गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली। तेजी से बढ़ रहे विमानन उद्योग की जरूरतों को देखते हुए तमाम एयरलाइंस अपने बेड़े को विस्तार देने में जुटी हैं। जाहिर सी बात है कि इन बेड़ों के संचालन के लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षित पायलट की जरूरत होगी, जिसके लिए अभी पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण बाहरी देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लेकिन, देश की प्रमुख एयरलाइन एअर इंडिया ने तय किया है कि अब पायलट प्रशिक्षण के मामले में हम लोग आत्मनिर्भर होंगे। सोच को धरातल पर उतारते हुए एअर इंडिया ने इस दिशा में कदम तेजी से बढ़ा दिया है।
एअर इंडिया अपने बेडे़ का तेजी से विस्तार करते हुए 570 विमानों का ऑर्डर दिया है। इसमें एयरबस व बोईंग दोनों विमान शामिल हैं। इस ऑर्डर की डिलिवरी वर्ष 2027 से तेज हो जाएगी। इससे पायलटों के मांग में एकाएक तेजी से आएगी।
लेकिन, अभी जो हमारे पास संसाधन हैं, वह काफी सीमित है। सबसे बड़ी अड़चन भारत में सिम्युलेटर की कमी का होना है और यही पायलट ट्रेनिंग की सबसे बड़ा बाॅटलनेक है। विदेशी निर्भरता का एक बहुत बड़ा हिस्सा सिम्युलेटर की कमी के कारण ही है।
अभी क्या है हाल
कुल मिलाकर भारत में अभी करीब 45–50 लेवल-डी सिम्युलेटर हैं, जबकि जरूरत इससे काफी अधिक की है। सिम्युलेटर की कमी के कारण अभी तमाम भारतीय एयरलाइंस को विदेशों का रुख करना पड़ रहा है।
प्रशिक्षण संस्थानों में सिम्युलेटर का स्लाॅट लेने के लिए छह से 10 महीने पहले बुक करना पड़ता है। कई बार तो पायलट लाइसेंस रिन्यूअल के लिए दुबई, बैंकाक, जोहान्सबर्ग या सिंगापुर जाना पड़ता है। जो काफी महंगा पड़ता है। कई बार मुंहमांगी रकम देने के बाद भी पायलट को स्लाॅट नहीं मिलते।
एअर इंडिया ने क्या किया?
एअर इंडिया ने तय किया कि हम सिम्युलेटर ट्रेनिंग के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहेंगे। प्रशिक्षण के लिए एअर इंडिया ने एक अपना इकोसिस्टम बनाने का फैसला किया। इसमें तमाम आवश्यक हिस्सों को जोड़ते हुए सिम्युलेटर ट्रेनिंग वाले हिस्से के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
एअर इंडिया ने गुरुग्राम स्थित अपने प्रशिक्षण केंद्र में सिम्युलेटर केंद्र बनाया है। इसके एक हिस्से में एअर बस तो दूसरे हिस्से में बोईंग के सिम्युलेटर होंगे। इसके लिए दोनों से समझौता किया गया है। एयर बस के विभिन्न माॅडल के 10 सिम्युलेटर यहां प्रशिक्षण के लिए होंगे।
वहीं बोईंग के 11 सिम्युलेटर यहां उपलब्ध होंगे। फिलहाल एयरबस वाले हिस्से में दो सिम्युलेटर कार्यरत हैं। अन्य की व्यवस्था हो रही है। एअर इंडिया के अनुसार महाराष्ट्र के अमरावती स्थित प्रशिक्षण केंद्र में सलाना 180 कैडेट पायलट तैयार होंगे। गुरुग्राम में इन्हें एडवांस ट्रेनिंग मिलेगी।
सिम्युलेटर क्या है
विमानन में सिम्युलेटर प्रशिक्षण पायलटों की आधारभूत और सबसे जरूरी ट्रेनिंग होती है। यह फुल फ्लाइट सिम्युलेटर लेवल डी पर होता है जो असली विमान की तरह दिखता, चलता और हिलता है। इसमें पायलट बिना किसी जोखिम के टेकऑफ, लैंडिंग, नार्मल उड़ान और हर तरह की इमरजेंसी का अभ्यास करते हैं।
इंजन फेल, दोनों इंजन बंद, आग लगना, हाइड्रोलिक-इलेक्ट्रिकल फेलियर, केबिन डिप्रेशराइजेशन, विंडशियर, लो विजिबिलिटी में ऑटोलैंड जैसी खतरनाक स्थितियों को बार-बार दोहराया जाता है।
डीजीसीए सहित तमाम उड़ान नियामक संस्थाओं के नियमों के अनुसार टाइप रेटिंग व रिकरेंट ट्रेनिंग और लाइसेंस रिन्यूअल के लिए सिम्युलेटर अनिवार्य है। लेवल डी सिम्युलेटर को जीरो फ्लाइट टाइम माना जाता है, यानी पूरी ट्रेनिंग सिम्युलेटर में ही पूरी करके पायलट को पैसेंजर्स के साथ पहली उड़ान दी जा सकती है।
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गुरुग्राम में प्रशिक्षण अकादमी में केबिन क्रू और पायलट सहित 2,000 से ज़्यादा प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग दी जाती है। अमरावती में फ्लाइंग स्कूल जल्द ही हर साल 180 नए पायलटों को ट्रेनिंग देगा। बेंगलुरु में, एक नया एमआरओ बेस और एक इंजीनियर ट्रेनिंग स्कूल 2026 तक शुरू होने वाले हैं, जिससे भारत की एविएशन टैलेंट पाइपलाइन मजबूत होगी।
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- पी बालाजी, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, एअर इंडिया |