आतंकी डॉ. उमर नबी ने ही विस्फोट करके ले ली थी 13 मासूमों की जान।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। लालकिला के नजदीक आत्मघाती धमाका कर 13 मासूम लोगों की जान लेने और 20 से अधिक लोगों को घायल करने वाले आतंकी डाॅक्टर उमर का न तो नमाज-ए-जनाजा पढ़ा जाएगा और न ही उसे दफ्नाने के लिए भारत में दो गज जमीन नसीब होगी। ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन (एआईआईओ) के चीफ इमाम डाॅ. उमेर अहमद इलियासी ने पूर्व में जारी फतवे का हवाला देते हुए बताया कि पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए आतंकियों को लेकर यह फतवा जारी किया गया था, जो फिदायीन आतंकी डाॅ. उमर के मामले में भी लागू होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने कुरान का हवाला देते हुए कहा कि निर्दोष लोगों तथा खुद को बम से उड़ा देना, यह आतंकी अगर इस्लाम मानने वाला होता तो कभी नहीं करता। कुरान के अंदर अल्लाह फरमाते हैं कि एक इंसान का कत्ल पूरी इंसानियत का कत्ल है। आत्महत्या और बम लगाकर किसी का कत्ल करना हराम है। ऐसे में जो इस्लाम को मानने वाला नहीं है, उसके लिए जनाजे की नमाज कैसे हो सकती है?
चीफ इमाम ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि पहले की आतंकी घटनाओं में गरीबों का नाम आता था, कहा जाता था कि वे जाहिल हैं। हाल के मामलों में तो पढ़े-लिखे लोगों का नाम सामने आ रहा है। इस घटना में लोगों को नया जीवन देने वाले चिकित्सकों का नाम सामने आया है, वह कसाई बन गए हैं। ये इंसान नहीं, बल्कि शैतान हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस आतंकी हमले में मुस्लिमों के साथ एक मुस्लिम मेडिकल संस्थान अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आ रहा है। ऐसे में देशभर के मुस्लिमों, इमामों व मुस्लिम संगठनों से अपील है कि वह आगे आएं और उनके खिलाफ बोलें, सच को सच कहें। उन्हें, अंतर करना होगा कि आतंकवाद फैलाने वाले कैसे इस्लाम को मानने वाले हो सकते हैं? जो चंद खराब लोग हैं उन्हें खराब कहना होगा। मजहब के नाम पर जो तबाही की मानसिकता है। उसके विरूद्ध खड़ा होना होगा।
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