सांकेतिक तस्वीर।
संवाद सहयोगी, जागरण रामपुर। अब सालभर में 10 दिन ऐसे होंगे जब बच्चे स्कूल तो आएंगे, लेकिन बैग नहीं लाएंगे। न भारी बस्ता, न किताबों का वजन। बस मजेदार तरीके से सीखने का दिन। इन 10 दिनों में बच्चों के लिए मजेदार और काम की गतिविधियों का पूरा पैकेज तैयार है।स्किल-बेस्ड लर्निंग सेशन होंगे जहां बच्चों को वो चीजें सिखाई जाएंगी जो जिंदगी में सच में काम आएंगी। इसके अलावा क्रिएटिव और थीम वर्कशाप होगी, जिसमें बच्चे अपनी कल्पनाशक्ति के पंख खोलकर उड़ान भरेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
6वीं से 8वीं तक के बच्चों के लिए साल में 10 दिन का बैगलेस स्कूल
सभी सरकारी स्कूलों में 6वीं से 8वीं तक के बच्चों के लिए 10 दिन का बैगलेस स्कूल कार्यक्रम शुरू किया हैइस पहल का सबसे बड़ा मकसद बच्चों पर पढ़ाई का दबाव कम करना और उन्हें सीखने का मजेदार और आसान माहौल देना है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लिया गया है। जिसमें रटने की बजाय बच्चों को गतिविधियों के जरिए सीखने पर ज्यादा जोर दिया गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा परिषदीय उच्च प्राथमिक, कंपोजिट व केजीबीवी के बच्चों के लिए आनंदम मार्गदर्शिका विकसित की गई है।
बैगलेस स्कूल के लिए बनाई आनंदम गाइडलाइन
रामपुर। एससीईआरटी ने इस पहल के लिए आनंदम नाम की गाइडलाइन बनाई है। इसका मकसद बच्चों को पढ़ाई से डराना नहीं, उन्हें हंसाते-खेलाते सीखाना है। इन बैगलेस दिनों में बच्चे सिर्फ किताबें खोलते नहीं दिखेंगे, बल्कि करेंगे, समझेंगे और मजे-मजे में चीजें सीखेंगे। यहां गतिविधियां ऐसी होंगी जो बच्चों की सोच, क्रिएटिविटी और आत्मविश्वास को आसमान तक पहुंचा दें।
वर्कशॉप, स्किल और ट्रिप पर फोकस
रामपुर। इस प्रोग्राम के तहत एजुकेशनल ट्रिप भी कराए जाएंगे, जहां बच्चे किताबों से बाहर निकलकर असली दुनिया को जानेंगे। साथ ही ग्रुप एक्टिविटीज कराए जाएंगे, जिनमें टीमवर्क और दोस्ती दोनों एक साथ मजबूत होंगे। बैगलेस दस दिनों में बच्चों के बहुमुखी विकास से जुड़े कार्यक्रम आयोजित होंगे। बैगलेस दिवस नवंबर के चौथे शनिवार, दिसंबर में पहले दूसरे, तीसरे व चौथे शनिवार, जनवरी में तीसरे व चौथे शनिवार तथा फरवरी में पहले व दूसरे शनिवार को मनाया जाएगा।
शनिवार बना फन डे
इस नए सिस्टम में शनिवार का मजा ही अलग है। इस दिन बच्चों को बिल्कुल अलग अंदाज में सीखने का मौका मिलेगा। कोई खेलने में व्यस्त होगा, कोई आउटडोर एक्टिविटी में, कोई पिकनिक के मजे लेगा और कोई स्पीच या डिबेट में अपनी धाक जमाएगा। हफ्ते का यह दिन बच्चों को पढ़ाई के टेंशन से बाहर निकालकर फ्रेश कर देगा। इन बैगलेस दिनों का मकसद साफ है। बच्चों को आराम, मजा और समझ तीनों एक साथ देना। इससे बच्चे न सिर्फ पढ़ाई से जुड़े रहेंगे, बल्कि अपनी रुचियों को पहचानेंगे, नए दोस्त बनाएंगे और बेफिक्र होकर सीख सकेंगे। इससे बच्चों का तनाव घटेगा और स्कूल आना उन्हें बोरिंग नहीं, बल्कि मजेदार लगेगा।
इसके जरिये विद्यार्थियों को आनंदमय वातावरण में सीखने का अनुभव देने, विद्यार्थियों को व्यावहारिक व अनुभव वाली शिक्षा देने, समग्र शिक्षा पर जोर, उनकी सीखने की क्षमता को बढ़ाने का प्रयास होगा। साथ ही कौशल आधारित गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा, समुदाय के साथ जुड़ने, स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों व स्थानीय व्यवसाय की समझ विकसित की जाएगी।
कल्पना देवी, बीएसए, रामपुर |