करोड़ों के बजट के बाद भी अस्पताल के शौचालय बंद।
जागरण संवाददाता, बलरामपुर। मेडिकल कॉलेज के पास अब करोड़ों रुपये का बजट है। फिर भी इसके अधीन संयुक्त जिला अस्पताल के बदहाल शौचालयों की सूरत नहीं बदल रही है। गंदे व बदहाल शौचालयों से यहां आने वाले मरीजों और तीमारदारों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। वहीं कई शौचालय बदहाल होने के कारण बंद पड़े हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हैरत की बात यह है कि प्रमुख सचिव सहित तमाम उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाबजूद मेडिकल कालेज प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है, जिसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है।
मेडिकल कॉलेज के अधीन संयुक्त जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन लगभग 400 मरीजों की ओपीडी होती है। कहने को तो इस अस्पताल में 12 से अधिक शौचालय बने हैं, लेकिन इनमें से कई में ताले लगे रहते हैं।
वहीं कुछ निष्प्रयोज्य हो गए हैं, जो चालू हालत में हैं, उनकी नियमित साफ-सफाई न होने से उपयोग करने लायक नहीं हैं। बीते गुरुवार को संयुक्त जिला अस्पताल का निरीक्षण करने आईं निदेशक नर्सिंग डॉ. सीमा श्रीवास्तव को अस्पताल के अधिकतर शौचालय गंदे मिले थे। इनमें से दुर्गंध निकल रही थी।
इस पर निदेशक ने नाराजगी जताते हुए सीएमएस और क्वालिटी मैनेजर को हिदायत दी थी। इसके पूर्व डीएम, उसके बाद महिला आयोग अध्यक्ष के निरीक्षण में अस्पताल के शौचालय और साफ-सफाई की पोल खुल चुकी है।
उच्चाधिकारियों की तमाम फटकार के बाबजूद अस्पताल की व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं है। लोगों का कहना है की अभी तक बजट का रोना रोने वाला मेडिकल कालेज प्रशासन अब भरपूर बजट मिलने के बाद भी बदहाली दूर नहीं कर पा रहा है।
प्रमुख सचिव जता चुके हैं नाराजगी
बीते अगस्त में जिले के नोडल व उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर ने संयुक्त जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। उस समय भी अस्पताल में भारी गंदगी, बदहाल और निष्प्रयोज्य शौचालय मिले थे।
प्रमुख सचिव ने शौचालय को तत्काल ठीक कराने का निर्देश मेडिकल कालेज प्राचार्य को दिया था। चार माह बीतने के बाद भी इसे सही नहीं कराया जा सका है। आज भी ओपीडी के बगल स्थित शौचालय पर लगा निष्प्रयोज्य का बोर्ड व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन को व्यवस्थाओं को ठीक कराना है। शौचालय की साफ-सफाई की नियमित निगरानी के लिए संबंधित को निर्देशित किया गया है। लापारवाही पर कार्रवाई की जाएगी। -डॉ. राजकुमार वर्मा, सीएमएस। |