नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि भारत की तीन ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ते कदमों के साथ हमें पश्चिम के विकास माडल का अनुसरण नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि हमारे अधिकांश बुनियादी ढांचे का निर्माण अभी बाकी है, जिससे हमें शहरों, उद्योगों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्वच्छ ऊर्जा और बायो इकोनामी के चारों ओर विकसित करने का अनूठा अवसर प्राप्त है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सुझाव दिया कि हमें हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिए। अमिताभ कांत सीईईडब्ल्यू के अध्ययन \“बि¨ल्डग ए ग्रीन इकोनामी फार विकसित भारत\“ के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। अध्ययन में बताया गया है कि भारत संचयी हरित निवेशों में 360 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित कर सकता है और 4.8 करोड़ पूर्णकालिक समतुल्य नौकरियां सृजित करने की संभावना है।
तकनीकी रूप से देश को बनाया सक्षम
यह अध्ययन 2047 तक भारत के लिए सालाना 97.7 लाख करोड़ रुपये की हरित मार्केट की संभावनाओं का आकलन करता है। कांत ने यह भी कहा कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे ने भारत को तकनीकी रूप से आगे बढ़ने में सक्षम बनाया है, जो कि सात वर्षों में संभव हुआ, जबकि यह दशकों में हो पाता।
पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि देश का हरित परिवर्तन सकारात्मक है, जो लाखों नौकरियां सृजित कर सकता है और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बना सकता है। सीईईडब्ल्यू के अभिषेक जैन ने कहा कि हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ना भारत के लिए आर्थिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करेगा। |