बैरिया खुर्द का राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
अर्जुन जायसवाल, हरनाटांड़। शिक्षा तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के दावे भले ही हर मंच पर किए जा रहे हों और आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की लगातार कोशिश हो रही है, लेकिन बगहा दो प्रखंड के हरनाटांड़ से सटे बैरिया खुर्द का राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय आज भी सड़क सुविधा के अभाव से जूझ रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्य सड़क से लगभग 700 मीटर दूर बसे इस विद्यालय तक पहुंचने के लिए न कोई पक्का रास्ता है और न ही वैकल्पिक मार्ग। नतीजतन कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले 433 बच्चों को रोजाना संकरे पगडंडियों के सहारे स्कूल पहुंचने को मजबूर हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विद्यालय में करीब 90 फीसदी बच्चों की दैनिक उपस्थिति और 10 शिक्षकों की तैनाती इस बात का प्रमाण है कि यहां शिक्षा का माहौल मजबूत है।
रोजाना जोखिम उठाकर पहुंचते हैं बच्चे
स्कूल तक जाने वाली पगडंडी खेतों और कीचड़ से घिरे क्षेत्र से होकर गुजरती है। मुख्य सड़क से थरुहट महाविद्यालय तक तो सड़क ठीक है, लेकिन उक्त विद्यालय का अपना कोई रास्ता ही नहीं है। जैसे तैसे निजी खेतों से होकर गुजरना पड़ता है।
बारिश के दिनों में यह रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है। ऐसे में न तो साइकिल ले जाना संभव है, न ही छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित पैदल यात्रा। कई बच्चे फिसलकर गिर भी जाते हैं, लेकिन मजबूरी में इसी रास्ते से स्कूल पहुंचना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।
वहीं विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों को भी रोजाना इसी पगडंडी से होकर आना पड़ता है। कई बार खेतों में फसल खड़ी रहने की वजह से रास्ता और संकरा हो जाता है, जिससे समय पर स्कूल पहुंचना चुनौती बन जाता है।
बरसात में जमीनी हकीकत और भयावह
विद्यालय में अध्ययनरत बच्चे विकास कुमार, करण कुमार, सत्यम कुमार, नागेश्वर कुमार, रिशु कुमारी, अंशु कुमारी व चंद्रकला कुमारी आदि का कहना है कि बरसात के मौसम में खेतों पर पानी भर जाता है।
आसपास के खेत जलमग्न हो जाते हैं, जिससे रास्ता पूरी तरह कट जाता है जिससे हमलोग स्कूल आने में काफी परेशानी झेलते हैं। इसका असर पठन पाठन पर भी पड़ता है।
बच्चों ने बताया कि थरुहट महाविद्यालय तक तो रास्ता बना है लेकिन हमलोगों के स्कूल तक रास्ता नहीं है। जिससे खेतों से होकर गुजरना पड़ता है।
खेतों व पगडंडी पर टिका संघर्ष कब सड़क का रूप लेगा यह प्रशासनिक पहल का इंतजार
बैरिया खुर्द के ग्रामीण कृष्ण मोहन यादव, केदार साह, मोतीलाल चौधरी, सत्यनारायण प्रजापति, विजय ठाकुर व राजकुमार पड़ित का कहना है कि विद्यालय क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण शैक्षणिक केंद्र है, लेकिन सड़क न होने की वजह से इसका विकास रुक गया है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से इस दिशा में तुरंत कदम उठाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा विकास की पहली सीढ़ी है और बैरिया खुर्द का विद्यालय आज भी इसी पहली सीढ़ी पर संघर्ष कर रहा है। खेतों व पगडंडी पर टिका यह संघर्ष कब सड़क का रूप लेगा यह प्रशासनिक पहल का इंतजार कर रहा है।
खेतों के बीच अवस्थित हमारे विद्यालय तक पहुंचने के लिए कोई सड़क मार्ग नहीं है। बीते दो साल पहले चहारदीवारी का निर्माण तो हो गया। लेकिन सड़क निर्माण को लेकर कई बार स्थानीय मुखिया, बीईओ और सीओ बगहा दो को आवेदन दिया गया है। बावजूद सालों से समस्या जस की तस है। बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है। सड़क बन जाए तो हमारी आधी परेशानी दूर हो जाएगी। - अंजुम आरा, प्रभारी प्रधानाध्यापक |