जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। कायमगंज के बीएलओ ललित गंगवार की कथित जहर खाने वाली कहानी बुधवार को जिले में सनसनी बन गई थी। आरोप लगाया गया कि चुनाव कार्यालय के एक कर्मचारी ने उन्हें इतना प्रताड़ित किया कि उन्होंने चूहे मारने की दवा निगल ली। हालांकि मेडिकल जांच के बाद पूरा मामला उलट गया है। न जहर मिला, न किसी दवा का अंश। डाक्टरों ने साफ कहा कि उनकी हालत जहरीला पदार्थ खाने से नहीं, बल्कि पहले से खराब लिवर और बढ़े हुए पीलिया के कारण बिगड़ी थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ललित गंगवार, जो अमलैया मुकेरी के रहने वाले और बूथ नंबर 272 पर तैनात बीएलओ हैं, बुधवार दोपहर सीएचसी पहुंचे थे। इलाज के दौरान उन्होंने जहर खाने की बात कही और उत्पीड़न का आरोप लगाया। लेकिन गुरुवार को मुख्य चिकित्साधीक्षक डा. जगमोहन शर्मा ने उनकी मेडिकल रिपोर्ट सामने रखकर स्पष्ट कर दिया कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं।
डॉक्टरों के मुताबिक ललित लंबे समय से शराब पीते थे, जिससे उनका लिवर डैमेज हो चुका है। इसी वजह से उन्हें उल्टी और कमजोरी हुई। डॉ. शर्मा ने यह भी बताया कि शरीर में किसी जहरीले पदार्थ का कोई संकेत नहीं मिला है। हालांकि, शराब की पुष्टि के लिए खून का नमूना लिया गया है, जिसे फोरेंसिक लैब आगरा भेजा गया है।
वहीं, प्रशासनिक स्तर पर भी कहानी के कई छेद सामने आए। बीएलओ ने जिस कर्मचारी असलम पर प्रताड़ना का आरोप लगाया, उसे तो चुनाव आयोग की अनुमति से दस दिन पहले ही हटा दिया गया था। ऐसे में उत्पीड़न की बात संदिग्ध मानी जा रही है।
एसडीएम अतुल कुमार सिंह का कहना है कि जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बीएलओ का अधिकांश काम उनके एक साथी शिक्षामित्र ने ही निपटाया है। इसलिए दबाव की बात बिल्कुल गलत है। पता चला है कि वह बुधवार शाम किसी गांव में गए थे और वहां पर ‘कच्ची की पार्टी’ के बाद उनकी हालत बिगड़ गई। संभवत: इसी दौरान किसी शरारती तत्व ने उन्हें प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए झूठा बयान देने के लिए उकसा दिया।
इसी जानकारी के आधार पर उन्होंने बुधवार रात ही सीएमएस से बीएलओ के खून के नमूने की जांच कराने का अनुराेध किया था। हालांकि बीएलओ ललित गंगवार ने बताया कि चिकित्सकों ने प्रशासन के दबाव में गलत रिपोर्ट दी है। उसने चूहामार दवा खाई थी। उनकी पत्नी ने चूंकि मुझे ऐसा करते देख लिया था, इसलिए तत्काल सीएचसी ले गई और वहां प्राथमिक उपचार के चलते उसकी जान बच गई। |