मां और भाई करते मजदूरी, खुद फर्जी IAS बनकर घूमता रहा सीतामढ़ी का ललित किशोर

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फर्जी आईएएस ललित किशोर राम (फाइल फोटो)



संवाद सूत्र, सीतामढ़ी। गांव-देहात में प्रचलित लोकोक्ति-घर में भूजी-भांग नहीं..., गोरखपुर में गिरफ्तार फर्जी आईएएस ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार सिंह पर बहुत ही सटीक बैठती है।शहर के मेहसौल थाना क्षेत्र अंतर्गत वार्ड नंबर 37 मेहसौल पूर्वी निवासी ललित किशोर के घर और उसके स्वजन की स्थिति देखकर किसी को यकीन नहीं हो रहा है कि वह आईएएस के रूप में इस कदर रौब-रूतबा मेंटेन करता होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पिता स्व. चलितर राम व मां जहरि देवी को ललित किशोर समेत पांच पुत्र थे। इसमें राजकुमार राम सबसे बड़े हैं। इसके बाद हरि किशोर राम, राजकिशोर राम, ललित राम, राजनंदन राम हैं। उसके शेष चारों भाई और मां आज भी गांव में मेहनत मजदूरी कर किसी प्रकार जीवन यापन कर रहें। ललित जहां फर्जी आईएएस बनकर शानों शौकत भरी जिंदगी जी रहा था वहीं उसके परिवार के लोग झोपड़ीनुमा एक घर में गुजर बसर कर रहे हैं।

बताया जाता है कि वह 2017 से ही घर आना-जाना छोड़ रखा था। वह अपने पिता के निधन पर श्राद्धकर्म के दिन आया और उसके दूसरे दिन ही चला गया। वह घर को कचरा बताकर कहता था कि यहां उसे नहीं रहना है। सभी चार भाई एक कट्ठा जमीन में झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहते हैं। खेती बारी के लिए भी जमीन नहीं है।

  

ललित ने कुछ दिनों तक उसने गांव में ही एक कोचिंग भी चलाया जिसमें मात्र 30 रुपये फीस लेकर बच्चों को पढ़ाता था। मगर, गरीब बच्चों से वह कोई फीस नहीं लेता था। ललित ने फर्जी आईएएस बनने के लिए अपना नाम भी बदलकर गौरव कुमार सिंह रख लिया था। झूठा रौब झाड़ने के लिए हर महीने पांच लाख रुपये तक खर्च करता था।

इसी तामझाम को दिखाकर वह बिहार, झारखंड व उत्तरप्रदेश आदि जगहों पर ठगी करता था। वह खुद सफेद इनोवा से चलता था। उस गाड़ी पर उसने लालबत्ती व नीली बत्ती तक लगा रखा था। अपने खर्चे पर 10-15 लोगों की प्राइवेट टीम भी बना रखा था।

कोई स्टेनो तो कोई गार्ड व ड्राइवर आदि का काम करता था। ललित ने गलत रास्ते पर चलने के लिए पहला कदम बांका में रखा था। वह 2017 में बांका पहुंचा और वहां गरीब छात्रों को मुफ्त में शिक्षा और कोचिंग देना शुरू किया। लोगों को लगने लगा कि वह समाज के लिए कुछ करना चाहता है, लेकिन उसकी प्लानिंग कुछ और थी।

उसने आदित्य-50 नाम से कोचिंग संस्थान खोल लिया। वहां गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। फिर पटना के शिक्षा विभाग में उसने अपनी अच्छी पकड़ बना ली। वह मुफ्त कोचिंग के नाम पर विभाग से पत्र जारी करा लेता था। इन पत्रों का इस्तेमाल कर वह जिले के सरकारी स्कूलों में प्रवेश परीक्षा तक आयोजित करता था।

छात्रों को भरोसा दिलाने के लिए मैट्रिक व इंटर के मेधावी छात्रों को समय-समय पर सम्मानित भी करता रहा। उसको यह एहसास हो गया कि यहां के लोग उसपर भरोसा करने लगे तो उसने अपना असली काम शुरू कर दिया। नौकरी दिलाने, बीएड कराने और विभिन्न कोर्सों में एडमिशन कराने का झांसा देकर वह लोगों से पैसे लेने लगा।

बताया जाता है कि बांका के कई लोगों से उसने करीब दो करोड़ से अधिक रुपये वसूले और एक मई 2023 को रातों-रात बांका से फरार हो गया। उसके बारे में यह बताया जाता है कि उसने अपनी करीबियों तक को नहीं छोड़ा है। जिस मकान में वह किराए पर रहता था उसके मालिक से भी 10 लाख की उसने ठगी की। बांका गेस्ट हाउस के पास कंप्यूटर दुकान चलाने वाले तमन्ना कुमार से भी उसने दो लाख रुपये उधार लिए और भाग गया।
लड़कियों का भी शौकीन था ललित उर्फ गौरव

फर्जी आईएएस के रूप में गिरफ्तार ललित उर्फ गौरव लड़कियों का भी शौकीन था। उसके मोबाइल में कई लड़कियों से चैट किए जाने की बात बताई जा रही है। उसकी चार गर्लफ्रेंड बताई गई हैं। उसके लंबे-लंबे चैट को देखकर पता चलता है कि वह तीन लड़कियों को गर्भवती भी कर चुका है।

बताते चलें कि ललित ने करीब पांच छह वर्ष पहले सीतामढ़ी के जानकी मंदिर में एक लड़की को भगाकर उससे शादी की। इसको लेकर उसपर मुकदमा भी हुआ।
साला था पूरे मामले का मास्टर माइंड

जानकारी के अनुसार ललित उर्फ गौरव को फर्जी आईएएस बनने के पीछे उसका साला अभिषेक मास्टर माइंड था। उसने उसकी काफी मदद की थी। जिले के रीगा थाना क्षेत्र के रामनगरा गांव निवासी राकेश सिंह का पुत्र अभिषेक कुमार सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, इसलिए वह सॉफ्टवेयर पर अच्छा खासा काम कर लेता था। ललित किशोर राम ने अभिषेक कुमार की बहन से लव मैरिज किया था।

ललित किशोर राम ट्यूशन पढ़ाने का काम करता था। इसी दौरान अभिषेक की बहन से उसे प्यार हो गया और उसे लेकर फरार हो गया, जिससे उसने बाद में शादी कर ली। ललित उर्फ गौरव को फर्जी आईडी, नेम-प्लेट और अन्य दस्तावेज बनाकर देने का काम अभिषेक करता था और उसे वह स्टेनो बाबू कहता था।

पहले वह जालसाजों को रुपये देकर फर्जी दस्तावेज तैयार करवाता था। लेकि, जब से एआई का जमाना आया उसके लिए यह सब तैयार करना काफी आसान हो गया। अखबार की कटिंग से लेकर सरकारी टेंडर तक सब वह एआइ की मदद से तैयार करने लगा।
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