विधानसभा के शीतकालीन सत्र में खरसावां गोलीकांड मसले पर अपनी बात रखते विधायक दशरथ गागराई।
संवाद सूत्र जागरण, खरसावां । झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने एक जनवरी 1948 के खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए लोगों की पहचान के लिए उच्च स्तरीय न्यायिक जांच आयोग के गठन की जोरदार मांग उठाई। उन्होंने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से कहा कि जलियांवाला बाग की घटना सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है, लेकिन स्वतंत्र भारत की दूसरी सबसे बड़ी इस त्रासदी—खरसावां गोलीकांड—का पूरा विवरण आज भी सरकारी अभिलेखों में उपलब्ध नहीं है।
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लाशें कुंए में फेंकी गईं, घायलों को दूर पहाड़ों पर छोड़ दिया गया विधायक गागराई ने सदन को बताया कि खरसावां के जिस स्थल पर आज शहीद बेदी बनी है, वहां पहले दो कुएं थे। गोलीबारी के दिन बड़ी संख्या में मृतकों को उन्हीं कुओं में डाल कर ढंक दिया गया। उन्होंने कहा कि जो लोग गंभीर रूप से घायल थे, उन्हें ट्रकों में भरकर दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में छोड़ दिया गया ताकि घटना की सच्चाई सामने न आ सके।
सदन में सरकार का जवाब बहुत जल्द बनेगा उच्च स्तरीय न्यायिक आयोग उन्होंने कहा कि राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। कई मुख्यमंत्री शहीदों को श्रद्धांजलि देते रहे, लेकिन वास्तविक शहीदों की पहचान आज भी अधूरी है। इसलिए सरकार को चाहिए कि राज्य स्तर पर एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग का गठन करे, जो तथ्यात्मक जांच कर सके। विधायक के प्रस्ताव पर जवाब देते हुए गृह विभाग से जुड़े मामलों के मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने घोषणा की कि राज्य सरकार खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए लोगों की पहचान के लिए जल्द ही उच्च स्तरीय न्यायिक जांच समिति (आयोग) का गठन करेगी। उन्होंने कहा कि यह घटना आदिवासी संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। सरकार का दायित्व है कि सच्चाई को सामने लाया जाए। मंत्री ने सदन को आश्वस्त किया कि आयोग गठन की प्रक्रिया तत्काल शुरू होगी और आवश्यक आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
2015 में बनी थी समिति, परंतु केवल दो लोगों की पहचान हो सकी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि इससे पहले नौ जनवरी 2015 को भी एक समिति बनाई गई थी, ताकि शहीदों की पहचान हो सके। समिति ने बंगाल, ओडिशा और स्थानीय क्षेत्रों में व्यापक जांच की, लेकिन केवल दो ही शहीदों के नाम सामने आ सके। समिति ने स्वीकार किया था कि गोलीकांड के दिन लाखों की भीड़ मौजूद थी, इसलिए गहन जांच के बिना वस्तुस्थिति का पता लगाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि यह घटना स्वतंत्र भारत की दूसरी जलियांवाला बाग जैसी त्रासदी थी और इसके सभी आयामों को उजागर करना आवश्यक है। |