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नोएडा में 2000 किमी लंबी सड़कों से मिटी लेन मार्किंग, 2-3 किमी पर टूटे और पेडों में छिपे साइनबोर्ड

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दादरी जीटी रोड पर चिटेहरा गांव के पास सड़क पर लेन मार्किंग नहीं है। जागरण



प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। अभी ठंड की दस्तक है। दृश्यता 500 मीटर से अधिक है। जल्द ही सड़कों पर कोहरा नजर आएगा। सड़क पर दृश्यता 50 मीटर से भी कम होगी। इस स्थिति में नोएडा-ग्रेटर नोएडा की 2000 किमी लंबी सड़कों पर सफर वाहन चालकों के लिए चुनौती भरा होगा। दिसंबर के दूसरे सप्ताह से कोहरा शुरू होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पहले हल्का, फिर घना, फिर इतना घना कि सामने की गाड़ी की हेडलाइट और पीछे की लाइट गायब हो जाएगी। दृश्यता 50 मीटर से नीचे उतरेगी, कई बार 10-15 मीटर तक सिमट जाएगी।

  

ग्रेटर नोएडा के जहांगीरपुर क्षेत्र में सड़क पर लेन मार्किंग नहीं है। जागरण

नोएडा-ग्रेटर नोएडा की 1471 प्रमुख सड़कों पर हर दो से तीन किमी चलने पर साइनबोर्ड टूटे हैं या झाड़ियों में छिपे हुए हैं। साइनबोर्ड नहीं दिखेगा तो वाहन लेकर चालक गलत सड़क या लेन पर चले जाएंगे। अचानक स्पीड़ ब्रेकर आएगा। स्पीड ब्रेकर अचानक सामने आएंगे। यहां से गाडियां उछलती गाडियां अनियंत्रित होंगी तो हादसे भी बढेंगे।

बता दें नोएडा-ग्रेटर नोएडा को रफ्तार दे रहीं सड़कें घने कोहरे में खतरा बन सकतीं हैं। यह स्थिति शहर की प्रमुख सड़कों पर है। बीते दिनों नोएडा प्राधिकरण ने जिन सड़कों की रिसर्फेसिंग की है। वहां करीब 70 फीसदी जगहों पर लेन मार्किंग ही नहीं की गई। वर्षों पहले बनाई गईं लेन मार्किंग हट चुकी हैं। ब्रेकर पर पेंट नहीं है।

सेक्टर-121 से 61 तक आने वाली एलिवेटेड तक लेन मार्किंग मिट चुकी है। गौर चौक से पर्थला की ओर आने वाली सड़क पर भी लेन मार्किंग नहीं हैं। फरीदाबाद-नोएडा-गुरुग्राम (एफएनजी) एक्सप्रेसवे के कई हिस्से से लेन मार्किंग पूरी तरह से मिट चुकी है। यही स्थिति सड़क नंबर-6, डीएससी, नोएडा की आंतरिक सड़कों की है। एक्सप्रेसवे और हाइवे को छोड दिया जाए तो अधिकांश सड़कों की यही स्थिति है।
नोएडा में 750 किमी लंबी सडकों पर मुसीबत न बन जाए कोहरा

नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र की प्रमुख 671 सड़कों की लंबाई 1251 किमी है। इनमें करीब 750 किमी लंबी सड़कों पर लेन मार्किंग नहीं है या साइनबोर्ड व्यवस्थित नहीं हैं। सर्दियों से पहले कोहरे में वाहन चालकों के सुरक्षित सफर के लिए यहां प्राधिकरण की ओर से पहल नहीं की गई।
ग्रेटर नोएडा में कोहरे का सबसे अधिक खतरा

ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में कोहरे का सबसे अधिक खतरा रहता है। यहां पर प्राधिकरण की कुल 800 सड़कों की लंबाई करीब 2000 किमी है। इनमें करीब 1200 किमी लंबी सड़कों पर बिना लेन मार्किंग और टूटे और पेडों में छिपे साइनबोर्ड से सफर कोहरे में असुरक्षित हो सकता है।

यहां के देहात क्षेत्र के कस्बे जहांगीरपुर, रबूपुरा, जेवर, दनकौर, जारचा, दादरी, बिलासपुर की सड़कें बनने के बाद लेन मार्किंग नहीं की गई, जहां लेन मार्किंग थी वह अब हट चुकी है। जेवर से वाया जहांगीरपुर खुर्जा, बुलंदशहर व सिकंदराबाद जाने वाले रोड पर लेन मार्किंग की गई है।

एयरपोर्ट की वजह से जेवर से झाझर तक के मार्ग को करीब चार वर्ष पूर्व बंद कर वाया जहांगीरपुर बुलंदशहर व सिकंदराबाद मार्ग को जोड़ा गया। वाहनों का दबाव अधिक होने की वजह से मार्ग क्षतिग्रस्त होता रहा और लेन मार्किंग भी लगभग समाप्त हो गई। ॉ

वहीं जेवर से अलीगढ़ व पलवल मार्ग पर हामिदपुर तक की गई लेन मार्किंग भी मार्ग के क्षतिग्रस्त होने से समाप्त हो गई। रबूपुरा क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेसवे से झाझर की ओर जाने वाले रोड पर नगर पंचायत क्षेत्र में साइनेज और लेन मार्किंग नहीं है। जहांगीपुर से खुर्जा और जेवर जाने वाले मार्ग पर भी यही स्थिति बनी है।

  





सेवन-एक्स सेक्टरों की प्रमुख सड़कों पर लेन मार्किंग नहीं है। सर्दियों से पहले यह पूरा करने का दावा किया जाता है लेकिन होता कुछ भी नहीं है।


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-बृजेश शर्मा


सड़क सुरक्षा को लेकर यातायात माह चल रहा है। वाहन चालकों पर नजर है। सड़कों की खामियों पर भी ध्यान देना चाहिए।


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-अंकिता राजपूत


साइनबोर्ड तो प्रमुख मार्गों पर छिपे हुए हैं। लोगों को यूटर्न लेना हाेता है लेकिन आगे निकल जाते हैं। फिर चक्कर काटकर आना पड़ता है।


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-डीएन तिवारी


कोहरे में हर वर्ष हादसे होते हैं। यह कम नहीं हुए। सड़क की खामियों से हो रहे हादसों को समय से पहले कार्य पूरा कर रोका जा सकता है।


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-कपिल दत्त


स्पीड़ ब्रेकर और सड़कों पर लेन मार्किंग के लिए एस्टीमेट तैयार किया जा चुका है। कोहरा होने से पहले यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा।


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एसपी सिंह, जीएम, नोएडा ट्रैफिक सेल, नोएडा प्राधिकरण


कासना सूरजपुर मार्ग समेत कई ऐसे मार्ग हैं जहां साइनबोर्ड पेड़ों से ढक गए हैं। लेन मार्किंग भी नहीं है। कासना से सिरसा की ओर सर्दियों में कोहरे के समय सबसे अधिक समस्या होती है। लेन मार्किंग न होने से मोड़ आदि का नहीं पता चलता जिससे हादसे का डर बना रहता है।  
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- चौधरी प्रकाश प्रधान
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