विवाह के दौरान जानकी मंदिर का आकर्षक दृश्य। जागरण
मनोज झा, जनकपुरधाम (मधुबनी)। जनकपुर धाम में मंगलवार सुबह से ही प्रभु श्रीराम व माता जानकी के विवाहोत्सव की धूम मची रही। अवध कुमार प्रभु श्रीराम व जनक नंदिनी जानकी का विवाह देखने के लिए एक दिन पहले ही श्रद्धालु जनकपुरधाम पहुंच चुके थे। इस अवसर पर पूरे जनकपुरधाम को दुल्हन की तरह सजाया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया...चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया जैसे मंगलगीत से पूरा जनकपुरधाम गुंजायमान हो रहा था। श्रद्धालु श्रीराम जानकी विवाह रस्म को देखने के लिए आतुर थे। जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास वैष्णव के नेतृत्व में मिथिला की परंपरा के अनुसार प्रभु श्रीराम व माता जानकी के विवाह की रस्म पूरी की गईं।
जानकी मंदिर परिसर में प्रभु श्रीराम व माता जानकी सात फेरे लेकर परिणय सूत्र में बंध गए। इस दौरान नेपाली सेनाओं द्वारा हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई। इस दृश्य को देखकर संपूर्ण नगरवासी मंत्रमुग्ध हो गए। बुधवार को रामकलेवा अर्थात विदाई की रस्म के साथ ही सात दिवसीय श्रीसीताराम विवाह महामहोत्सव का समापन होगा।
विवाहोत्सव में शामिल होने के लिए विभिन्न मठ-मंदिरों से जनकपुरधाम पधारे साधु संतों का जानकी मंदिर में भव्य स्वागत किया गया। मंदिर समिति ने सभी साधु संतों को आदर सत्कार के साथ अतिथि गृह में ठहराया। पीली पगड़ी बांध कर बरातियों का सम्मान किया गया। सभी साधु संत माता जानकी की डोला के साथ बारहबीघा मैदान में आयोजित स्वयंवर में शामिल हुए।
बारहबीघा मैदान में हुआ डोला मिलन
विवाह पंचमी के दिन करीब दो बजे अवध नरेश की भूमिका में श्रीराम मंदिर के महंत राम गिरी की अगुवाई में श्रीराम का डोला और विदेह राज की भूमिका में जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास वैष्णव की अगुवाई में माता जानकी का डोला बारहबीघा मैदान पहुंचा। डोला के आगे नगरपालिका कर्मी सफाई करते हुए चल रहे थे। वहीं डोला के सामने नेपाली सेना शाही धुन बजा रही थी।
इस मनोरम दृश्य को लोग अपनी नजरों में कैद कर लेना चाह रहे थे। नगर भ्रमण के बाद डोला बारहबीघा मैदान पहुंचा। मैदान में डोला प्रवेश करते ही जय सियाराम के जयकारे लगने शुरू हो गए। बारहबीघा मैदान में माता जानकी के डोले को स्थिर किया गया। श्रीराम मंदिर से आए अवध कुमार का डोला भी वहां पहुंचा। यहां जयमाले की रस्म पूरी हुई। डोला परिक्रमा के बाद स्वयंवर हुआ। नगर के विभिन्न मठ मंदिरों से भी डोला बारहबीघा मैदान पहुंचा था।
स्थानीय प्रशासन से लेकर खुफिया विभाग तक अलर्ट
विवाहोत्सव में शामिल नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री बिमलेंद्र निधि ने कहा कि त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम व माता जानकी का विवाह मनुष्य के कल्याण के लिए हुआ था। इस विवाह प्रसंग को सुनने मात्र से मनुष्य जीवन में परिवर्तन आ सकता है। मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र से मानव को सीख लेने की जरूरत है।
सात दिवसीय विवाहोत्सव को सफलता पूर्वक संपन्न कराने को नेपाल के धनुषा जिला के सीडीओ (जिला प्रमुख अधिकारी) प्रेम प्रसाद ल्यूटेल व धनुषा एसपी रुगम बहादुर कुंवर खुद कमान संभाले हुए थे। उत्सव के दौरान पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। नगर से तीन किलोमीटर पहले ही भारी वाहनों का प्रवेश बंद कर दिया गया था। आने जाने वाले श्रद्धालुओं पर प्रशासन की पैनी नजर थी।
सीडीओ प्रेम प्रसाद ल्यूटेल ने बताया कि प्रशासन की यही कोशिश थी कि जनकपुरधाम पहुंचे श्रद्धालु सुरक्षित प्रभु श्रीराम व माता जानकी के विवाह रस्म को देख सकें। सुरक्षा व्यवस्था के लिए दो हजार से अधिक प्रहरी व सैनिकों को तैनात किया गया था। भीड़ को देखते हुए थ्रीलेयर की सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। जगह जगह सीसी कैमरे के अलावा नेपाल पुलिस व एपीएफ के जवानों को तैनात किया गया है। नगर के सभी चौक चौराहों पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे। खुफिया विभाग भी नजर बनाए हुई थी।
सीमा पर भी जवान रहे मुस्तैद
नेपाल में आयोजित सात दिवसीय विवाहोत्सव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एसएसबी 48वीं वाहिनी के जवान भी एलर्ट रहे। सात दिनों के अंदर भारत-नेपाल के बीच आवागमन करने वालों की गहन जांच की गई। विवाह पंचमी के दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ नेपाल की सीमा में घुसने लगी। सीमा पर तैनात एसएसबी जवान आवश्यक प्रक्रिया के बाद श्रद्धालुओं को नेपाल जाने की अनुमति दे रहे थे।
नेपाल के भंसार कार्यालय पर भी रही भीड़
नेपाल सीमा स्थित भंसार कार्यालय पर सुबह से ही भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। लोग अपने वाहनों का भंसार कटाने के लिए सुबह से ही लाइन में लगे रहे। विवाह में शामिल होने के लिए दूरदराज से आए संत, महंत व श्रद्धालुओं के लिए नेपाल के विभिन्न संगठनों द्वारा श्रीराम मंदिर परिसर में निशुल्क भोजन की व्यवस्था की गई थी। भोजन के उपरांत श्रद्धालु बारहबीघा की ओर प्रस्थान करते रहे। |