संवर रही रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली।
संवाद सूत्र, परसपुर (गोंडा)। विश्व प्रसिद्ध रामचरित मानस व हनुमान चालीसा जैसे कई काव्यों के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की शुक्रवार को 521वीं जयंती है। इनका जन्म श्रवण मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को परसपुर के पौराणिक स्थल सूकरखेत के सरयू नदी के तट पर स्थित राजापुर गांव में हुआ था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गोस्वामी तुलसीदास की माता का नाम हुलसी व पिता का नाम आत्माराम दूबे था। जन्म के बाद ही माता पिता की मृत्यु हो जाने से इनका लालन-पालन चुनिया नाम की दासी ने किया था। इनका बचपन बहुत ही दुखमय रहा। मांग कर जो पाते थे उसी से पेट भर लेते थे।
घूमते फिरते यह यहां से चार किमी दूर सरयू घाघरा संगम तट स्थित नरहरि आश्रम पहुंच गए। जहां पर इन्हें गुरु नरहरि अपने पास रखकर इनके भरण पोषण के अलावा शिक्षा दीक्षा भी दी।
इसका उल्लेख गोस्वामी जी ने रामचरित मानस में किया है। \“\“मैं पुनि निज गुरु सन सुनी, कथा सो सूकरखेत\“\“।
गुरु से शिक्षा ग्रहण करने के बाद इन्होंने रामचरित मानस जैसे महाकाव्य की रचना करके महाकवि तुलसीदास कहलाए।
पर्यटन विकास विभाग ने एक वर्ष पूर्व करीब डेढ़ करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृति की थी। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विश्रामस्थल, प्रकाश के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं।
दीवानी न्यायालय में विचाराधीन है वाद
तुलसीदास की जन्मस्थली सूकरखेत राजापुर विवादों से जुड़ी रही। इसके लिए सनातन धर्म परिषद के अध्यक्ष स्वामी भगवदाचार्य ने अथक परिश्रम किया। इस स्थान पर कई नामचीन साहित्यकार, इतिहासकार व बुद्धिजीवियों की गोष्ठी करवाई। युग तुलसी पंडाल राम किंकर उपाध्याय, गजल सम्राट अनूप जलोटा, रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने यहां पहुंच कर नौ दिनों तक रामकथा सुनाई।
भगवदाचार्य के प्रयास से वर्ष 2008 से हाईस्कूल व इंटरमीडियट के काव्य पाठ्य पुस्तकों में तुलसी जी की जन्मभूमि सूकरखेत राजापुर गोंडा का नाम भी पढ़ाया जाने लगा। पूर्व डीएम सदाकांत ने जहां तुलसीदास के पिता आत्माराम के नाम से राजस्व अभिलेख में दर्ज नौ एकड़ जमीन पर पौधरोपण कराया।
वहीं, तत्कालीन डीएम नवनीत सहगल ने तुलसी भवन तुलसी सरोवर आदि का निर्माण कराया। राजापुर को जन्मस्थली घोषित कराने के लिए डॉ. स्वामी भगवदाचार्य ने दीवानी न्यायालय में वाद दाखिल किया है, जिसपर सुनवाई दिसंबर में होगी।
पौष पूर्णिमा पर यहां आस्था का लघु संगम
प्रयागराज में महाकुंभ तो परसपुर के पसका में छोटा कुंभ। पसका त्रिमुहानी घाट पर सरयू व घाघरा नदी का संगम है। इसके प्रति श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है। यहां पौष पूर्णिमा पर मेले का आयोजन किया जाता है। सूकरखेत पसका रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली के रूप में भी विख्यात है।
बाल्यकाल में गुरु नरहरि दास के आश्रम में रहकर राम कथा सुनीं थी, जिसका वर्णन रामचरित मानस में भी मिलता है। जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर स्थित सूकरखेत (पसका) पौराणिक स्थल है। इसका महत्व सतयुग से है।
धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु ने वाराह के रूप में अवतार लेकर हिरण्याक्ष का वध कर धरती को आजाद कराया था। जिले में बहने वाली दो प्रमुख नदियां यहां आकर मिलती है। इसलिए संगम की तरह ही इसकी मान्यता है। |