निर्माणाधीन इमारत
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। मेडिकल कालेज परिसर में नौ वर्ष बाद भी अधूरे 100 बेड अस्पताल के निर्माण में लगा बजट का रोड़ा जल्द दूर होने की संभावना है। दैनिक जागरण में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुए अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित घोष ने इस बारे में पूरी रिपोर्ट तलब की है। उनके कार्यालय से फोन के माध्यम से प्राचार्य डा. राजेश कुमार से अधूरे निर्माण कार्य को लेकर जानकारी ली गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्राचार्य ने बजट न मिलने, अब तक की स्थिति व अधूरे कार्य के कारण हो रही दिक्कतों के बारे में बताया। इस संबंध में जल्द ही कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण के साथ अधिकारियों की बैठक करने का भी निर्णय लिया गया। राजकीय मेडिकल कालेज का दर्जा मिलने के बाद 193 करोड़ रुपये निर्माण कार्यों के लिए स्वीकृत हुए थे जिसमे जिगनेरा स्थित भवन के साथ ही मेडिकल कालेज परिसर में 100 बेड का अस्पताल निर्माण भी शामिल था।
कार्यदायी संस्था उप्र राजकीय निर्माण निगम ने 2017 में काम शुरू कराया। 2018 में जिगनेरा भवन व 2020 में अस्पताल का निर्माण पूरा कराया जाना था, लेकिन काम की गति धीमी होने के कारण लागत बढ़ती गई। 2023 में 14.52 करोड़ के अतिरिक्त बजट की मांग की गई, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली, जिस कारण काम जहां तका तहां रुक गया। दैनिक जागरण ने 25 नवंबर के अंक में बजट में अटका 100 बेड अस्पताल का निर्माण शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया।
अपर मुख्य सचिव व स्वास्थ्य निदेशालय स्तर से संज्ञान लिया गया। अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर संबंधित कार्यालयों से प्राचार्य डा. राजेश कुमार से इस संबंध में वार्ता की गई। प्राचार्य ने पूरी स्थिति से अवगत कराया। अब उन्होंने निदेशालय स्तर पर बैठक कराने का आग्रह किया है जिसमें कार्यदायी संस्था के अधिकारियों के साथ निर्माण संबंधित आ रहीं दिक्कतों को दूर कराया जा सके। प्राचार्य ने इसके लिए फिर से पत्राचार करने की बात कही है। माना जा रहा है कि निर्माणाधीन अस्पताल के लिए बजट जारी करने को लेकर जल्द ही निर्णय हो सकता है।
अपर मुख्य सचिव कार्यालय व निदेशालय स्तर से 100 बेड के निर्माणाधीन अस्पताल को लेकर जो जानकारी मांगी गई थी वह उपलब्ध करा दी गई है। जल्द बैठक कराने के लिए भी पत्राचार किया जाएगा। प्रयास किया जा रहा है कि जल्द निर्माण कार्य शुरू हो सके ताकि मरीजों को राहत मिल सके।
- डा. राजेश कुमार, प्राचार्य
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