Indigo Crisis: तेजी से बढ़ रहे विमानन क्षेत्र की बड़ी चुनौती बनी थकान, विशेषज्ञ दे रहे उचित प्रबंधन पर जोर

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गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली। भारत में विमानन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इस बढ़त के साथ पायलटों और केबिन क्रू की थकान (फैटिग) एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। विमानन नियामक संस्था डीजीसीए ने हाल ही में थकान प्रबंधन को मजबूत करने के लिए नए नियम लागू किए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। थकान न केवल क्रू की सेहत को खतरे में डालती है, बल्कि उड़ान सुरक्षा को भी प्रभावित करती है, जहां एक छोटी सी गलती बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
थकान प्रबंधन की जरूरत को समझाया

विमानन विशेषज्ञ मार्क मार्टिन का मानना है कि थकान प्रबंधन विमानन उद्योग की रीढ़ है, क्योंकि थके हुए पायलट या क्रू के फैसले में चूक से यात्रियों की जान जोखिम में पड़ सकती है। कि पिछले पांच वर्षों में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने थकान प्रबंधन की जरूरत को रेखांकित किया।

मार्टिन बताते हैं कि वर्ष 2023 में नागपुर एयरपोर्ट पर इंडिगो के पायलट कैप्टन मनोज सुब्रमण्यम की अचानक मौत ने पूरे सेक्टर को हिलाकर रख दिया। वे बोर्डिंग गेट पर बेहोश हो गए और कार्डियक अरेस्ट से उनकी मौत हो गई। तब यह कहा गया था कि उन्होंने लंबी ड्यूटी की थी।
हाइपरटेंशन और स्ट्रेस क्रू में बढ़ रही

हालांकि, डीजीसीए ने थकान को सीधे जिम्मेदार नहीं ठहराया, लेकिन पायलट यूनियंस ने इसे इनह्यूमन रोस्टर्स का नतीजा बताया। उस वर्ष ऐसी तीन मौतें सामने आई थीं। ये मौतें बताती हैं कि थकान से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे हाइपरटेंशन और स्ट्रेस क्रू में बढ़ रही हैं।

विशेषज्ञों का कहना कि थकान से जुड़ी समस्या वर्ष 2025 में स्थिति और गंभीर हो गई। जून में अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान के क्रैश ने जिसमें 241 लोगों की मौत हुई, थकान से जुड़े सवालों को भी जन्म दिया। प्रारंभिक रिपोर्ट में पाया गया कि टेकऑफ के तुरंत बाद फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद हो गए, जिससे पायलट भ्रमित हुए। जांच में क्रू थकान की संभावना को शामिल किया गया क्योंकि एअर इंडिया को पहले ही डीजीसीए से 29 उल्लंघनों की चेतावनी मिल चुकी थी।
इच्छाशक्ति की कमजोरियां उजागर कीं

इनमें क्रू रेस्ट नियमों का उल्लंघन, अपर्याप्त ट्रेनिंग और हाई-एल्टीट्यूड एयरपोर्ट्स के लिए तैयारी की कमी शामिल थी। जुलाई में डीजीसीए ने एयर इंडिया को सिस्टेमिक लैप्सेस के लिए नोटिस जारी किया, जिसमें पायलटों को अनिवार्य रेस्ट न देना और कैबिन क्रू की कमी से उड़ानें चलाना शामिल था। एक नोटिस में जून 2024 और 2025 में तीन पायलटों के वीकली रेस्ट उल्लंघन का जिक्र था। इसी वर्ष नवंबर में इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसल ने थकान नियमों को लागू करने में इच्छाशक्ति की कमजोरियां उजागर कीं।
प्रति पायलट नाइट लैंडिंग्स दो तक सीमित

अब नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों के तहत वीकली रेस्ट 48 घंटे अनिवार्य हो गया, नाइट ड्यूटी को मध्यरात्रि 12 बजे से सुबह छह बजे तक परिभाषित किया गया और प्रति पायलट नाइट लैंडिंग्स दो तक सीमित की गई।

इंडिगो, जो करीब 60 प्रतिशत मार्केट शेयर रखती है, क्रू शार्टेज से जूझी और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे एयरपोर्ट्स पर अव्यवस्था मची। नतीजा यह हुआ कि डीजीसीए को नियमों में अस्थायी छूट देनी पड़ी। लीव को रेस्ट के रूप में गिनने की अनुमति और नाइट ड्यूटी को सुबह पांच बजे तक सीमित किया गया। जो फरवरी 2026 तक वैध है। पायलटों ने इसे अनसेफ बताते हुए कहा कि इससे थकान बढ़ेगी।
थकान प्रबंधन क्यों जरुरी?

थकान से पायलटों की रिएक्शन टाइम धीमी पड़ती है, निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है। भारत में 15 प्रतिशत सालाना ट्रैफिक ग्रोथ के साथ क्रू शार्टेज की समस्या को बढ़ाया।

इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन और इंडियन पायलट्स गिल्ड ने 2012 से ही थकान-मिटिगेशन नियमों की मांग की थी, जो दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर 2024-2025 में लागू हुए। डीजीसीए ने सभी एयरलाइंस को आदेश दिया है कि वे अपने पायलटों, कैबिन क्रू, शेड्यूलर (रोस्टर बनाने वाले) और डिस्पैचर (फ्लाइट प्लानिंग करने वाले) को हर साल कम से कम 1 घंटे की ट्रेनिंग जरूर दें। यह ट्रेनिंग थकान पर फोकस करती है।
उड़ान में खतरे की रहती है संभावना

ट्रेनिंग में थकान के कारण जिसमें लंबी ड्यूटी, अनियमित नींद, जेट लैग (टाइम जोन बदलना), या स्वास्थ्य समस्याएं से अवगत कराया जाता है। इसमें बताया जाता है कि थकान के असर से डिसीजन लेने की क्षमता कम होगी, रिएक्शन टाइम धीमा होगा, जो उड़ान में खतरा पैदा कर सकता है। बचाव के तरीके जैसे अच्छी नींद कैसे लें, लाइफस्टाइल मैनेजमेंट (डाइट, एक्सरसाइज), थकान के लक्षण पहचानना और रिपोर्ट कैसे करें के बारे में बताया जाता है।
2025 के ऑडिट में हुआ खुलासा

दु:खद रूप से जुलाई 2025 के ऑडिट में पाया गया कि एयरलाइंस थकान नियमों को ठीक से समझ ही नहीं रही थीं, इसलिए यह ट्रेनिंग जोड़ी गई। ट्रेनिंग ट्रेन्ड स्टाफ द्वारा होनी चाहिए, और एयरलाइंस को क्वार्टरली रिपोर्ट देनी पड़ती है। रिपोर्ट में यह बताया जाना अनिवार्य है कि कितने लोगों को ट्रेनिंग दी, कितनी थकान रिपोर्ट्स आईं, और उन्हें स्वीकार या अस्वीकार क्यों किया।

डिजिटल माॅनिटरिंग लागू की गई। एयरलाइंस को डिजिटल टूल्स अपनाने के लिए मजबूर किया है, ताकि थकान को पहले से ट्रैक और प्रेडिक्ट किया जा सके। इसमें पायलट की नींद पैटर्न, ड्यूटी शेड्यूल, उम्र के इनपुट लेकर भविष्यवाणी करता है कि कब थकान का खतरा बढ़ेगा।

यह भी पढ़ें- इंडिगो की लापरवाही ने बिगाड़ा क्रिसमस-न्यू ईयर सीजन, देशभर का पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित
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