क्या आपकी थाली में रखा अंडा \“कैंसर\“ की वजह बन सकता है? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सोचिए, आप अपनी सेहत बनाने के लिए रोज जिस \“हेल्दी\“ अंडे को खाते हैं, वही अगर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की वजह बन जाए तो? सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक खबर ने इन दिनों हर किसी को डरा दिया है। दावा किया जा रहा है कि बाजार में मिलने वाले कुछ खास ब्रांड के अंडों में ऐसे खतरनाक रसायन मिले हैं, जो सीधे आपके डीएनए पर हमला कर सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस रिपोर्ट को देखकर मुंबई के आर्थोपेडिक सर्जन, डॉ. मनन वोरा भी सन्न रह गए। उनकी हैरानी की सबसे बड़ी वजह यह थी कि वे खुद भी इसी ब्रांड के अंडों का सेवन करते थे। अपनी ही थाली में खतरे की खबर सुनने के बाद, डॉ. वोरा ने एक वीडियो जारी कर इस पूरे मामले की सच्चाई और इसकी गंभीरता को लोगों के सामने रखा है। View this post on Instagram
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अंडों में क्या मिला है?
डॉ. वोरा, जो खुद भी इसी ब्रांड के अंडों का सेवन करते थे, उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इस ब्रांड के अंडों की जांच में नाइट्रोफ्यूरान और नाइट्रोइमिडाजोल जैसे प्रतिबंधित पदार्थ मिले हैं।
डॉक्टर के अनुसार, पोल्ट्री फार्मिंग में इन रसायनों का इस्तेमाल गैरकानूनी है। इनका इस्तेमाल मुर्गियों को संक्रमण से बचाने और ज्यादा से ज्यादा अंडों के उत्पादन लिए उन्हें स्थिर रखने के लिए किया जाता है, जो कि पूरी तरह गलत है।
कैंसर का खतरा क्यों?
सबसे डराने वाली बात यह है कि ये केमिकल \“जीनोटॉक्सिक\“ श्रेणी में आते हैं। आसान शब्दों में कहें तो, इनमें आपके शरीर के डीएनए को बदलने की क्षमता होती है, जिससे भविष्य में कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। डॉ. वोरा ने समझाया कि रिपोर्ट में \“नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट\“ का स्तर 0.7 पाया गया, जबकि आदर्श रूप से यह 0.4 से कम या बिल्कुल शून्य होना चाहिए था।
FSSAI के नियमों पर उठाए सवाल
डॉ. वोरा ने भारत के खाद्य नियामक, FSSAI की भूमिका पर भी तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जहां दूसरे देशों में इन केमिकल्स के लिए \“जीरो टॉलरेंस\“ की नीति है, वहीं भारत में एफएसएसएआई कुछ हद तक (1.0 तक) इनकी अनुमति देता है।
डॉक्टर ने हैरानी जताई कि जो ब्रांड इन खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल कर रहा है, वह बाजार में करोड़ों का कारोबार कैसे कर रहा है? उन्होंने पूछा, “क्या एफएसएसएआई वास्तव में इन उत्पादों की जांच कर रहा है और अगर कर रहा है, तो हमारे मानक इतने ढीले क्यों हैं?“
क्या अंडे खाना नहीं है सुरक्षित?
घबराने की जरूरत नहीं है। डॉ. वोरा ने साफ किया है कि इसका मतलब यह नहीं है कि \“सभी अंडे कैंसर का कारण बनते हैं\“। यह रिपोर्ट केवल एक विशेष ब्रांड के एक खास बैच के बारे में थी। इसलिए, सामान्य रूप से अंडों को दोषी ठहराना सही नहीं होगा।
ब्रांड ने भी दी सफाई View this post on Instagram
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इस विवाद के बाद, ब्रांड ने 9 दिसंबर को इंस्टाग्राम पर एक बयान जारी कर अपने उपभोक्ताओं को भरोसा दिलाया है कि उनके अंडे सुरक्षित हैं। हालांकि, डॉ. वोरा का मानना है कि ब्रांड और एफएसएसएआई दोनों को इस पर स्पष्ट जवाब देना चाहिए। उन्होंने स्वतंत्र रूप से जांच करने वाली संस्थाओं की तारीफ की, जो बड़े ब्रांड्स की असलियत सामने ला रही हैं।
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