झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी। (फाइल फोटो)
मृत्युंजय पाठक, धनबाद। कोयला माफिया, बीसीसीएल अधिकारी और पुलिस-प्रशासन के बीच गठजोड़ और कोयले के काले धंधे के खिलाफ धनबाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हालिया कार्रवाई ने झारखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया है। राजनीतिक दलों के नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप ने हलचल मचा दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
21 नवंबर को झारखंड और बंगाल में ईडी ने छापेमारी की थी। धनबाद में एलबी सिंह और अनिल गोयल के यहां भी छापेमारी हुई थी। भाजपा झारखंड प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है-झारखंड में अब अपराध छिपाने के लिए नया अपराध गढ़ना सत्ता और सिस्टम की आदत बन चुकी है।
मरांडी ने कहा कि धनबाद के काले कोयला साम्राज्य से जुड़े जिन सचों का खुलासा ED कर रही है, वह बेहद चौंकाने वाले हैं, लेकिन उससे भी खतरनाक वह मामला है जो पर्दे के पीछे पनप रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोयले की काली कमाई से लाभ कमाने वाले कुछ शीर्ष पुलिस अधिकारी, अपने जमीनी गुर्गों के जरिए महत्वपूर्ण गवाहों व आरोपियों को खत्म करने का टारगेट दे रहे हैं, ताकि ED के सामने सच्चाई बाहर न आ सके।
मरांडी ने दावा किया कि पता चल रहा है कि ED जिन लोगों से पूछताछ कर रही है, उन्हीं की हत्या की साजिश रची जा रही है, ताकि राज खुलने से पहले ही सबूतों को ‘स्थायी रूप से मिटा’ दिया जाए।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि झारखंड में अपराधियों को पकड़ने के नाम पर कई बार ‘सबूतों का एनकाउंटर’ किया गया है। यह कोई पहली बार की कहानी नहीं, बल्कि राज्य की प्रशासनिक प्रणाली में गहराई तक पैठ जमा चुका एक आपराधिक खेल है।
उन्होंने कहा कि झारखंड पहले भी एक ऐसे भ्रष्ट और आपराधिक छवि वाले डीजीपी को देख चुका है, जिस पर सुपारी लेकर एनकाउंटर कराने तक के आरोप लगे थे। आश्चर्य यह कि यह आरोप किसी विपक्षी दल ने नहीं, बल्कि सत्ताधारी दल के लोगों ने ही लगाया था।
मरांडी ने कहा कि उस रिकॉर्डतोड़ भ्रष्टाचार की विरासत आज भी राज्य के कुछ सिस्टम में जीवित है। मरांडी ने ED से आग्रह किया कि वह बेहद सतर्क रहे, क्योंकि झारखंड में सच बोलने वाले का नहीं, सच दबाने वाले का राज चलता है।
उनके अनुसार जब सत्ता, सिस्टम और माफिया एक ही धुरी पर घूमने लगें, तो न्याय का गला घोंटना सिर्फ औपचारिकता रह जाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि केंद्र की जांच एजेंसियां सतर्क न रहीं, तो यह मामला सिर्फ कोयला घोटाला नहीं, बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था का सबसे बड़ा काला अध्याय साबित हो सकता है।
कौन अधिकारी और किसकी हत्या की साजिश
ईडी की कार्रवाई पर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के सनसनीखेज दावे ने माहौल गर्म कर दिया है। उनके बयान के बाद धनबाद कोयलांचल में दहशत का आलम है। लोग अब यह जानने को उत्सुक हैं कि पुलिस का वह कौन वरिष्ठ अधिकारी है, जो साजिश रच रहा है, और किस गुर्गे की हत्या की तैयारी की जा रही है। जांच एजेंसियों की सुरक्षा और कार्रवाई को लेकर आम जनता में तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
छापे पर ईडी का पक्ष
ईडी ने झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोयला माफिया के खिलाफ छापेमारी के बाद कहा था कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग जांच के अंतर्गत की गई है। 44 ठिकानों पर तलाशी ली गई, जहां बड़ी मात्रा में नकदी, सोना-आभूषण, डिजिटल उपकरण और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए हैं।
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दावा किया गया है कि यह अवैध कोयला खनन, चोरी, परिवहन और भंडारण से जुड़ी गहरी और संगठित गड़बड़ी का नेटवर्क है, और इस रैकेट में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के संकेत मिले हैं। |