटर कालेज, सेटेलाइट बस स्टैंड सारसौल, विकास भवन आदि स्थानों पर अस्थायी रैन बसेरे संचालित होते हैं। ऐसे में पुलों पर व सड़क किनारे सोने वाले लोगों को अस्थाई रैन बसेरों व अलाव का इंतजार है। मगर, आधा दिसंबर बीतने तक अभी नगर निगम टेंडर के फेर में ही फंसा है। अभी नगर निगम के स्थायी रैन बसेरे गांधी पार्क, गूलर रोड और भुजपुरा बाइपास पर संचालित हैं।
अलाव के टेंडर न होने से संकट
अलाव के लिए भी नगर निगम टेंडर कराता है, जो कि अभी नहीं हो सके हैं। हालांकि जिला अस्पताल व प्रमुख चौराहों पर नगर निगम के सारसौल स्थित लकड़ी भंडारण केंद्र में उपलब्ध लकड़ी से अलाव की व्यवस्था की जा रही है। ठंड की शुरुआत में नगर निगम लगभग 40 से 45 स्थानों पर अलाव रखने की व्यवस्था करता है। ठंड बढ़ने व जरूरत के हिसाब से इन प्वाइंटों में बढ़ोतरी होती जाती है। अलाव की लकड़ी के लिए भी तीन बार टेंडर निकाले गए, लेकिन कोई एजेंसी नहीं आई है।
अस्थायी रैन बसेरों व अलाव की लकड़ी के लिए तीन-तीन बार टेंडर आमंत्रित किए गए लेकिन किसी एजेंसी के न आने से प्रक्रिया अपूर्ण रही है। चौथी बार फिर टेंडर निकाले गए हैं, संभावना है कि मंगलवार तक ये खुल सकते हैं। फिलहाल उपलब्ध लकड़ी से अलाव की व्यवस्था की जा रही है। -बीके सिंह, मुख्य अभियंता, नगर निगम |
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