Vakratunda Chaturthi 2025: वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व  
 
  
 
  
 
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक महीने का खास महत्व है। इस महीने जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है। वहीं, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है। यह व्रत करवा माता को समर्पित होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
    
 
  
 
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। इस शुभ दिन वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है। आइए, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की सही तिथि और मुहूर्त जानते हैं-  
 
  
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vakratunda Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)  
 
वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 अक्टूबर को रात 10 बजकर 54 मिनट पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू होगी। वहीं, 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त होगी।  
कब है वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी?  
 
सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्योदय होने के बाद तिथि की गणना की जाती है। वहीं, संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन किया जाता है। इसके लिए चतुर्थी तिथि का बारीकी से अवलोकन किया जाता है। इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का व्रत शुक्रवार 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस शुभ अवसर पर चंद्र दर्शन का शुभ योग शाम 08 बजकर 13 मिनट पर है।  
 
  
पंचांग  
  
 - सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर 
 
  - सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 57 मिनट पर 
 
  - चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 58 मिनट पर 
 
  - चन्द्रास्त- रात 08 बजकर 13 मिनट पर 
 
  - चन्द्रोदय- रात 09 बजकर 48 मिनट पर 
 
  - ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक 
 
  - विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 04 मिनट से 02 बजकर 51 मिनट तक 
 
  - गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 57 मिनट से 06 बजकर 22 मिनट तक 
 
  - निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक 
 
    
 
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