अमृतसर में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं, प्रशासन ने कसा शिकंजा
- पराली जलाने पर सख्ती: जुर्माना और एफआईआर से चेताया गया किसान
- प्रदूषण पर चिंता: पंजाब में पराली जलाने के मामलों में तेजी
चंडीगढ़। पंजाब में एक बार फिर पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। सरकार की सख्ती और जागरूकता अभियानों के बावजूद किसान अभी भी खेतों में पराली जलाकर फसल अवशेष नष्ट कर रहे हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में अब तक पराली जलाने के कुल 70 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मामले अमृतसर जिले से सामने आए हैं।
इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए 20 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि कुल 1.50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
इस बार पराली जलाने के मामलों में अमृतसर जिला सबसे आगे रहा है, जहां 42 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। यहां पराली जलाने के चलते करीब 90,000 रुपए का जुर्माना भी किसानों पर लगाया गया है।
जानकारों का मानना है कि पराली जलाने के ये मामले आने वाले दिनों में और बढ़ सकते हैं, क्योंकि धान की कटाई का सीजन अभी जारी है। राज्य सरकार ने पहले ही किसानों से अपील की थी कि वे पराली जलाने से बचें और इसके लिए उपलब्ध वैकल्पिक उपायों का सहारा लें।
सरकारी निर्देशों का पालन न करने वालों के खिलाफ अब प्रशासन ने भी सख्त रवैया अपनाया है। कई जगहों पर ड्रोन और सैटेलाइट के जरिए पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी की जा रही है।
पंजाब सरकार किसानों को पराली के निपटारे के लिए सब्सिडी पर मशीनें जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रोटावेटर आदि उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा, जागरूकता अभियानों के जरिए किसानों को समझाया जा रहा है कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि उनकी खुद की जमीन की उर्वरता भी घटती है।
पराली जलाने से उठने वाला धुआं न सिर्फ स्थानीय स्तर पर हवा को प्रदूषित करता है, बल्कि यह राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी प्रदूषण बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। यही कारण है कि इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार भी पहले कई बार सख्त निर्देश दे चुकी हैं।

Deshbandhu
PunjabfarmersChandigarh
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