deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Traffic Challan: यातायात नियमों को तोड़ने वाले, भर देंगे सरकारी खजाना; अकेले UP में ही हजारों करोड़ है बकाया

LHC0088 2025-12-4 04:37:05 views 907

  

ट्रैफिक चालान को लेकर जानकारी देने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन।



निर्लोष कुमार, आगरा। देश में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर दूसरों की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले चालकों के चालान तो खूब हो रहे हैं, लेकिन वह जमा नहीं हो रहे हैं। पूरे देश में  चालान के मद में करीब 38 हजार करोड़ रुपये बकाया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह धनराशि सरकारी खजाने को भर सकती है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ई-चालान डैशबोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015-2025 तक 39.55 करोड़ चालान हुए, जिनमें से 15 करोड़ का ही निस्तारण हो सका। 24.55 करोड़ चालान अभी लंबित हैं।

न्यायालय में 10.96 करोड़ चालान भेजे गए थे, जिनमें से 9.21 करोड़ लंबित हैं। इस अवधि में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 59883.61 करोड़ रुपये का जुर्माना किया गया, जिसमें से 21718.17 करोड़ रुपये की चालान राशि ही वसूली जा सकी है।

ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 38165.44 करोड़ रुपये की चालान राशि अभी बकाया है। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामले बढ़ने के साथ चालान की संख्या बढ़ना यह दर्शाता है कि देश व प्रदेश में व्यवस्थित सड़क अनुशासन की भारी कमी है।

लंबित चालानों की बड़ी संख्या यह दर्शाती है कि प्रवर्तन तो हो रहा है, लेकिन निस्तारण की रफ्तार बहुत धीमी है। उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा की स्थिति अत्यंत गंभीर है। यहां ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और मृत्यु दर दोनों ही तेजी से बढ़ रहे हैं।

चालान बढ़े हैं, लेकिन निस्तारण व सुधार नहीं हो रहा है। सड़क डिजाइन, इंजीनियरिंग, ट्रैफिक प्रबंधन और निगरानी सभी क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत है। मौसम साफ होने पर हुईं सर्वाधिक मौतें बताती हैं कि अनुशासनहीन ड्राइविंग ही दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है।

उप्र के कानपुर, मथुरा, हरदोई, गोरखपुर, बुलंदशहर व आगरा में सड़क सुरक्षा, यातायात नियंत्रण और बचाव सुविधाएं बेहद कमजोर हैं।

प्रदेश में अधिकतर दुर्घटनाएं खराब मौसम में नहीं, बल्कि साफ मौसम में लापरवाही, तेज़ी और नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं। हादसों में 77.9 प्रतिशत मृत्यु साफ मौसम में हुईं, जबकि 10 प्रतिशत मृत्यु धुंध या कोहरे में हुईं।

100 मीटर से ऊपर की दृश्यता में 39.3 प्रतिशत मृत्यु हुईं। यह अनुशासनहीन ड्राइविंग को दर्शाता है। प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत दुर्घटनाएं पूरी तरह मानवीय त्रुटि जैसे तेजी, ओवरस्पीडिंग, मोबाइल उपयोग व लापरवाही की वजह से हुईं।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन कहते हैं, “सड़कें तभी उत्कृष्ट बनेंगी जब इंजीनियरिंग, प्रवर्तन और जागरूकता साथ चलें।  

सड़क दुर्घटनाओं और उनमें बढ़ते मृत्यु के आंकड़े चेतावनी हैं कि यदि अभी नहीं जागे, तो हजारों लोग यूं ही सड़कों पर अपनी जान खोते रहेंगे। सुरक्षा हमारा अधिकार नहीं, हमारी जिम्मेदारी भी है।  

ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर हुए चालान जमा नहीं होना, राष्ट्र स्तर की समस्या है। उप्र में चालान माफ किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका विचाराधीन है। सड़क सुरक्षा को प्रभावी बनाने के लिए चालान की वसूली अनिवार्य होनी चाहिए, नहीं तो इसका कोई औचित्य नहीं रहेगा।

  
उप्र में चालान की स्थिति

  • वर्ष 2017-18 में 4.2 लाख चालान हुए।
  • वर्ष 2024-25 में चालान की संख्या बढ़कर 14.7 लाख हो गई।
  • वर्ष 2024-25 में आनलाइन कंपाउंडिंग शुल्क बढ़कर 99.84 करोड़ रुपये तक पहुंचा।
  • वर्ष 2024-25 में कुल कंपाउंडिंग शुल्क 4.22 अरब पहुंचा।


  
उप्र में मृत्यु की संख्या वाले शीर्ष जिले

जिला, मृत्यु
1. कानपुर, 2597
2. मथुरा, 2496
3. हरदोई, 2306
4. गोरखपुर, 2248
5. बुलंदशहर, 2248
6. आगरा, 2213
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1210K

Credits

Forum Veteran

Credits
129316