राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में मखाना के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तैयार की गई मखाना विकास कार्ययोजना को भारत सरकार ने स्वीकृति दे दी है। उद्यान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि योजना के तहत तालाबों का चयन, किसानों का प्रशिक्षण आदि कार्यक्रम चलाए जाएंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मखाना के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी स्थापित किया जाएगा। इस योजना के माध्यम से मखाना उत्पादन, किसानों की आय में वृद्धि करेगा। उन्होंने शीतगृहों से 99.35 प्रतिशत से अधिक आलू की निकासी का भी दावा किया।
सोमवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में मंत्री ने कहा कि इस साल राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के गठन के बाद प्रथम चरण में 10 राज्यों में यह योजना लागू की गई है, इनमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की शेष अवधि में योजना क्रियान्वयन को 1.58 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है।
इससे मखाना की खेती को तालाबों का चयन एवं निर्माण, किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन, क्रेता-विक्रेता सम्मेलन, मखाना पवेलियन के माध्यम से प्रचार-प्रसार, निर्यातकों की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में भागीदारी और जिला व राज्य स्तरीय सेमिनार आदि कार्यक्रम किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि अब तक इसकी खेती मुख्य रूप से बिहार में होती थी। जहां सिंघाड़े की खेती संभव है, वहां मखाना उत्पादन भी अत्यंत सफल रहेगा। पूर्वांचल के कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, बलिया, महाराजगंज, वाराणसी और बस्ती, इसके लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
अगले वित्तीय वर्ष से मखाना विकास के लिए व्यापक स्तर पर काम होगा। प्रदेश में आलू की निकासी के प्रश्न पर मंत्री ने कहा कि इस वर्ष की निकासी दर 99.35 प्रतिशत है, जो पिछले वर्ष की 99.31 प्रतिशत से अधिक है।
15 दिसंबर तक शत-प्रतिशत निकासी पूरी होने की संभावना है। दावा किया कि प्रदेश में आलू से संबंधित किसी प्रकार की समस्या नहीं है। विपक्ष द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। विभाग प्रत्येक जिले में निकासी का विस्तृत विवरण उपलब्ध कराएगा। |