आजम और आसिफ नाम से मदरसा में बच्चों के साथ रहीं दोनों किशोरियां। जागरण
जागरण संवाददाता, बस्ती। झारखंड के दुमका जिले के एक मदरसे में बस्ती जिले की दो नाबालिग बेटियां डेढ़ महीने तक मौलवी की कैद में रही हैं। किसी तरह से वह उसके चंगुल से छूटी हैं। दोनों को आजम और आसिफ का नाम देकर बालक के रूप में अन्य लड़कों के साथ मदरसे में रखा गया। पुलिस ने उन्हें बरामद कर बाल कल्याण समिति न्यायालय के सामने पेश किया है, जहां से मेडिकल परीक्षण कराने के बाद बड़ी बेटी गर्भवती पाई गई हैं, जिसे गोंडा जनपद के बालिका गृह में रखा गया है। दूसरी बेटी स्वजन के सिपुर्द की गई है।
पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र की दोनों किशोरियां मां की डांट से नाराज होकर घर छोड़ दी थीं। 26 सितंबर को वह घर से गायब हुईं थीं। पिता की तहरीर पर पुलिस ने 15 अक्टूबर को अपहरण का मुकदमा दर्ज किया। एक की उम्र 16 और दूसरे की 14 वर्ष बताया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस ने कई क्षेत्रों में तलाश शुरू की, पिता को लेकर दिल्ली, हरियाणा गई, लेकिन सुराग नहीं मिला। लंबे अंतराल के बाद बड़ी बेटी ने अपने अब्बू को फोन किया और बताया कि वह डेढ़ महीने से झारखंड के एक मदरसे में बच्चों के साथ है। पुलिस को दुमका जिला के हसडीह रेलवे स्टेशन के निकट उसका लोकेशन मिला।
पिता के सहयोग से पुलिस झारखंड से दोनों को बरामद कर लाई। पुलिस ने जब बाल कल्याण समिति न्यायालय के सामने पेश किया तो बच्चियों ने बताया कि घर से निकलने के बाद ट्रेन बदलते हुए पहले वह बहराइच पहुंचीं और वहां एक दरगाह में सात दिन तक रहीं। बहराइच से वह गोंडा के लिए ट्रेन पकड़ना चाहती थीं, लेकिन वह झारखंड जाने वाली किसी ट्रेन में गोंंडा के लिए बैठ गईं।
हसडीह रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन पर एक मौलवी साहब मिले, अपने साथ ले गए। लड़कों के साथ लड़का बनाकर मदरसे में रखा। पुलिस को सूचना देने के बजाय दोनों नाबालिग को अपने पास रखना न्यायालय ने गंभीर अपराध माना है। कहा है कि पुलिस उस मौलवी को भी पेश करे, उससे पूछताछ जरूरी है।
पुलिस के अनुसार लड़की की मां ने मौलवी को पाक-साफ बताया है। बच्चियों ने भी मौलवी पर कोई आरोप नहीं लगाया है। सीडब्ल्यूसी (बाल कल्याण समिति) ने जब दोनों बच्चियों की आंतरिक और वाह्य मेडिकल परीक्षण कराने की बात स्वजन के सामने रखा तो वह इनकार कर गए, बावजूद कानूनी प्रक्रिया के तहत जांच कराई गई। जिला महिला अस्पताल में यूरीन प्रेगनेंसी टेस्ट (मूत्र गर्भावस्था परीक्षण) कराई गई तो बड़ी बच्ची की रिपोर्ट पॉजीटिव आई। फिर बड़ी बहन ने पुलिस को दूसरी कहानी बता दी, जिस पर लोगों को यकीन कम होगा।
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उसने बताया कि उसका एक भाई दिव्यांग है। वह 22 वर्ष का है। एक कमरे में दोनों लोग दो तख्ते पर सोते थे। अचानक एक दिन भाई उसके बिस्तर पर आया और उससे संपर्क हो गया। कहीं उसका यह बयान मौलवी को बचाने के लिए तो नहीं है। इसे लेकर पुलिस भी हैरान है।
गोंडा महिला अस्पताल में बच्ची की दूसरी टेस्ट कराई गई है, लेकिन वहां उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। एक रिपोर्ट पाजीटिव और दूसरी निगेटिव मिलने पर पुलिस हैरान है। न्यायालय ने इसे गंभीर प्रकरण माना है। बच्ची अपने भाई पर ही दुष्कर्म का आरोप लगा रही है, जबकि वह दिव्यांग है। उसकी मां ने कहा है कि बच्ची को उसके हवाले कर दिया जाए, लेकिन सुरक्षा कारणों से यह संभव नहीं दिखता।
इस मामले में पूछे जाने पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा ने कहा कि बालिकाओं का संरक्षण हमारे अधिकार में है, इसलिए बच्ची को बालिका गृह में रखा गया है। पुलिस अधीक्षक अभिनन्दन ने कहा कि बच्चियों के अपहरण का मुकदमा उसके पिता ने दर्ज कराया है, अभी छानबीन चल रही है। इस कृत्य में जो लोग भी शामिल होंगे, सभी जेल जाएंगे। |