deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

उत्पादन लागत के नाम पर मैनपावर घटा रहा Tubes division, अधिकारियों के फैसलों पर कमेटी मेंबरों ने उठाए सवाल

LHC0088 2025-12-4 20:07:40 views 49

  

फाइल फाेटो।


जासं,
जमशेदपुर! टाटा स्टील के ट्यूब्स डिवीजन में उत्पादन लागत बढ़ने का हवाला देकर मैनपावर घटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एक नवंबर से स्पेशल सेपरेशन स्कीम (एसएसएस) लागू की गई, जिसके तहत 104 कर्मचारियों को बाहर किया गया है।    कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि यह कदम अधिकारियों की प्रबंधन-त्रुटियों का परिणाम है, जबकि इसका बोझ कर्मचारियों पर डाला जा रहा है। पिछले दिनों हुई टाटा वर्कर्स यूनियन की कमेटी मीटिंग में विभागीय कमेटी मेंबरों ने मैनपावर कटौती के इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया।   
प्रबंधन  ने की यूनियन नेतृत्व की अनदेखी   मेंबरों ने बताया कि ट्यूब्स डिवीजन के अधिकारी बार-बार बढ़ी हुई उत्पादन लागत और घाटे का हवाला देकर कर्मचारियों की संख्या घटाने में लगे हैं, जबकि इस पर यूनियन नेतृत्व को न तो विश्वास में लिया गया और न ही 2023 के मुख्य समझौते में तय स्टाफ स्ट्रेंथ का पालन किया गया है।


कमेटी मेंबरों के अनुसार, अप्रैल माह में एक केक कटिंग समारोह के दौरान डिवीजन के एक अधिकारी ने कहा था कि इसी मैनपावर में ट्यूब्स को चलाना है और किसी कर्मचारी को बाहर नहीं किया जाएगा। कर्मचारियों का सवाल है कि सिर्फ सात माह में ऐसी क्या परिस्थिति बदल गई कि अब बड़ी संख्या में मैनपावर हटाया जाने लगा?

विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
निवेश पर सवाल: करोड़ों खर्च, लेकिन मशीनें बेकार कमेटी मेंबरों ने कई ऐसे निवेशों की सूची भी यूनियन के सामने रखी, जिन्हें करोड़ों रुपये खर्च कर किया गया, परंतु वे सफल नहीं हुए या वर्षों से बिना उपयोग पड़े हैं। कर्मचारियों का कहना है कि उत्पादन लागत बढ़ाने का असली कारण ये गलत और असफल निवेश हैं, जिनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।


कमेटी मेंबरों ने स्पष्ट कहा कि गलत निवेशों की वजह से उत्पादन लागत बढ़ी, परंतु इसकी कीमत कर्मचारियों को चुकानी पड़ रही है। यूनियन नेतृत्व से मांग की गई है कि प्रबंधन से कड़ा जवाब मांगा जाए और बिना सहमति लिए कर्मचारी संख्या में कटौती का विरोध किया जाए।   
उठाए गए प्रमुख सवाल और विवादित निवेश

  • करोड़ों रुपये की सुपर स्पेशलिस्ट एंबुलेंस, बिना रजिस्ट्रेशन के वर्षों से खड़ी और बेकार।
  • पीटी-3 इंच मिल मोडिफिकेशन पर किए करोड़ों खर्च के बावजूद मशीन आज तक उपयोग में नहीं।
  • पीटी मिल्स का स्मार्ट वेयरहाउस, खर्च के बाद भी गैर-कारगर।
  • हाइड्रोफार्मिंग मिल पर भारी निवेश, जिसे बाद में उखाड़ना पड़ा।
  • पीटी मिल्स में कोल्ड ड्रा यूनिट लगाकर बंद कर दिया गया।
  • पीटी-2 इंच मिल में लगाया गया डीएमयू चार्जिंग एंड लोडिंग सिस्टम बेकार साबित हुआ।
  • फिनिशिंग सेक्शन में पुश प्वाइंटिंग और 7000 हाइड्रोटेस्टर मशीन पूरी तरह फेल।
  • एसटी मिल के एचएफ-1 में लगाया गया स्टांपिंग यूनिट आज तक नहीं चला।
  • आईटीडब्ल्यू पैकिंग मशीन और लेजर प्रिंटिंग मशीन दोनों असफल, बाद में हटाना पड़ा।
  • एसटी मिल में लगाया गया करोड़ों का बाथ-2 ऑटोमेटेड गेल्वेनाइजिंग लाइन, स्क्रैप में बेचनी पड़ी।
  • एचएफ-2 में लगाया गया गेल्वेनाइज्ड पाइप वेल्डिंग इक्यूपमेंट अधर में।
  • केमिकल कोटिंग यूनिट बिना उपयोग के बंद।
  • करोड़ों की थीन ऑर्गेनिक कोटिंग मशीन भी फेल, बाद में हटाकर एचएसयू मिल लगाया गया।
  • 200 करोड़ की लागत से लगा एचएसयू मिल, 10 हजार टन क्षमता के बावजूद एक वर्ष से 1500–2000 टन ही उत्पादन।
  • ट्रक लोडिंग पैलेट अरेंजमेंट का उपयोग न होना, निवेश पर सवाल खड़ा करता है।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1210K

Credits

Forum Veteran

Credits
129688