जागरण संवाददाता, सुलतानपुर। प्रतिबंधित कोडीनयुक्त औषधियों के दुरुपयोग मामले में चार दवा एजेंसियों के संचालकों के विरुद्ध कोतवाली नगर में केस दर्ज किया गया है।
इससे पूर्व 22 नवंबर को गोलाघाट स्थित एक एजेंसी संचालक तथा उसके पति के विरुद्ध कोडिवा कफ सीरप एवं ट्रामाडोल तत्व से निर्मित प्यूराक्सोविन स्पेस कैप्सूल की अवैध खरीद, भंडारण व विक्रय संबंधी अभिलेख न प्रस्तुत करने पर केस दर्ज किया गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
औषधि निरीक्षक राजू प्रसाद ने बताया कि 17 नवंबर को अमहट स्थित अनीस मेडिकल एजेंसीज पर विभाग की छापेमारी में संचालक अनीस अहमद द्वारा प्यूराक्सोविन स्पास कैप्सूल के कुल 1584 बाक्स से संबंधित 22 क्रय बिलों की सत्यापित प्रति तो उपलब्ध कराई गई, लेकिन कोई विक्रय बिल उपलब्ध नहीं कराया जा सका।
इसी एजेंसी द्वारा प्रस्तुत विक्रय अभिलेखों के सत्यापन के क्रम में मेसर्स अभिषेक मेडिकल स्टोर, मेसर्स न्यू गुप्ता मेडिकल हाल, मेसर्स संगीता मेडिकल स्टोर तथा मेसर्स अभी मेडिकल स्टोर को इसके क्रय-विक्रय संबंधी अभिलेख प्रस्तुत करने को कहा गया था। इन प्रतिष्ठानों द्वारा प्यूराक्सोविन कैप्सूल के कुल 1180 बाक्स के क्रय किए जाने से इंकार किया गया।
19 नवंबर को शाहगंज स्थित मेसर्स वैश्य मेडिकल स्टोर की संचालक नेहा कसौंधन व उनके पिता राजेश कसौंधन कोडिवा कफ सीरप से संबंधित कोई भी क्रय-विक्रय अभिलेख नहीं उपलब्ध कराया गया।
22 नवंबर को सीरप के 100 मिलीलीटर के 6095 बोतल के 13 क्रय बिल उपलब्ध कराए गए, लेकिन विक्रय बिल नहीं दिखा सके। पलहीपुर पयागपट्टी के मेसर्स वैभव फार्मा के संचालक वैभव श्रीवास्तव द्वारा सीरप के 9110 बोतल व कैप्सूल के 187 बाक्स के 27 क्रय बिलों में मात्र 17 का बिल उपलब्ध कराया गया।
प्रतिष्ठान बंद, लेकिन अभिलेख नहीं दिखा सका संचालक : 26 नवंबर को व्हाट्सएप पर गोलाघाट स्थित मेसर्स अमर फार्मास्यूटिकल्स द्वारा दिल्ली स्थित मेसर्स वान्या इंटरप्राइजेज से कोडीनयुक्त एसकफ सीरप की सौ एमएल की 52625 बोतल की आपूर्ति की सूचना विभागीय अधिकारियों को मिली। जांच में प्रतिष्ठान बंद मिला।
संचालक पुष्पेंद्र कुमार ने एक वर्ष पूर्व ही प्रतिष्ठान बंद होने की जानकारी दी। उनके घर में भी जांच में दवाएं नहीं पाई गईं। उन्हें सीरप संबंधी क्रय-विक्रय का अभिलेख प्रस्तुत करने का कहा गया था।
उन्होंने 30 हजार बाेतलों का क्रय बिल तो उपलब्ध कराया, लेकिन विक्रय बिल नहीं उपलब्ध करा सके। जांच में संचालक की फर्म के खाते से 23 लाख 52 हजार रुपये भेजे जाने की पुष्टि हुई है। कोतवाल धीरज कुमार ने बताया कि केस दर्ज कर मामले की विवेचना की जा रही है। |