देशभर से पहुंचे विशेषज्ञ, मौसम व उड़ान बाधाओं के बीच अभियान को मिली रफ्तार। जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून। द ग्रेट हिमालयन बर्ड एंड बटरफ्लाई काउंट अभियान 2025 का शुभारंभ गुरुवार को दून विश्वविद्यालय में शुरू किया गया। देश की हवाई सेवाओं में आई बाधाओं के बावजूद देशभर से 50 पक्षी विशेषज्ञ और प्रकृति प्रेमी देहरादून पहुंचे। वहीं, इंडिगो उड़ानें निरस्त होने के कारण 66 विशेषज्ञ इस अभियान में शामिल नहीं हो सके, जिससे आयोजकों और प्रतिभागियों में निराशा भी देखी गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दून विश्वविद्यालय के सीनेट हाल में आयोजित उद्घाटन सत्र का शुभारंभ मुन्ना सिंह चौहान, विधायक विकासनगर, और विशिष्ट अतिथि कर्नल प्रत्यूष थपलियाल, कमांडिंग आफिसर, ईको टास्क फोर्स, ने किया। दोनों अतिथियों ने हिमालयी जैव विविधता, संरक्षण और समुदाय की भूमिका पर सारगर्भित विचार साझा किए।
अभियान के संयोजक और ‘आर्क’ संस्था के संस्थापक प्रतीक पंवार ने प्रतिभागियों को कार्यक्रम की रूपरेखा, पद्धति और सुरक्षा संबंधित दिशा-निर्देशों की जानकारी दी। सभी प्रतिभागियों को दस समूहों में विभाजित कर उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में भेजने की तैयारी पूरी की गई।
इस अवसर पर कीट-पतंग विशेषज्ञ पीटर (भीमताल) ने तितलियों और कीटों के व्यवहार, पहचान और डेटा संग्रह पर उपयोगी जानकारी साझा की। कार्यक्रम के सहयोगी यूकास्ट के निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने शुभकामना संदेश भेजा, जो बाहरी दौरे के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके।
88 वर्षीय प्रतिभागी और सैकड़ों किलोमीटर की ड्राइव कर पहुंचे पक्षी प्रेमी अभियान के प्रति पक्षी प्रेमियों का उत्साह देखने लायक रहा। अहमदाबाद के परेन सेठ अपनी पत्नी और मित्रों के साथ निजी वाहन से स्वयं ड्राइव कर देहरादून पहुंचे। वहीं, चंडीगढ़ की 88 वर्षीय सरबजीत कौर ने भी निजी वाहन से यात्रा कर अभियान में शामिल होकर सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं।
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अवलोकन दलों को विभिन्न क्षेत्रों के लिए रवाना
सुबह प्रातः 9 बजे, विभिन्न समूहों को उनके समूह नेताओं के साथ राज्य के विभिन्न हिस्सों जैसे अस्कोट, भीमताल, राजाजी, चकराता, टिहरी, नैनीताल और अन्य हिमालयी क्षेत्रों के लिए रवाना किया गया, जहां अगले चार दिनों तक पक्षियों और तितलियों का व्यवस्थित अवलोकन व गणना की जाएगी।
अभियान के संचालन में यूकास्ट, यूटीडीबी, वन विभाग, पीडब्ल्यूडी और दून विश्वविद्यालय का विशेष सहयोग रहा।
11 दिसंबर तक चलेगा अभियान
प्राकृतिक जैव विविधता के आकलन के लिए यह महत्वपूर्ण अभियान 7 दिसंबर से 11 दिसंबर तक चलेगा। अभियान से प्राप्त आंकड़े हिमालयी पारितंत्र के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और जैव विविधता प्रबंधन योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण आधार प्रदान करेंगे। |