deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

तरनतारन उपचुनाव: आज होगा मतदान, इन दलों में कड़ी टक्कर; क्या है इस सीट का सियासी समीकरण?

deltin33 2025-11-27 01:09:36 views 884

  

तरनतारन विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है क्योंकि आप विधायक कश्मीर सिंह सोहल का निधन हो गया (फाइल फोटो)



धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन। पेशे के तौर पर डाक्टर रहे आम आदमी पार्टी (आप) के कश्मीर सिंह सोहल 2022 में पहली बार चुनाव लड़कर 15 हजार से अधिक मतों से विधानसभा में पहुंचे थे।

कैंसर रोग से पीड़ित डॉ सोहल का देहांत 27 जून को हुआ। जिसके बाद यह सीट रिक्त घोषित की गई। छह अक्तूबर को उपचुनाव लिए राष्ट्रीय चुनाव आयोग द्वारा कार्यक्रम जारी किया गया।

जिसके साथ आदर्श आचार संहिता लागू हुई। निर्धारित कार्यक्रम के तहत 11 नवंबर (आज) यहां उपचुनाव लिए मतदान होने जा रहा है। इस चुनावी रण में चार राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशी आमने-सामने हैं।

जबकि 11 आजाद तौर पर किस्मत अजमा रहे हैं। सियासी भुगोल की बात करें तो माझा से संबंधित यह विस सीट अधिक तौर पर अकाली दल के खाते में जाती रही है। हालांकि समय-समय पर कांग्रेस भी यहां पर जीत दर्ज करवाती रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दो बार यहां से आजाद प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ चुके हैं। जबकि 1967 के बाद (57 वर्ष) तरनतारन सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। 1952 में कांग्रेस की टिकट पर मोहन सिंह ने सीपीआइ के कामरेड दर्शन सिंह झब्बाल को हराया था।

1957 में कांग्रेस के गुरदयाल सिंह ढिल्लों जीत दर्ज करवाने में सफल रहे। 1962 में ढिल्लों ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करवाई। 1967 के चुनाव में शिअद के हरजिंदर सिंह बहिला ने कांग्रेस के एनएसएस पुरी को हराया।

चंडीगढ़ में सड़क हादसे दौरान बहिला का देहांत हो गया। नतीजन उपचुनाव में शिअद ने बहिला के छोटे भाई मनजिंदर सिंह बहिला को मैदान में उतारा। जिन्होंने कांग्रेस के दिलबाग सिंह डालेके को हराया।

1972 में कांग्रेस के डालेके ने अपनी हार का बदला लेते मनजिंदर सिंह बहिला को मात दी। 1977 में शिअद की टिकट न मिलने पर मनजिंदर सिंह बहिला आजाद तौर पर चुनाव लड़े।

जिन्होंने शिअद के प्रेम सिंह लालपुरा को हराया। 1982 में लालपुरा ने कांग्रेस के डालेके को मात दी। 1985 में शिअद के लालपुरा ने कांग्रेस के डा सुरिंदर सिंह शाही को हराकर जीत का सिलसिला बरकरार रखा।

पंजाब में जब आतंकवाद का दौर था तो शिअद ने चुनाव का बायकाट किया। इस दौरान 1992 के चुनाव में कांग्रेस के दिलबाग सिंह डालेके निर्विरोध विधायक बने। 1997 में प्रेम सिंह लालपुरा तीसरी बार जीत दर्ज करवाने में सफल रहे।

उन्होंने कांग्रेस के डालेके को हराया। 2002 में टिकट न मिलने पर हरमीत सिंह संधू चुनाव मैदान में उतरे। आजाद तौर पर उन्होंने शिअद के अलविंदरपाल सिंह पखोके को मात दी। 2007 में शिअद की तरफ से संधू ने कांग्रेस के मंजीत सिंह घसीटपुरा को हराया।

2012 में कांग्रेस के डा धर्मबीर अग्निहोत्री शिअद के हरमीत सिंह संधू के हाथों चुनाव हार गए। 2017 में अग्निहोत्री ने अपनी हार का बदला लेते संधू को हराया। 2022 में डा कश्मीर सिंह सोहल ने आप की तरफ से चुनाव लड़ा व शिअद के संधू को हराया।

2002 के चुनाव में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह केरों के छोटे बेटे गुरिंदर प्रताप सिंह केरों कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े। उनकी नामोशीजनक हार हुई, क्योंकि केरों को केवल 14,204 वोट ही नसीब हुए।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

No related threads available.

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

510K

Threads

0

Posts

1710K

Credits

administrator

Credits
179165